प्रधानमंत्री मोदी का हवाई चप्पल पहनकर हवाई यात्रा करने का दावा क्रूर मज़ाक है: कांग्रेस

कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कुछ मार्गों पर हवाई किराये में अत्यधिक वृद्धि पर चिंता जताते हुए पूछा है कि आसमान छूते हवाई किराये मध्यम वर्ग के लिए कहर बरपा रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि जब बालासोर ट्रेन त्रासदी हुई तो सरकार ने भुवनेश्वर और कोलकाता के बीच उड़ान की कीमतों को नियंत्रण से बाहर जाने दिया.

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केसी वेणुगोपाल. (फोटो साभार: फेसबुक)

कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कुछ मार्गों पर हवाई किराये में अत्यधिक वृद्धि पर चिंता जताते हुए पूछा है कि आसमान छूते हवाई किराये मध्यम वर्ग के लिए कहर बरपा रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि जब बालासोर ट्रेन त्रासदी हुई तो सरकार ने भुवनेश्वर और कोलकाता के बीच उड़ान की कीमतों को नियंत्रण से बाहर जाने दिया.

 

नई दिल्ली: अत्यधिक हवाई किराये को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने बीते शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी कि हवाई चप्पल पहनने वाले लोग अब विमानों में यात्रा कर सकते हैं, एक ‘क्रूर मजाक’ जैसा लगता है.

एक बयान में कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने कहा कि अगस्त 2022 में जब अर्थव्यवस्था ‘सुस्त’ में थी, तब हवाई किराये पर कैप (टिकट के दाम बढ़ाने पर रोक) हटाना आपराधिक था. उन्होंने पूछा कि क्या सरकार ने उपभोक्ताओं को नुकसान न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए किसी हस्तक्षेप की योजना बनाई है.

मालूम हो कि 31 अगस्त 2022 से घरेलू हवाई टिकटों पर सरकार ने प्राइस कैपिंग खत्म कर दी थी. यानी कि सरकार ने किराये की अधिकतम सीमा की निगरानी करना बंद कर दी थी. इससे विमानन कंपनियों को अपने हिसाब से किराया घटाने-बढ़ाने की छूट मिल मिल गई.

सरकार ने कोरोना महामारी के प्रसार के बाद एयरलाइन कंपनियों द्वारा फ्लाइट के किराये की अधिकतम और न्यूनतम सीमा तय कर दी थी और इसका पालन करना एयरलाइन कंपनियों के लिए अनिवार्य बना दिया गया था.

ट्विटर पर वेणुगोपाल ने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि ‘हवाई चप्पल’ पहनने वाले ‘हवाई जहाज’ पर यात्रा कर सकते हैं. हालांकि दिल्ली-मुंबई की उड़ान की कीमतें हर दिन 15,000 रुपये से अधिक पार कर रही हैं. उनके शब्द एक क्रूर मजाक की तरह लगते हैं. आसमान छूते ये हवाई किराये मध्यम वर्ग के लिए कहर बरपा रहे हैं.’

उन्होंने आरोप लगाया कि एयरलाइनों को सरकार का पूर्ण मुफ्त पास और उसके बड़े पैमाने पर निजीकरण की होड़ आज की गंभीर स्थिति के लिए जिम्मेदार है.

कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान कनिष्ठ नागरिक उड्डयन मंत्री रहे कांग्रेस नेता ने कहा कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय को कुछ ‘कड़वे तथ्यों’ का सामना करना होगा. इसके बाद उन्होंने कुछ तथ्य गिनाए हैं.

उन्होंने कहा, ‘उच्च मांग और आपूर्ति के बेमेल मामलों में मूल्य निर्धारण एल्गोरिदम कीमतों को ऊपर की ओर धकेलता रहेगा. क्या सरकार के पास इन हवाई किरायों पर लगाम लगाने की कोई ठोस योजना है?’

उन्होंने सवाल उठाया, ‘क्या निजी हवाई अड्डा संचालकों, विशेष रूप से अडानी समूह द्वारा हवाई अड्डों में अपने मेगा निवेश के साथ अर्जित मुनाफा आम आदमी की जेब से निकाला जा रहा है?’

उन्होंने पूछा, ‘लोगों की पीड़ा के प्रति (नागरिक उड्डयन) मंत्रालय इतना उदासीन क्यों था कि जब बालासोर ट्रेन त्रासदी हुई तो उसने भुवनेश्वर और कोलकाता के बीच उड़ान की कीमतों को नियंत्रण से बाहर जाने दिया?’

यह देखते हुए कि विमान ईंधन (एटीएफ) पर टैक्स एयरलाइनों के ‘गले में फंदा’ है, वेणुगोपाल ने कहा, ‘सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उच्च लागत का बोझ उपभोक्ताओं पर न पड़े.’

वेणुगोपाल की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब केंद्र ने टिकट की कीमतों में वृद्धि के बीच बीते सोमवार (5 जून) को एयरलाइन कंपनियों से उचित हवाई किराया सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र तैयार करने के लिए कहा था.

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एयरलाइन सलाहकार समूह के साथ बैठक में हवाई किराये के मुद्दे पर चर्चा की थी. उन्होंने कुछ मार्गों पर असामान्य किराया वृद्धि की हालिया रिपोर्टों पर चिंता जाहिर करते हुए ​कुछ चुनिंदा मार्गों पर किराये की स्व निगरानी करने का निर्देश दिया था.