चीन ने दो भारतीय पत्रकारों को वापस जाने को कहा, अपने पत्रकारों संग अनुचित व्यवहार का आरोप लगाया

जून 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के पत्रकारों के एक दूसरे के यहां काम को लेकर को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है.

(फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)

जून 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के पत्रकारों के एक दूसरे के यहां काम को लेकर को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है.

(फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)

नई दिल्ली: चीन ने कहा है कि भारत में उसके पत्रकारों के साथ गलत व्यवहार किया गया और एक भारतीय पत्रकार को चीन छोड़ने के लिए कहा गया है.

जून 2020 में दोनों देशों के बीच संबंधों में गिरावट के बाद से दोनों देशों के पत्रकारों के एक दूसरे के देशों में काम को लेकर को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है.

15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई थी. इस हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. वहीं चीन ने घटना के कई महीनों बाद स्वीकार किया था कि इस झड़प में उसके भी चार जवानों की मौत हुई थी.

द हिंदू के रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने सोमवार को एक ब्रीफिंग में कहा, ‘हाल के वर्षों में भारत में चीनी पत्रकारों को अनुचित और भेदभावपूर्ण व्यवस्था दी गई है.’

उन्होंने कहा, ‘हम आशा करते हैं कि भारत चीनी पत्रकारों के लिए वीजा देना जारी रखेगा, अनुचित प्रतिबंधों को हटाएगा और मीडिया के आदान-प्रदान के लिए अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण करेगा.’

रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने इस महीने भारत में आखरी दो चीनी राज्य मीडिया पत्रकारों के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई का हवाला देते हुए वहां स्थित दो भारतीय पत्रकारों के वीजा को नवीनीकृत करने से इनकार कर दिया है.

चीन ने भारत में आखिरी बचे दो चीनी पत्रकारों को वीजा जारी न करने का हवाला देते हुए चीन में कार्यरत आखिरी दो भारतीय पत्रकारों के वीजा को नवीनीकृत करने से इनकार कर दिया है.

मामले की जानकारी रखने वाले दो सूत्रों के अनुसार, दो भारतीय पत्रकारों में से एक हिंदुस्तान टाइम्स के रिपोर्टर ने रविवार (11 जून) को अपने वीजा की अवधि समाप्त होने के कारण चीन छोड़ दिया.

सूत्रों ने कहा कि चीन में समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) के आखिरी भारतीय पत्रकार इस महीने वापस आ जाएंगे, जब उनका वीजा समाप्त हो जाएगा.

इस साल भारत के चार रिपोर्टर चीन में थे, बीते अप्रैल माह में इनमें से दो को यह कहते हुए चीन आने से रोक दिया गया कि उनके वीजा को फ्रीज कर दिया गया है.

इस कदम के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (चीन) में भारत का कोई पत्रकार नहीं रहा.

वांग ने कहा कि भारत ने 2020 से चीनी पत्रकारों के लिए नए वीजा को मंजूरी नहीं दी है, जिसके परिणामस्वरूप वहां 14 में से केवल एक चीनी रिपोर्टर बचा है.

उन्होंने कहा, ‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस संबंध में भारत की ओर से कुछ नहीं किया गया.’

उन्होंने कहा, ‘चीन भारतीय पक्ष के साथ संचार बनाए रखने के लिए आपसी सम्मान, समानता और पारस्परिक लाभ के सिद्धांतों पर कार्य करने के लिए तैयार है और हमें उम्मीद है कि भारत चीन से वार्ता करेगा.’

सूत्रों में से एक ने कहा कि भारत ने मई में शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए आने वाले चीनी पत्रकारों के लिए अस्थायी वीजा को मंजूरी दे दी है.

भारत के विदेश मंत्रालय ने इस महीने कहा कि उसे उम्मीद है कि चीन भारतीय पत्रकारों को चीन में काम करने की अनुमति देगा, यह कहते हुए कि भारत ने सभी विदेशी पत्रकारों को वहां काम करने की अनुमति दी है.

मालूम हो कि इससे पहले मई के आखिर में भारत द्वारा चीनी पत्रकारों को निकाले जाने के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि उसके पास ‘उचित उपाय करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.’

दोनों देशों ने बीते मार्च महीने से एक-दूसरे के पत्रकारों के प्रवेश पर रोक लगाना शुरू कर दिया था. बीते मई महीने में अमेरिकी अखबार ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने बताया था कि यह प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है.

भारत द्वारा चीन की सिन्हुआ न्यूज एजेंसी के एक पत्रकार को 31 मार्च तक देश छोड़ने के लिए कहने के बाद चीन ने तीन भारतीय पत्रकारों के वीजा पर रोक लगा दी थी.

अखबार ने बताया था कि 1980 के दशक के बाद पहली बार भारत में चीन का कोई पत्रकार नहीं होगा, क्योंकि सिन्हुआ न्यूज एजेंसी और चाइना सेंट्रल टेलीविजन के अंतिम दो सरकारी मीडिया पत्रकारों को देश छोड़ने के लिए कहा गया है.