इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट बताती है कि एक विद्रोही कुकी संगठन के अध्यक्ष द्वारा 2019 में गृह मंत्री अमित शाह को लिखे गए पत्र में दावा किया गया था कि 2017 में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा और भाजपा नेता राम माधव ने मणिपुर विधानसभा चुनाव जीतने के लिए उनसे मदद ली थी.
नई दिल्ली: मणिपुर में करीब डेढ़ महीने से जारी जातीय संघर्ष में सौ से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और हज़ारों नागरिक शरणार्थियों के तौर पर शिविरों में रह रहे हैं. इस बीच, राज्य की भाजपा सरकार की ओर से लगातार कुकी विद्रोही समूहों, खासकर जिन्होंने केंद्र और राज्य सरकार के साथ किए गए सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (एसओओ) पर हस्ताक्षर किए थे, को इस हिंसा का जिम्मेदार बताया जा रहा है.
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट बताती है कि 2019 में एसओओ के अंतर्गत आने वाले एक उग्रवादी कुकी समूह के नेता ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखे एक पत्र में कहा था कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा और भाजपा नेता राम माधव ने 2017 में मणिपुर विधानसभा चुनाव जीतने के लिए बागी कुकी समूहों से मदद ली थी. दोनों नेता उस समय पूर्वोत्तर भारत में पार्टी का प्रभार संभाल रहे थे.
ज्ञात हो कि 2017 में मणिपुर में पहली बार भाजपा सत्ता में आई थी और एन. बीरेन सिंह मुख्यमंत्री बने थे.
कुकी नेता का यह पत्र 8 जून, 2023 को एनआईए अदालत में एसओओ के तहत सशस्त्र संगठनों में से एक- यूनाइटेड कुकी लिबरेशन फ्रंट (यूकेएलएफ) के अध्यक्ष एसएस हाओकिप द्वारा दायर एक हलफनामे के साथ संलग्न अनुलग्नकों (annexures) में से एक था.
हाओकिप कांग्रेस के पूर्व विधायक यामथोंग हाओकिप से अवैध हथियार खरीद के एक मामले में आरोपी हैं. आरोप है कि एसएस हाओकिप ने जो 10 पिस्तौलें खरीदी थीं, वे कथित तौर पर राज्य पुलिस के शस्त्रागार से चुराई गई थीं. यामथोंग हाओकिप को 24 अगस्त, 2018 को उग्रवादी संगठनों को चोरी के हथियार बांटने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
रिपोर्ट के अनुसार, पत्र में यूकेएलएफ नेता ने आरोप लगाया है कि 2017 में उनके संगठन और एक अन्य कुकी संगठन यूनाइटेड पीपल फ्रंट (यूपीएफ) ने राम माधव और हिमंत बिस्वा शर्मा के साथ एक समझौते के अनुसार भाजपा उम्मीदवारों को चुना था.
पत्र में कहा गया है, ‘मैंने राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के गठन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. सच कहूं तो अगर इन्हें हमारा समर्थन नहीं मिला होता तो राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार बनाना लगभग असंभव होता. हाल ही में संपन्न हुए संसदीय चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को हमारे क्षेत्र में लगभग 80-90 प्रतिशत वोट मिले हैं.’
एसएस हाओकिप का आरोप है कि अवैध रूप से खरीदी गई पिस्तौल वापस करने के बावजूद उन्हें हथियार खरीद मामले में फर्जी फंसाया गया है. मामले में राहत की मांग करते हुए कुकी नेता ने केंद्रीय गृह मंत्री को लिखे पत्र में पूर्व में भाजपा के लिए किए गए एहसानों का हवाला दिया था.
इंडिया टुडे के अनुसार, राम माधव ने एसएस हाओकिप के दावों का खंडन किया है. खबर लिखे जाने तक असम के मुख्यमंत्री द्वारा इस संस्थान भेजे गए मैसेज का जवाब नहीं दिया था.
कांग्रेस ने साधा निशाना
इकोनॉमिक्स टाइम्स के अनुसार, इस बीच कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने इस रिपोर्ट को लेकर सवाल किया है कि ‘कुकी उग्रवादियों’ की मदद लेने को क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह मंजूरी दी थी.
. @IndiaToday expose’ on BJP CM Himanta Biswa Sarma & its Former National General Secretary Ram Madhav is truly disturbing and depicts an unpardonable compromise with National Security, if assertions are proved.
But the more important QUESTION👇
▪️Did BJP take assistance of… pic.twitter.com/xwEABXiwDk
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) June 13, 2023
एक ट्वीट में सुरजेवाला ने इन रिपोर्ट के स्क्रीनशॉट साझा करते हुए लिखा कि हिमंता बिस्वा शर्मा और राम माधव के बारे में यह खुलासा परेशान करने वाला है और अगर दावे सही हैं तो राष्ट्रीय सुरक्षा ऐसा समझौता किया गया, जिसे माफ़ नहीं किया जा सकता.
उन्होंने इसके साथ कई सवाल भी उठाए. उन्होंने पूछा:
क्या भाजपा ने मणिपुर चुनाव लड़ने के लिए कुकी उग्रवादियों की मदद ली?
– क्या भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान उन्हीं कुकी उग्रवादियों की मदद ली थी?
– क्या प्रधानमंत्री और गृह मंत्री कुकी उग्रवादियों से ली गई मदद के बारे में जानते थे? यदि हां, तो वे उन्होंने इसे कैसे मंजूरी दी? यदि नहीं, तो वे इससे अनजान क्यों थे?
– क्या यह खुलेआम हमारे राष्ट्रीय हितों से समझौता करना नहीं है? क्या मोदी सरकार के लिए चुनावी फायदे देश के हितों से कहीं ज्यादा मायने रखते हैं?
– असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा और राम माधव के खिलाफ प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, मोदी सरकार और भाजपा क्या कार्रवाई करेंगे? क्या एनआईए उनके खिलाफ मामला दर्ज करेगी और यदि कोई लिंक हो, तो उसकी जांच करेगी ?
– क्या भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा कोई कार्रवाई करेंगे?
– क्या किसी उग्रवादी संगठन के साथ मेलजोल असम के मुख्यमंत्री द्वारा पद की शपथ का उल्लंघन नहीं है? क्या उन्हें जांच के निष्कर्ष आने तक पद पर बने रहने का अधिकार है?
– क्या देश को जवाब में केवल प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की चुप्पी ही मिलेगी?
पार्टी के महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने भी इस खबर को ‘विस्फोटक’ बताया और कहा कि ‘जो लंबे समय से कहा जाता था आज सच साबित हो गया. यह उसी बात को बल देता है जो मैं हमेशा से कहता रहा हूं- मणिपुर आज भाजपा और आरएसएस की राजनीति के चलते जल रहा है.’
उल्लेखनीय है कि मणिपुर में ताज़ा हिंसा के बीच कांग्रेस ने सरकार से कहा है कि वह सामान्य स्थिति बहाल करने में मदद करने के लिए हिंसा प्रभावित राज्य का दौरा करने के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजे.
पार्टी ने ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मणिपुर की स्थिति पर अपनी ‘चुप्पी’ तोड़ने की भी अपील की और उनसे राज्य का दौरा करने का आग्रह भी किया है.
बीते 3 मई से कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोग मारे गए हैं. लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं और पुलिस शस्त्रागार से 4,000 से अधिक हथियार लूटे या छीन लिए गए हैं.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य के विभिन्न जातीय समूहों के बीच शांति स्थापित करने के लिए शांति समिति का गठन किया है. हालांकि मुख्यमंत्री के इसमें शामिल किए जाने का विरोध हो रहा है. मेईतेई और कुकी-ज़ोमी- दोनों समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले समूहों ने कहा कि वे इस समिति में भाग नहीं लेंगे.