तमिलनाडु ने राज्य में मामलों की जांच के लिए सीबीआई को दी गई आम सहमति वापस ली

बीते बुधवार को तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी को ईडी द्वारा गिरफ़्तार किए जाने के कुछ घंटों बाद राज्य सरकार ने यह क़दम उठाया है. सेंथिल बालाजी को नौकरी के बदले नकद घोटाले की जांच के तहत गिरफ़्तार किया गया है.

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(प्रतीकात्मक फोटो साभार: cbi.gov.in)

बीते बुधवार को तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी को ईडी द्वारा गिरफ़्तार किए जाने के कुछ घंटों बाद राज्य सरकार ने यह क़दम उठाया है. सेंथिल बालाजी को नौकरी के बदले नकद घोटाले की जांच के तहत गिरफ़्तार किया गया है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: cbi.gov.in)

नई दिल्ली: नौकरी के बदले नकद घोटाले में कथित भूमिका को लेकर तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किए जाने के कुछ घंटों बाद राज्य सरकार ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को जांच करने के लिए दी गई आम/सामान्य सहमति वापस ले ली.

तमिलनाडु के बिजली, मद्यनिषेध और उत्पाद शुल्क मंत्री सेंथिल बालाजी को बुधवार (14 जून) तड़के ईडी ने नौकरी के बदले नकद घोटाले की एक खुलासा जांच के तहत गिरफ्तार किया था, जो कथित तौर पर तब हुआ था, जब बालाजी 2011 से 2016 तक पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक सरकार में परिवहन मंत्री थे. केंद्रीय एजेंसी द्वारा 18 घंटे तक पूछताछ के बाद डीएमके नेता सेंथिल की गिरफ्तारी हुई.

बुधवार को जारी एक विज्ञप्ति में तमिलनाडु के गृह विभाग ने कहा कि दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम, 1946 (1946 का केंद्रीय अधिनियम XXV) की धारा 6 के अनुसार, सीबीआई को किसी भी मामले में जांच करने से पहले संबंधित राज्य सरकार से पूर्व अनुमति लेनी होगी.

विज्ञप्ति के अनुसार, ‘तमिलनाडु सरकार ने आज उपरोक्त नियम के तहत 1989 और 1992 में कुछ प्रकार के मामलों में दी गई सामान्य सहमति को वापस लेने के आदेश जारी किए हैं. तदनुसार, सीबीआई को अब से राज्य में जांच करने के लिए तमिलनाडु सरकार की अनुमति लेनी होगी.’

इसने कहा कि पश्चिम बंगाल, राजस्थान, केरल, मिजोरम, पंजाब और तेलंगाना सहित अन्य राज्य पहले ही इसी तरह का आदेश जारी कर चुके हैं. झारखंड, छत्तीसगढ़ और मेघालय ने भी सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली है.

सीबीआई दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (डीएसपीई) अधिनियम, 1946 द्वारा शासित है और इसे राज्य में किसी अपराध की जांच शुरू करने से पहले अनिवार्य रूप से संबंधित सरकार की सहमति प्राप्त करनी चाहिए. सीबीआई को राज्य सरकार की सहमति केस-विशिष्ट या ‘सामान्य’ हो सकती है.

आम तौर पर राज्यों द्वारा अपने राज्यों में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की निर्बाध जांच करने के लिए सीबीआई की मदद करने के लिए सामान्य सहमति दी जाती है. इसका अनिवार्य रूप से मतलब डिफॉल्ट रूप से सहमति है और सीबीआई राज्य में किसी मामले की जांच इस आधार पर शुरू कर सकती है, कि सहमति पहले ही दे दी गई है.

मालूम हो कि बीते मार्च महीने में केंद्र सरकार ने संसद में बताया था कि अब तक नौ राज्यों ने सीबीआई को जांच के लिए दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली है. इन नौ राज्यों में छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, मेघालय, मिजोरम, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल शामिल हैं.

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