द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
पिछले 45 दिनों से हिंसा से जूझ रहे मणिपुर के तीन प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने में असफल रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के विधायकों के दो प्रतिनिधिमंडल 15 जून से नई दिल्ली में हैं. इनमें से दो भाजपा के हैं और एक कांग्रेस का. प्रधानमंत्री के न मिलने पर मेईतेई समुदाय से आने वाले भाजपा के नौ विधायकों ने पीएमओ में ज्ञापन सौंपा है. वहीं, भाजपा विधायकों के एक अन्य समूह की बैठक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और राज्य के लिए पार्टी के प्रभारी संबित पात्रा के साथ हुई. इनके अलावा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल भी नई दिल्ली पहुंचा है, जिसकी मुलाकात भी पीएम से नहीं हो सकी. उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र अमेरिका मिस्र के चार दिवसीय दौरे के लिए रवाना हुए हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा दूषित दवाइयों की जांच में भारत और इंडोनेशिया के ऐसे बीस उत्पाद सामने आए हैं. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, संगठन द्वारा दुनियाभर में हुई लगभग 300 मौतों को लेकर दूषित कफ सीरप की जांच की जा रही है. अख़बार के अनुसार, इन बीस उत्पादों में भारत और इंडोनेशिया के ’15 अलग-अलग निर्माताओं’ द्वारा निर्मित थे. सभी दवाएं सीरप हैं, जिनमें खांसी की दवा, पैरासिटामोल या विटामिन शामिल हैं. इससे पहले डब्ल्यूएचओ ने 15 कफ सीरप को लेकर चेतावनी जारी की गई थी, जिनमें से सात भारत में निर्मित थे.
तेलंगाना में एक आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या के मामले में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) से संबंध रखने वाले तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, 15 जून से लापता 70 वर्षीय आरटीआई कार्यकर्ता नल्ला रामकृष्णैया का शव 18 जून एक खदान में मिला. रामकृष्णैया पूर्व मंडल परिषद विकास अधिकारी थे, जो उन लोगों के खिलाफ लड़ रहे थे, जिनके पास आवंटित भूमि थी या वे उस पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे थे.रामकृष्णैया को संदेह था कि कथित भूमि अपराधों में एक स्थानीय बीआरएस नेता के पति जी. अंजैया की भूमिका थी. उनकी हत्या के आरोप में गिरफ्तार हुए लोगों में अंजैया भी शामिल हैं.
मणिपुर में मेईतेई को एसटी दर्जा देने संबंधी समीक्षा याचिका पर हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भेजा है. द हिंदू के अनुसार, हाईकोर्ट ने सोमवार को इसके 27 मार्च के विवादास्पद आदेश, जिसमें इसने राज्य सरकार को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में मेईतेई समुदाय को शामिल करने की सिफारिश करने का निर्देश दिया था, को संशोधित करने की मांग वाली एक समीक्षा याचिका को स्वीकार किया. राज्य में डेढ़ महीने से जारी हिंसा इसी आदेश के खिलाफ आदिवासी समुदाय द्वारा निकाले गए एक मार्च के बाद शुरू हुई थी. इसी बीच, उच्च न्यायालय ने राज्य में सीमित इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराने के आदेश भी दिए हैं.
एडीआर ने राजनीतिक दलों के खिलाफ अपने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड छिपाने को लेकर कार्रवाई की मांग की है. अमर उजाला के अनुसार, चुनाव आयोग को लिखे पत्र में एडीआर सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग के निर्देशों कि- दलों को इसके उम्मीदवारों के खिलाफ दर्ज लंबित आपराधिक मामलों और अपराधों की प्रकृति सहित विस्तृत जानकारी अपनी वेबसाइट देनी होगी, का हवाला देते हुए कहा है कि इन निर्देशों की जानबूझकर अवज्ञा हो रही है. एडीआर ने कहा कि चुनाव आयोग को हर चुनाव के दौरान इस तरह की चूक के मामले सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट करने चाहिए.
मध्य प्रदेश के भोपाल में एक युवक के गले में पट्टा बांध भौंकने को मजबूर करने का वीडियो सामने आने के बाद आरोपियों के घरों पर बुलडोज़र चला दिया गया. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, घटना क़रीब महीने भर पहले की है. पीड़ित युवक का आरोप है कि आरोपी उन्हें इस घटना का वीडियो वायरल करने की धमकी देकर पैसों की मांग कर रहे थे. पुलिस में शिकायत करने पर भी कार्रवाई न होने पर युवक ने ख़ुद ही वीडियो वायरल कर दिया. इस संबंध में तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया है और उनकी संपत्तियों के कुछ हिस्सों को ध्वस्त कर दिया गया. आरोप है कि इन लोगों ने पीड़ित को पट्टे से बांधकर कुत्ते की तरह भौंकने और यह कहने कि वह इस्लाम धर्म अपनाने के लिए तैयार है, के लिए मजबूर किया था.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि हाल में हुए कोविन ऐप से हुए कथित डेटा लीक की जांच साइबर क्राइम सेल द्वारा की जा रही है. द हिंदू बिजनेस लाइन के अनुसार, मंत्रालय ने यह दावा करते हुए कि कोविन डेटा लीक नहीं हुआ है, कहा कि वह उस डेटा ब्रीच के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की योजना बना रहा है जो किसी अन्य डेटाबेस से हुआ हो सकता है. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि प्रारंभिक जांच से बताती है कि डेटा लीक कोविन से नहीं बल्कि एक अन्य स्रोत, जिसने डेटा को पर्याप्त रूप से संरक्षित नहीं किया था, से हुआ है. उनके अनुसार, यहां से लीक हुआ डेटा कोविन के पास मौजूद डेटा की तुलना में अधिक विस्तृत था.