गोवा की राजधानी पणजी में आयोजित हिंदू जनजागृति समिति के सम्मेलन में कहा गया है कि केवल उन्हीं उम्मीदवारों का समर्थन करें, जो देश में गोहत्या पर प्रतिबंध, धर्मांतरण विरोधी क़ानून और हिंदू देवी-देवताओं, हिंदू धर्म और हिंदू जीवनशैली का मज़ाक उड़ाने वालों को दंडित करने के लिए क़ानून को सख़्त बनाने का समर्थन करते हैं.
नई दिल्ली: गोवा के पणजी में आयोजित हिंदू जनजागृति समिति (एचजेएस) के सम्मेलन में हिंदुओं से 2024 के लोकसभा चुनावों में हिंदू राष्ट्र का समर्थन करने वाले उम्मीदवारों को वोट देने और अपने घोषणा-पत्र में हिंदू हितों की रक्षा के उपायों की घोषणा करने का आह्वान किया गया है.
समाचार वेबसाइट ओ हेराल्डो की रिपोर्ट के अनुसार, समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक चारुदत्त पिंगले ने हिंदू मतदाताओं से अपील की कि वे मुफ्त बिजली, मुफ्त लैपटॉप और अन्य मुफ्त चीजों के वादों के आगे न झुकें, बल्कि केवल उन्हीं उम्मीदवारों का समर्थन करें, जो देश भर में गोहत्या पर प्रतिबंध, धर्मांतरण विरोधी कानून और हिंदू देवी-देवताओं, हिंदू धर्म और हिंदू जीवन शैली का मजाक उड़ाने वालों को दंडित करने के लिए कानून को सख्त बनाने का समर्थन करते हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू उन उम्मीदवारों को वोट देने का समर्थन करते हैं, जो अपने चुनाव घोषणा-पत्र में पूजा स्थल अधिनियम और वक्फ अधिनियम जैसे ‘प्रतिगामी कानूनों’ को रद्द करने का समर्थन करते हैं.
सम्मेलन में बोलते हुए महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के संयोजक सुनील घानवत ने कहा कि मंदिर परिसर को शराब और मांस से मुक्त किया जाना चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि मंदिरों में आने वाले लोगों के लिए एक ड्रेस कोड लागू किया जाना चाहिए. उन्होंने दावा किया कि ‘मंदिर संस्कृति की रक्षा’ के लिए महाराष्ट्र के 131 मंदिरों में ड्रेस कोड पहले से ही लागू किया गया है.
घानवत ने हिंदुओं से मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए संबंधित अधिकारियों पर दबाव बनाने का भी आह्वान किया.
हिंदू जनजागृति समिति का प्राथमिक उद्देश्य हिंदू राष्ट्र की स्थापना करना है. इसकी वेबसाइट पर कहा गया है कि ‘धर्मनिरपेक्ष’ लोकतंत्र के कारण आज समाज, राष्ट्र और धर्म की स्थिति गिर रही है. हिंदुओं की समस्याओं के समाधान के लिए धर्म आधारित शासन प्रणाली अर्थात हिंदू राष्ट्र की स्थापना समय की मांग है. इसलिए, समिति ने धर्म पर शिक्षा और धर्म की जागृति और सुरक्षा जैसी गतिविधियों के माध्यम से हिंदुओं की राष्ट्रव्यापी एकता का कार्य किया है.
वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के आने के साथ कट्टरपंथी हिंदू संगठन, जो तब तक निष्क्रिय थे, को एक नया जीवन मिला है और तब से वे हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए अपनी मांगों को बढ़ा रहे हैं, जो कि एक धर्मनिरपेक्ष-लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में भारत के स्थापना के विपरीत है.
मालूम हो कि इससे पहले बीते 17 जून को गोवा में आयोजित छह दिवसीय ‘वैश्विक हिंदू राष्ट्र महोत्सव’ के उद्घाटन के अवसर पर लोगों से ‘हिंदुओं के हितों को बढ़ावा देने वाली’ पार्टियों को वोट देने का आग्रह करते हुए हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर के पौत्र रंजीत सावरकर ने मुस्लिम समुदाय के आर्थिक बहिष्कार करने और हिंदुओं से केवल ‘हिंदू-से-हिंदू’ व्यापार करने का आह्वान किया था.
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