गौहाटी हाईकोर्ट ने 11 जुलाई को होने वाले भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव पर रोक लगाई

गौहाटी हाईकोर्ट ने असम कुश्ती संघ की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें मांग की गई है कि चुनाव प्रक्रिया तब तक रोक दी जानी चाहिए, जब तक कि उनकी संस्था को भारतीय कुश्ती महासंघ से मान्यता नहीं मिलती और वे मतदाता सूची के लिए अपने प्रतिनिधि को नामांकित नहीं कर देते.

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(फोटो साभार: फेसबुक)

गौहाटी हाईकोर्ट ने असम कुश्ती संघ की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें मांग की गई है कि चुनाव प्रक्रिया तब तक रोक दी जानी चाहिए, जब तक कि उनकी संस्था को भारतीय कुश्ती महासंघ से मान्यता नहीं मिलती और वे मतदाता सूची के लिए अपने प्रतिनिधि को नामांकित नहीं कर देते.

(फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: गौहाटी हाईकोर्ट ने असम कुश्ती संघ (एडब्ल्यूए) की याचिका पर सुनवाई करते हुए रविवार को 11 जुलाई को होने वाले भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के चुनावों पर रोक लगा दी.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, एडब्ल्यूए ने डब्ल्यूएफआई, भारतीय ओलंपिक संघ और खेल मंत्रालय के खिलाफ दायर अपनी याचिका में कहा कि हालांकि यह डब्ल्यूएफआई का एक संबद्ध सदस्य होने का हकदार था, लेकिन 15 नवंबर 2014 को गोंडा में डब्ल्यूएफआई की जनरल काउंसिल में तत्कालीन डब्ल्यूएफआई कार्यकारी समिति द्वारा की गई सिफारिश के बावजूद इसे अनुमति नहीं दी गई.

पीटीआई ने बताया कि डब्ल्यूएफआई तदर्थ (Ad-hoc) समिति ने निर्वाचक मंडल के लिए नाम प्राप्त करने की अंतिम तिथि 25 जून तय की थी, जबकि नई संचालन संस्था के चयन के लिए चुनाव 11 जुलाई को होने थे.

एडब्ल्यूए ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया तब तक रोक दी जानी चाहिए, जब तक कि उनकी संस्था को डब्ल्यूएफआई से मान्यता नहीं मिलती और वे मतदाता सूची के लिए अपने प्रतिनिधि को नामांकित नहीं कर पाते.

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने प्रतिवादियों – डब्ल्यूएफआई की तदर्थ समिति और खेल मंत्रालय को निर्देश दिया कि अगली सुनवाई तय होने तक कार्यकारी समिति के चुनाव की दिशा में  आगे न बढ़ें.

रिपोर्ट में कहा गया है कि मामले की अगली सुनवाई 17 जुलाई को होगी.

टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार, यह पहली बार नहीं है कि डब्ल्यूएफआई चुनाव में देरी हुई है. खेल मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार चुनाव 30 जून को होना था, जिसे हाईकोर्ट के नवीनतम आदेश से पहले 11 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया था.

भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह को पद से हटाना और नए चुनाव कराने का वादा पहलवानों की प्रमुख मांगों में से एक है, जिन्होंने छह बार के भाजपा सांसद (बृजभूषण) पर खिलाड़ियों के साथ यौन उत्पीड़न और जबरदस्ती करने का आरोप लगाया है.

बीते 25 जून को पहलवानों ने चुनाव कराने की प्रक्रिया में सरकार की प्रगति का हवाला देते हुए अपना विरोध समाप्त करने और अदालत में लड़ाई जारी रखने के निर्णय की घोषणा की.

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