भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद पर गोली चलने समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

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(फोटो: द वायर)

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में भीम आर्मी और आज़ाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद के काफिले पर बुधवार को अज्ञात हमलावरों द्वारा गोलियां चलाई गईं. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, घटना में चंद्रशेखर को कमर पर घाव आया है और उन्हें देवबंद के एक अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. एसपी (सिटी) अभिमन्यु मांगलिक ने बताया है कि हमलावर एक कार में थे और उन्होंने आज़ाद की एसयूवी पर दाहिनी ओर से गोलियां चलाईं. एक गोली उनके पेट को छूती हुई निकल गई. इसके बाद हमलावर भाग गए. घायल चंद्रशेखर ने एक बयान में कहा कि उन्हें हमलावरों के बारे में सही से याद नहीं लेकिन उनके साथ गाड़ी में मौजूद लोग उन्हें पहचान सकते हैं. घटना के समय चंद्रशेखर के साथ गाड़ी में उनके छोटे भाई समेत पांच लोग थे.

दिल्ली यूनिवर्सिटी द्वारा 29 जून (ईद उल जुहा के अवकाश) को ‘वर्किंग डे’ घोषित किए जाने के बाद शिक्षकों ने इसका विरोध किया है. विश्वविद्यालय ने एक अधिसूचना में कहा कि 29 जून को कार्य दिवस के रूप में चिह्नित किया गया है क्योंकि डीयू के शताब्दी समारोह का समापन कार्यक्रम 30 जून को निर्धारित है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि होंगे. जो कर्मचारी इस दिन त्योहार मनाना चाहते हैं, उन्हें कार्यालय में उपस्थित होने से छूट दी गई है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने इस क़दम को ‘बेहद सांप्रदायिक’ बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है.

कर्नाटक में भाजपा की आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय के खिलाफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी से संबंधित एक ट्वीट करने को लेकर एफआईआर दर्ज की गई है. रिपोर्ट के अनुसार, मालवीय ने 17 जून को ‘राहुल गांधी ख़तरनाक हैं और एक चालाक खेल खेल रहे हैं…’ लिखते हुए एनिमेटेड वीडियो ट्वीट किया था, जिसमें राहुल गांधी के भाषणों का कथित तौर पर मज़ाक उड़ाया गया था. कर्नाटक कांग्रेस नेता रमेश बाबू की शिकायत पर मालवीय के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है.

गुजरात में अतिक्रमण के आरोपों का सामना कर रही करीब सौ साल पुरानी एक दरगाह का ध्वस्तीकरण रोकते हुए हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, अरावली ज़िले में धनसुरा शहर के भेंसवाडा गांव की ग्राम पंचायत ने दरगाह पर ग्राम पंचायत ने चरागाह भूमि का अतिक्रमण करने का आरोप लगाया था और एक नोटिस जारी कर 28 जून को उसे गिराए जाने की बात कही थी, जिसे अदालत में चुनौती दी गई थी. याचिकाकर्ता ग्रामीणों का कहना है कि यह वक्फ की संपत्ति है और उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के तहत संरक्षित है. कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर 17 जुलाई तक जवाब मांगा है और तब तक कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है.

बीते पचास दिनों से अधिक समय से हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में राज्य सरकार दफ्तर न आने वाले सरकारी कर्मचारियों पर ‘काम नहीं तो वेतन नहीं’ नियम लागू करेगी. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि उन सभी कर्मचारियों पर ‘काम नहीं, वेतन नहीं’ नियम लागू किया जा सकता है जो अधिकृत अवकाश के बिना अपनी आधिकारिक ड्यूटी पर नहीं पहुंच रहे हैं. पूर्वोत्तर राज्य में मेईतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है, लाखों रुपये की संपत्ति नष्ट हो चुकी है और 50 हजार से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.

यूपी के बरेली में एक अस्पताल में बच्चे का खतना करने के दावे पर हिंदुत्ववादी गुटों के हंगामे के बाद इसका लाइसेंस रद्द कर दिया गया. द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, घटना डॉ. एम. खान अस्पताल की है. वहां ढाई साल के बच्चे को भर्ती कराया गया था, जिसके माता-पिता का दावा है कि उसे जीभ की सर्जरी के लिए लाया गया था, लेकिन डॉक्टर ने उसका खतना कर दिया. डॉक्टर ने इस दावे को मनगढ़ंत बताया है. हालांकि, एक शीर्ष सरकारी अधिकारी का कहना है कि इस मामले की प्रारंभिक जांच में कोई चिकित्सीय लापरवाही नहीं पाई गई है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंगलवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की वकालत करने के बाद विपक्ष ने उन्हें निशाने पर लिया है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मोदी के मध्य प्रदेश में यूसीसी को दिए बयान के बाद विपक्षी दलों ने कहा है कि वे कई मोर्चों पर उनकी सरकार की विफलता से ध्यान भटकाने के लिए विभाजनकारी राजनीति का सहारा ले रहे हैं. कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री की टिप्पणियों का उद्देश्य उन ज्वलंत मुद्दों, जिनका देश के लोग सामना कर रहे हैं, से ध्यान भटकाना है. राजद ने भी कहा कि ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री भड़काऊ राजनीति में शामिल होने के अवसरों की तलाश में हैं. तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके ने यूसीसी पर सवाल उठाया और कहा कि इसे सबसे पहले हिंदुओं पर लागू करना चाहिए. मुस्लिम संगठनों ने भी प्रधानमंत्री मोदी की यूसीसी पर टिप्पणी को ‘अवांछित’ बताया है.

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