पेय-खाद्य पदार्थों में प्रयुक्त स्वीटनर को ‘संभवत: कैंसरकारी’ घोषित करेगी डब्ल्यूएचओ संस्था

पेय पदार्थ बनाने वाली कंपनी कोका-कोला के डाइट कोक से लेकर ‘मार्स रिंगली’ के एक्स्ट्रा च्यूइंग गम और कुछ स्नैपल कंपनी के कुछ पेय पदार्थों में इस्तेमाल होने वाले स्वीटनर एस्पार्टेम को जुलाई में डब्ल्यूएचओ की कैंसर शाखा इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर द्वारा पहली बार ‘संभवत: मनुष्यों के लिए कैंसरकारी’ के रूप में सूचीबद्ध किया जाएगा.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक/Diet Coke/Mars Wrigley/Snapple)

पेय पदार्थ बनाने वाली कंपनी कोका-कोला के डाइट कोक से लेकर ‘मार्स रिंगली’ के एक्स्ट्रा च्यूइंग गम और कुछ स्नैपल कंपनी के कुछ पेय पदार्थों में इस्तेमाल होने वाले स्वीटनर एस्पार्टेम को जुलाई में डब्ल्यूएचओ की कैंसर शाखा इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर द्वारा पहली बार ‘संभवत: मनुष्यों के लिए कैंसरकारी’ के रूप में सूचीबद्ध किया जाएगा.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक/Diet Coke/Mars Wrigley/Snapple)

नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कैंसर अनुसंधान प्रभाग दुनिया के सबसे व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले कृत्रिम मिठासों यानी स्वीटनर (Artificial Sweeteners) में से एक एस्पार्टेम (Aspartame) को ‘संभवत: कैंसरकारी’ घोषित करने की तैयारी कर रहा है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कैंसर अनुसंधान प्रभाग अगले महीने अपने निष्कर्षों की घोषणा करेगा.

सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि पेय पदार्थ बनाने वाली कंपनी कोका-कोला के डाइट कोक से लेकर ‘मार्स रिंगली’ के एक्स्ट्रा च्यूइंग गम और कुछ स्नैपल कंपनी के कुछ पेय पदार्थों में इस्तेमाल होने वाले एस्पार्टेम को जुलाई में डब्ल्यूएचओ की कैंसर अनुसंधान शाखा ‘इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर’ (आईएआरसी) द्वारा पहली बार ‘संभवत: मनुष्यों के लिए कैंसरकारी’ के रूप में सूचीबद्ध किया जाएगा.

हालांकि आईएआरसी का निर्णय 14 जुलाई तक गोपनीय है, सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि उसने जून के अंत तक एस्पार्टेम स्वीटनर के कैंसर पैदा करने के संभावित कारण के बारे में अपना आकलन पूरा कर लिया है.

एस्पार्टेम एक प्रकार का कृत्रिम स्वीटनर है, जो टेबल चीनी (पौधों से बनाया जाने वाला) की तुलना में 180 गुना अधिक मीठा होता है और इसका उपयोग आइसक्रीम, डाइट कोल्ड ड्रिंक और च्यूइंग गम जैसे सामान्य उत्पादों में किया जाता है.

इन्हें गैर-पोषक मिठास या ‘चीनी के विकल्प’ के रूप में भी जाना जाता है. हालांकि इनका स्वाद मीठा होता है, लेकिन कृत्रिम मिठास शरीर को बहुत कम या बिल्कुल भी ऊर्जा नहीं प्रदान करते हैं.

आईएआरसी का यह फैसला सिर्फ ‘एस्पार्टेम की कैंसरजन्यता को समझने के पहले मौलिक कदम’ के रूप में काम करेगा.

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोई व्यक्ति कितनी मात्रा में स्वीटनर का सुरक्षित रूप से उपभोग कर सकता है, इसकी सिफारिशें डब्ल्यूएचओ की एक अन्य इकाई ‘जॉइंट डब्ल्यूएचओ’ और फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशंस एक्सपर्ट कमेटी ऑन फूड एडिटिव्स (जेईसीएफए) द्वारा जारी की जाएंगी.

जेईसीएफए एडिटिव्स पर डब्ल्यूएचओ की एक समिति है.

यह भी 14 जुलाई को अपने निर्णय की घोषणा करेगा, हालांकि 1981 से यह कायम है कि स्वीकृत दैनिक सीमा के भीतर एस्पार्टेम का सेवन सुरक्षित है.

हालांकि स्वीटनर की प्रत्याशित ‘संभवत: कैंसरकारी’ स्थिति से इस उद्योग से जुड़ीं कंपनियों और नियामक खिलाड़ियों ने इनकार किया है.

इंटरनेशनल स्वीटनर्स एसोसिएशन के महासचिव फ्रांसिस हंट-वुड ने रॉयटर्स को बताया, ‘आईएआरसी एक खाद्य सुरक्षा निकाय नहीं है और एस्पार्टेम की उनकी समीक्षा वैज्ञानिक रूप से व्यापक नहीं है और व्यापक रूप से बदनाम शोध पर आधारित है.’

पिछले महीने डब्ल्यूएचओ ने कृत्रिम स्वीटनर के इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा था कि इनके लंबे समय तक इस्तेमाल से वयस्कों में टाइप-2 मधुमेह, हृदय रोग और मृत्यु दर का खतरा बढ़ सकता है.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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