तेलंगाना: राजनीतिक वीडियो बनाने के कारण महिला पत्रकार को मौत की धमकी, ऑनलाइन ट्रोलिंग भी जारी

कुछ साल पहले अपना यूट्यूब चैनल शुरू करने के बाद से तेलंगाना की स्वतंत्र पत्रकार तुलसी चंदू को ऑनलाइन दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है. अपने वीडियो को लेकर उन्हें ‘हिंदू विरोधी’, ‘अर्बन नक्सल’ और ‘कम्युनिस्ट’ के रूप में ब्रांड किया जाता है. अब उन्हें जान से मारने की धमकी भी मिलने लगी है.

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पत्रकार तुलसी चंदू. (फोटो साभार: फेसबुक)

कुछ साल पहले अपना यूट्यूब चैनल शुरू करने के बाद से तेलंगाना की स्वतंत्र पत्रकार तुलसी चंदू को ऑनलाइन दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है. अपने वीडियो को लेकर उन्हें ‘हिंदू विरोधी’, ‘अर्बन नक्सल’ और ‘कम्युनिस्ट’ के रूप में ब्रांड किया जाता है. अब उन्हें जान से मारने की धमकी भी मिलने लगी है.

पत्रकार तुलसी चंदू. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: तेलुगू पत्रकार तुलसी चंदू के लिए ट्रोलिंग और ऑनलाइन उत्पीड़न कोई नई बात नहीं है. अपना यूट्यूब चैनल ‘तुलसी चंदू’ (Thulasi Chandu) शुरू करने के बाद से तीन वर्षों में इस 36 वर्षीय स्वतंत्र पत्रकार को अन्य लोगों के अलावा ‘हिंदू विरोधी’, ‘अर्बन नक्सल’ और ‘कम्युनिस्ट’ के रूप में ब्रांड किया गया है.

हालांकि, पिछले हफ्ते किए गए एक फेसबुक पोस्ट में चंदू ने कहा था कि उन्हें अपनी जान का खतरा है.

उन्होंने बीते 24 जून को फेसबुक पर तेलुगू में लिखा, ‘किसी दिन, कुछ निर्दोष युवा जिस पार्टी से वे प्यार करते हैं, उसमें भरी नफरत को तलवार या गोली में बदल कर मुझ पर हमला करेंगे.’

उन्होंने कहा था, ‘वे मुझसे नफरत कर रहे हैं, क्योंकि मैं कह रही हूं कि धार्मिक नफरत किसी भी देश के युवाओं के लिए सबसे खतरनाक चीज है.’

द वायर से बात करते हुए चंदू ने कहा कि पत्रकार होने के अपने 15 वर्षों में उन्हें कभी भी इतना डर महसूस नहीं हुआ, जितना अब हो रहा है.

उन्होंने कहा, ‘अभी बहुत डर है. मुझे अपने छोटे बच्चों (पांच और 12 वर्ष की आयु), अपनी बूढ़ी मां के लिए डर है. मेरे पति ने मेरा बहुत साथ दिया है, लेकिन मैं एक अकेली औरत हूं और वे एक संगठन के रूप में मुझ पर हमला कर रहे हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘वे मेरे वीडियो की आलोचना नहीं कर रहे हैं, वे सीधे मुझ पर व्यक्तिगत हमले कर रहे हैं, मुझे शर्मसार कर रहे हैं और मुझे हिंदू विरोधी के रूप में प्रचारित कर रहे हैं, भले ही मैंने हिंदू धर्म पर कोई वीडियो नहीं बनाया है. मेरे वीडियो केवल लोगों को शिक्षित करने और वर्तमान राजनीति में किसी भी मुद्दे पर पूरी तस्वीर देने के लिए होते हैं.’

चंदू ने कहा कि उनके यूट्यूब चैनल शुरू करने के तीन महीने के भीतर ही ये दुर्व्यवहार शुरू हो गया था.

उन्होंने आगे कहा, ‘अपना यूट्यूब चैनल शुरू करने के तीन महीने बाद मैंने एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें यह समझाने की कोशिश की गई थी कि कैसे भाजपा और एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) एक ही हैं. ‘डियर पीपल, रिलिजन इज कमिंग, बी अवेयर’ शीर्षक वाले वीडियो में बताया गया है कि कैसे ये दोनों पार्टियां लोगों को धर्म के आधार पर बांट रही हैं.’

उनके अनुसार, ‘यह वीडियो व्यापक रूप से प्रसारित किया गया और बहुत तेजी से वायरल हो गया. तभी मुझे पहली बार दक्षिणपंथी हिंदू समूहों से धमकियां और गालियां मिलनी शुरू हुईं.’

चंदू ने कहा कि यूट्यूब पर उनके वीडियो पर कमेंट करने के अलावा, लोगों ने दुर्व्यवहार के एकमात्र इरादे से उन्हें फोन करना शुरू कर दिया. उन्होंने कहना शुरू कर दिया कि ‘आप केवल हिंदुओं को ही सीख क्यों देती हैं, अन्य धर्मों को क्यों नहीं?’

उन्होंने कहा, ‘चूंकि मैं एक पत्रकार हूं, इसलिए लोगों को मेरा नंबर आसानी से मिल सकता है. मुझे केन्या से भी फोन आए हैं, जिनमें अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए कहा गया है कि हिंदुओं को उपदेश देने वाली तुम कौन होती हो?’

भारत में 1992 से 2023 के बीच 91 पत्रकार मारे गए

कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स के अनुसार, 1992 से 2023 के बीच भारत में 91 पत्रकार मारे गए हैं.

पेरिस स्थित मीडिया वॉचडॉग रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) द्वारा बीते मई महीने में जारी विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक का 21वां संस्करण जारी किया.

रिपोर्ट के अनुसार, प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में 180 देशों में भारत 161वें पायदान पर रहा. बीते वर्ष की तुलना में भारत की रैंक 11 स्थान नीचे गिरी है. वर्ष 2022 में भारत 150वें पायदान पर रहा था. इस प्रकार भारत उन 31 देशों में शामिल है, जहां आरएसएफ का मानना है कि पत्रकारों के लिए स्थिति ‘बहुत गंभीर’ है.

भारत को इस तरह वर्गीकृत क्यों किया गया है, इस बारे में अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में आरएसएफ ने कहा है, ‘पत्रकारों के खिलाफ हिंसा, राजनीतिक रूप से पक्षपातपूर्ण मीडिया और मीडिया स्वामित्व का केंद्रीकरण सभी दिखाते हैं कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और हिंदू राष्ट्रवाद के अवतार नरेंद्र मोदी द्वारा 2014 से शासित ‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र’ में प्रेस की स्वतंत्रता संकट में है.’

सोशल मीडिया की ताकत

स्वतंत्र रूप से पत्रकारिता में अपना करिअर शुरू करने से पहले तुलसी चंदू ने ईनाडु, आंध्र ज्योति और साक्षी सहित लोकप्रिय तेलुगू समाचार पत्रों के साथ काम किया है.

चंदू ने कहा, ‘जब मैं ‘नेटवर्क ऑफ वूमन इन मीडिया’ की सदस्य बन गई, तो मैं स्वतंत्र महिला पत्रकारों द्वारा किए गए काम से प्रेरित हुई और अपना खुद का यूट्यूब चैनल शुरू करने का फैसला किया.’

उन्होंने कहा, ‘मैंने सोशल मीडिया की ताकत देखी और अपने फोन से वीडियो बनाना शुरू कर दिया. लगभग तीन महीने पहले तक मैं अपने फोन और अपने कंप्यूटर सिस्टम पर अपने वीडियो एडिट भी कर रही थी. अब मेरे पास एक वीडियो एडिटर है.’

एआईएमआईएम और भाजपा को लेकर वीडियो बनाने को लेकर हुए दुर्व्यवहार के बावजूद चंदू ने इसे गंभीरता से लेने और अपना काम जारी रखने का फैसला किया.

उन्होंने कहा, ‘इस संबंध में मैंने कोई केस दर्ज नहीं कराया है, क्योंकि उस समय मुझे लगा कि एक पत्रकार के लिए इस तरह की गालियां मिलना बहुत सामान्य बात है. तब मुझे ऐसी कोई धमकियां नहीं मिली थीं, यह केवल दुर्व्यवहार था.’

चंदू ने कहा कि उन्होंने अपने यूट्यूब वीडियो में राष्ट्रीय राजनीति पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है.

उन्होंने कहा, ‘तेलुगू मीडिया का ध्यान राष्ट्रीय राजनीति पर नहीं है, इसलिए मैंने अपने वीडियो में राष्ट्रीय विकास और मुद्दों को समझाने का विकल्प चुना.’

साल 2020 में जब किसानों ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में अपना आंदोलन शुरू किया था, तो चंदू ने किसानों के रुख को समझाते हुए वीडियो बनाए थे.

चंदू ने कहा, ‘मैंने एक वीडियो बनाया, जिसमें बताया गया कि किसान विरोध क्यों कर रहे हैं. इस वीडियो पर किए गए कमेंट में मुझे राष्ट्र-विरोधी करार दिया गया और मेरे इनबॉक्स में मैसेज की बाढ़ आ गई.’

उन्होंने कहा, ‘मैंने धैर्यपूर्वक उन्हें समझाने की कोशिश की, जो मेरी सबसे बड़ी गलती थी, क्योंकि मुझे अपने यूट्यूब वीडियो पर आए कमेंट का जवाब देने की आदत है, लेकिन ट्रोलिंग नहीं रुकी.’

‘हिंदू-विरोधी’ बताकर घृणा और दुर्व्यवहार

अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किए गए 337 वीडियो में चंदू ने सभी सरकारों से सवाल पूछने की कोशिश की है, चाहे सत्ता में कोई भी राजनीतिक दल हो. हालांकि, चंदू ने कहा कि दक्षिणपंथी ट्रोल हमेशा उन्हें ‘हिंदू विरोधी’ के रूप में चित्रित करने की कोशिश करते थे.

उन्होंने कहा, ‘दक्षिणपंथी चैनलों ने मुझे हिंदू विरोधी दिखाने की कोशिश की, क्योंकि मैंने यह दिखाने की कोशिश की थी कि कैसे द कश्मीर फाइल्स एक प्रोपगेंडा फिल्म थी. मैंने गुजरात दंगों और बिलकीस बानो और संजीव भट्ट, कर्नाटक हिजाब विवाद आदि पर एक्सप्लेनर वीडियो किए थे.’

5 जनवरी 2022 को चंदू ने ‘पादरी परमज्योति राजू’ नाम के एक फेसबुक पेज पर उनकी मॉर्फ्ड (छेड़छाड़ की गईं) तस्वीरें अपलोड करने के बाद एफआईआर दर्ज कराई थी.

तेलंगाना के मंत्री केटी रामाराव ने ट्विटर पर इस संबंध में पुलिस को कार्रवाई करने का निर्देश दिया, हालांकि चंदू ने कहा कि कोई कार्रवाई नहीं की गई.

बीते 26 जून को पत्रकार तुलसी चंदू ने एक और एफआईआर दर्ज कराई है. इस बार पादरी परमज्योति राजू के फेसबुक पेज के साथ-साथ तीन यूट्यूब चैनलों (@Ahambramhasmiol, @rjkiran379 और @Mathonmadampairamabana) को नामजद किया है.

उन्होंने कहा, ‘ये तीन यूट्यूब चैनल मुझे गाली देते हैं और दूसरों को यह कहते हुए उकसाते हैं कि ‘अगर आप असली हिंदू हैं तो जाएं और उसके चैनल की रिपोर्ट करें’, ‘इस अर्बन नक्सल को बेनकाब करें’. वे मुझे कम्युनिस्ट कहते हैं और ‘हमें उसे मारना होगा’, ‘हमें उसकी योनि में छड़ें डालनी होंगी’, ‘हमें उसे मारने के लिए आतंकवादियों को सौंपना होगा’, जैसी टिप्पणियां करते हैं.’

चंदू के मुताबिक, ये चैनल उनके वीडियो के नीचे कमेंट सेक्शन में अपने वीडियो लिंक पोस्ट करते हैं.

उन्होंने कहा, ‘मेरे दर्शक स्वत: ये वीडियो देखते हैं और मुझसे सवाल करते हैं. बिना नाम और चेहरे वाले एकाउंट मेरे फेसबुक और इंस्टाग्राम मैसेज भेजने के साथ मुझे लगातार गालियां देते हैं.’

बीते 26 जून को दर्ज एफआईआर में कहा गया है, ‘इन यूट्यूब चैनलों और फेसबुक पेजों ने शिकायतकर्ता के खिलाफ विभिन्न वीडियो बनाए हैं, जिसमें आरोप लगाया गया है कि वह हिंदू धर्म के खिलाफ है. ऐसा प्रतीत होता है कि वे शिकायतकर्ता को नकारात्मक रूप से चित्रित करके और हिंदू धर्म पर उसके विचारों को गलत तरीके से प्रस्तुत करके उन्हें बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं. इसके अलावा सभी आरोपी शिकायतकर्ता को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दे रहे हैं.’

चंदू ने कहा कि लगातार दुर्व्यवहार उनके 12 वर्षीय बेटे तक भी पहुंच गया है, जिसे अब अपनी मां की जान का डर है.

उन्होंने कहा, ‘क्योंकि वह सब कुछ देखता है. वह जोर देकर कहता रहता है कि ‘अम्मा इसे बंद करो, ये राजनीतिक वीडियो मत करो, हम तुम्हें खोना नहीं चाहते.’

जब उनसे पूछा गया कि क्या वह ऐसे हमलों और अपने जीवन और सुरक्षा के लिए तत्काल खतरे के कारण पत्रकारिता छोड़ना चाहती हैं, तो चंदू ने इससे इनकार कर दिया. वे कहती हैं, ‘नहीं, यह मेरा जुनून और मेरी आजीविका है. मैं समाज सेवा नहीं कर रही हूं. यह मेरा काम है.’

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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