बीते 3 मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से राजधानी इंफाल को नगालैंड के दीमापुर शहर से जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग-2 को अवरुद्ध कर दिया गया था. कुकी समूहों ने कहा कि राज्य में आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए नाकाबंदी हटा ली गई है.
नई दिल्ली: मणिपुर में मई महीने में हिंसा भड़कने के दो महीने बाद भी हत्याएं जारी हैं. इस कड़ी में बीते 2 जुलाई को चार लोग मारे गए. पुलिस का कहना है कि उनमें से एक का सिर काट दिया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार (2 जुलाई) को चुराचांदपुर जिले के हमार-कुकी गांव लंग्ज़ा में डेविड थीक नाम के एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई और उनका सिर काट दिया गया.
स्थानीय निवासियों के अनुसार, रविवार तड़के गांव पर हमला हुआ, जबकि गांव के अधिकांश निवासी भाग गए, गांव के कुछ स्वयंसेवक वहीं रह गए. हमले के दौरान स्वयंसेवकों में से एक डेविड थीक को मार दिया गया.
इसके अलावा घाटी क्षेत्र में चुराचांदपुर के पहाड़ी जिले की सीमा पर स्थित बिष्णुपुर जिले के खोइजुमंतबी में गोलीबारी की एक घटना में मेईतेई समुदाय के तीन लोगों की मौत हो गई. मृतकों की पहचान निंगोमबाम इबोचा (34 वर्ष), नाओरेम राजकुमार (26 वर्ष) और हाओबाम इबोचा (44 वर्ष) के रूप में हुई.
लगभग 15 दिनों की अपेक्षाकृत शांति के बाद बीते 29 जून से राज्य में पहाड़ियों और घाटी की सीमा पर स्थित क्षेत्रों में हिंसा की घटनाओं में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई है. हाल की मौतों के साथ 3 मई को हिंसा शुरू होने के बाद से राज्य में मारे गए लोगों की कुल संख्या कम से कम 137 हो गई है.
रिपोर्ट के अनुसार, इस बीच कुकी विद्रोही समूहों ने कहा कि वे मणिपुर के कांगपोकपी जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग पर नाकाबंदी हटा देंगे. यह नाकाबंदी केवल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की राज्य यात्रा के दौरान हटाई गई थी, लेकिन 9 जून को कांगपोकपी जिले में कुकी-ज़ोमी समुदाय के तीन लोगों की हत्या के बाद इसे फिर से बंद कर दिया गया था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट और कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन ने एक बयान जारी कर कहा है कि राज्य में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए नाकाबंदी हटा दी जाएगी. दोनों संगठन केंद्र सरकार के साथ 2008 के सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (एसओओ) समझौते पर हस्ताक्षरकर्ता हैं.
इसी बीच, कुकी समूहों ने हिंसा प्रभावित मणिपुर में आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एनएच-2 पर से नाकाबंदी हटा ली है. यह राजमार्ग राजधानी इंफाल को नगालैंड के दीमापुर शहर से जोड़ता है. बीते 3 मई को हिंसा भड़कने के बाद इस मार्ग को अवरुद्ध कर दिया गया था.
Manipur insurgent groups lift blockade on NH-2 to ensure uninterrupted supply of essential commodities in violence-hit state
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— ANI Digital (@ani_digital) July 2, 2023
इंफाल फ्री प्रेस की रिपोर्ट में यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट और कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन के हवाले से कहा है, ‘सभी संवेदनशील क्षेत्रों में केंद्रीय बलों की तैनाती पूरी हो जाने के बाद कुकी समूह शांति और सद्भाव बहाल करने में मदद करने के लिए अपने ‘स्वयंसेवकों’ को उन स्थानों से हटा लेंगे.’
पश्चिम इंफाल जिले में कर्फ्यू में आज सुबह 5 बजे से शाम 6 बजे तक 13 घंटे की ढील दी जाएगी. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, एक दिन पहले मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने बिष्णुपुर-चुराचांदपुर से सटे पहाड़ियों का दौरा किया था.
समझा जाता है कि चुराचांदपुर जिले से लगभग 1,900 मेईतेई परिवार विस्थापित हो गए हैं. इस बीच, इंफाल में कुछ कुकी बहुल इलाकों का नाम मेईतेई द्वारा बदल दिया गया है. यह समझा जाता है कि संपत्तियों को समुदाय द्वारा जब्त नहीं किया गया है.
इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने जून के मध्य में मेईतेई लोगों के स्वामित्व वाली भूमि के वितरण के दौरान ज़ोमी रिवोल्यूशनरी आर्मी और कुकी गांव रक्षा बल के बीच गोलीबारी की घटना की निंदा की थी.
उल्लेखनीय है कि बीते 3 मई से कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोग मारे गए हैं. लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं.
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेईतेई समुदाय की मांग के विरोध में बीते 3 मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं, हिंसा में बदल गई और अब भी जारी हैं.
मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेईतई समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं.