शरद पवार के सुनील तटकरे और प्रफुल्ल पटेल को एनसीपी से निकालने समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर/pixabay)

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महाराष्ट्र में एनसीपी में हुई दोफाड़ के बाद सोमवार को पार्टी प्रमुख शरद पवार ने शिंदे सरकार के साथ गए सुनील तटकरे और प्रफुल्ल पटेल को ‘पार्टी-विरोधी गतिविधि’ का हवाला देते हुए दल से बाहर कर दिया है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पार्टी ने अजित पवार और पार्टी के अन्य आठ विधायकों को एक पत्र भेजकर उनके खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही की जानकारी दी. जवाब में, पटेल ने महाराष्ट्र एनसीपी अध्यक्ष के रूप में जयंत पाटिल को हटा दिया और तटकरे को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया था. इससे पहले रविवार को अजित पवार ने राज्य के दूसरे उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, जहां उनके साथ सरकार में शामिल हुए नौ नेता भी थे. रिपोर्ट के अनुसार, इन नौ में से पांच भ्रष्टाचार के मामलों में जांच का सामना कर रहे हैं.

मणिपुर में दो महीने से चल रही जातीय हिंसा के बीच लगातार अलग प्रशासन की मांग उठी है, हालांकि अब मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा है कि वे किसी भी कीमत पर ऐसा नहीं होने देंगे. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, एक साक्षात्कार में सिंह ने कहा, ‘मैं बिना कोई अलग प्रशासन बनाए मणिपुर की क्षेत्रीय एकता को अक्षुण्ण रखने की कोशिश करूंगा. मैं एक मुख्यमंत्री के तौर पर और भाजपा की तरफ से वचन देता हूं कि मैं एक अलग प्रशासन के बनाने के लिए मणिपुर को बंटने नहीं दूंगा और राज्य की एकता के लिए सभी बलिदान दूंगा.’ इससे पहले मुख्यमंत्री के ट्विटर हैंडल से कुछ अन्य यूजर्स से उलझने की खबर भी सामने आई थी. इन यूजर्स द्वारा कथित तौर पर सिंह के इस्तीफे को लेकर सवाल किए गए थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की वकालत के बाद पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में इसके विरोध के स्वर तेज हो रहे हैं. द हिंदू के अनुसार, मेघालय, मिज़ोरम और नगालैंड में विभिन्न संगठन इसके ख़िलाफ़ नजर आ रहे हैं. वहीं, नगालैंड के एक संगठन ने चेतावनी दी है कि अगर विधानसभा केंद्र के दबाव के आगे झुकती है और यूसीसी के समर्थन में विधेयक पारित करती है तो सभी 60 विधायकों के आधिकारिक आवास को जला दिया जाएगा. पूर्वोत्तर भारत दुनिया के सबसे सांस्कृतिक रूप से विविध क्षेत्रों में से एक है और 220 से अधिक जातीय समुदायों का घर है. ऐसे में लोगों को डर है कि यूसीसी संविधान द्वारा संरक्षित उनके पारंपरिक कानूनों को प्रभावित करेगा.

बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) में यूएपीए पर एक चर्चा रद्द किए जाने के बाद 500 से अधिक वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और छात्रों ने विरोध जताते हुए कहा है कि इससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आईआईएससी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, बीते 28 जून को संस्थान में छात्र कार्यकर्ताओं- नताशा नरवाल और देवांगना कलीता की अगुवाई में ‘यूएपीए, जेल और आपराधिक न्याय प्रणाली’ पर चर्चा को अंतिम समय पर रद्द कर दिया गया था. आईआईएससी निदेशक को लिखे पत्र में हस्ताक्षरकर्ताओं ने आग्रह किया है कि संस्थान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित करे.

केंद्र की मोदी सरकार ने भारत की जी-20 अध्यक्षता की आउटडोर पब्लिसिटी पर 50.6 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. न्यूज़लॉन्ड्री की रिपोर्ट बताती है कि उनके आरटीआई आवेदन के जवाब में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि कौन-सा मंत्रालय इस राशि का भुगतान करेगा, हालांकि सेंट्रल ब्यूरो ऑफ कम्युनिकेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भुगतान सीबीसी के माध्यम से विदेश मंत्रालय द्वारा किया जाएगा. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पब्लिसिटी के काम के लिए 100 कंपनियों को ठेके दिए गए, जिनमें से एक भाजपा सदस्य से जुड़ी थी.

उत्तर प्रदेश के बागपत में पुलिस द्वारा पूछताछ द्वारा ले जाए जाने के बाद एक शख्स की मौत का मामला सामने आया है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक,  रटौल कस्बे में रविवार को पुलिस ने 28 वर्षीय मोहम्मद साजिद को जुआ खेलने के आरोप में उठाया था. उन्हें छोड़ने के कुछ समय बाद उनकी मौत हो गई. परिजनों ने पुलिस चौकी में उन्हें प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगाते जिए ज़िम्मेदार पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की है.

ओडिशा में पिछले तीन महीनों में हाथियों के साथ संघर्ष में 57 लोगों की मौत की खबर सामने आई है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, इस साल के पहले तीन महीनों में जंगली हाथियों के साथ संघर्ष में मानव हताहतों की संख्या में 50 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है. ढेंकनाल ज़िले को हाथियों के उत्पात का सबसे ज़्यादा ख़ामियाजा भुगतना पड़ा है, जहां 14 लोग मारे गए. इसके बाद अंगुल में 13, क्योंझर में 8, मयूरभंज और संबलपुर जिलों में पांच-पांच लोग मारे गए.