मणिपुर: हाइवे से नाकाबंदी हटाने के बाद कुकी प्रवक्ता का घर जलाया, मिज़ोरम सीएम की शांति की अपील

मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरामथांगा ने मणिपुर में शांति का आह्वान करते हुए कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि चीज़ें बेहतर हो जाएंगी, लेकिन स्थितियां और ख़राब होती दिख रही हैं. यह कब रुकेगा? मैं अपने मणिपुरी ज़ो जातीय भाइयों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं. वे पीड़ित मेरे रिश्तेदार हैं, मेरा अपना ख़ून हैं.

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(फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरामथांगा ने मणिपुर में शांति का आह्वान करते हुए कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि चीज़ें बेहतर हो जाएंगी, लेकिन स्थितियां और ख़राब होती दिख रही हैं. यह कब रुकेगा? मैं अपने मणिपुरी ज़ो जातीय भाइयों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं. वे पीड़ित मेरे रिश्तेदार हैं, मेरा अपना ख़ून हैं.

कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन के प्रवक्ता के घर को सोमवार रात आग के हवाले कर दिया गया था. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

नई दिल्ली: बीते सोमवार (3 जुलाई) को दो कुकी समूहों द्वारा दीमापुर-इंफाल राष्ट्रीय राजमार्ग-2 पर 60 दिनों की नाकाबंदी हटाए जाने के तुरंत बाद एक घर जला दिए जाने का मामला सामने आया है. यह घर नाकाबंदी हटाने के लिए सहमत होने वाले संगठनों में से एक का था.

द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुकी-ज़ो समुदाय के नागरिक समाज संगठनों और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (यूपीएफ) तथा कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (केएनओ) के प्रतिनिधियों की 19 सदस्यीय टीम की 30 जून को असम के काजीरंगा में एक वरिष्ठ भाजपा पदाधिकारी से मुलाकात के बाद नाकाबंदी हटाने के निर्णय की घोषणा की गई थी.

राज्य के सभी हिस्सों में आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय लिया गया.

सोमवार रात को कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन के प्रवक्ता सेलेन हाओकिप का घर जला दिया गया. इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फ़ोरम की मीडिया टीम के अनुसार, घर को ‘अज्ञात उपद्रवियों’ ने जलाया है.

सोमवार को ही मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा ने मणिपुर में शांति का आह्वान करते हुए कहा कि स्थिति केवल ‘बदतर’ हुई है.

उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा, ‘यद्यपि हम बहुत सद्भावना, अपेक्षा और भरोसे के साथ उम्मीद कर रहे हैं कि चीजें बेहतर हो जाएंगी, लेकिन स्थितियां और खराब होती दिख रही हैं. यह कब रुकेगा? मैं अपने मणिपुरी ज़ो जातीय भाइयों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं, उन लोगों के लिए मेरी निरंतर प्रार्थनाएं, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है. उनके घर और परिवार टूट गए हैं. भगवान आपको इस विनाशकारी घटना से निपटने के लिए शक्ति और ज्ञान दें.’

उन्होंने आगे कहा, ‘कई लोगों की जान चली गई है. हर तरफ खून-खराबा हुआ है, शारीरिक यातनाएं दी गई हैं और पीड़ित जहां भी संभव हो शरण की तलाश कर रहे हैं. बिना किसी संदेह के, वे पीड़ित मेरे रिश्तेदार हैं, मेरा अपना खून हैं और क्या हमें चुप रहकर स्थिति को देखते रहना चाहिए? मुझे ऐसा नहीं लगता!’

उन्होंने कहा, ‘मैं शांति और सामान्य स्थिति की तत्काल बहाली का आह्वान करना चाहूंगा. भारत के जिम्मेदार और कानून का पालन करने वाले नागरिकों या संस्थाओं के लिए यह अनिवार्य है कि वे शांति बहाली के लिए तत्काल रास्ते तलाशें. मानवीय स्पर्श के साथ विकास और सबका साथ सबका विकास मणिपुर में मेरी ज़ो जातीय जनजातियों पर भी लागू होता है!’

मालूम हो कि हिंसा प्रभावित मणिपुर के 12,000 से अधिक लोगों ने भागकर पड़ोसी राज्य मिजोरम में शरण ली है. राज्य के अधिकारियों ने केंद्र सरकार से इस संबंध में धन की आवश्यकता को दोहराई है. उन्होंने बताया है कि अगर केंद्र तुरंत हस्तक्षेप नहीं करता, तो संभवत: दो सप्ताह के बाद उनके पास संसाधनों की कमी हो जाएगी.

बीते मई महीने में मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जातीय हिंसा से विस्थापित लोगों के समर्थन के लिए कम से कम 10 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की मांग की थी. राज्य के कैबिनेट मंत्री रॉबर्ट रॉयटे के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने धन के लिए दबाव बनाने के लिए इस महीने की शुरुआत में दिल्ली का दौरा भी किया था.

बहरहाल सोमवार को ही मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा कि राज्य में सभी बंकरों को नष्ट किया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने 5 जुलाई से कक्षा 1 से 8 तक के लिए स्कूलों को फिर से खोलने का फैसला किया है.

उल्लेखनीय है कि बीते 3 मई से कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा में अब तक लगभग 140 लोग मारे जा चुके हैं और लगभग 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं.

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेईतेई समुदाय की मांग के विरोध में बीते 3 मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं, हिंसा में बदल गई और अब भी जारी हैं.

मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेईतई समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं.

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