लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग के बाहर खालिस्तान समर्थकों ने फिर किया प्रदर्शन

यह विरोध बीते 18 जून को कनाडा में खालिस्तान आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के विरोध में दुनिया के कई शहरों में आयोजित प्रदर्शनों की श्रृंखला का हिस्सा था. निज्जर आतंकवाद के मामले में भारत में वांछित था. बीते मार्च महीने में खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों ने उच्चायोग में लगे भारतीय ध्वज को नीचे गिरा दिया था.

(फाइल फोटो: ट्विटर/@Pohir)

यह विरोध बीते 18 जून को कनाडा में खालिस्तान आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के विरोध में दुनिया के कई शहरों में आयोजित प्रदर्शनों की श्रृंखला का हिस्सा था. निज्जर आतंकवाद के मामले में भारत में वांछित था. बीते मार्च महीने में खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों ने उच्चायोग में लगे भारतीय ध्वज को नीचे गिरा दिया था.

(फाइल फोटो: ट्विटर/@Pohir)

नई दिल्ली: लंदन में बीते शनिवार को भारतीय उच्चायोग के बाहर एक बार फिर खालिस्तान समर्थकों ने प्रदर्शन किया. बारिश के कारण विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए कम ही संख्या में लोग एकत्र हुए.

यह विरोध बीते 18 जून को कनाडा में खालिस्तान आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के विरोध में मेलबर्न, सैन फ्रांसिस्को और टोरंटो जैसे दुनिया भर के कई शहरों में आयोजित प्रदर्शनों की श्रृंखला का हिस्सा था. निज्जर आतंकवाद के मामले में भारत में वांछित था.

द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को प्रदर्शनकारियों ने ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त और बर्मिंघम में उसके महावाणिज्यदूत की तस्वीरों वाले बैनर प्रदर्शित किए और उन्हें निज्जर की हत्या के लिए दोषी ठहराया. दुनिया भर में विभिन्न भारतीय मिशनों के प्रमुखों के साथ इसी तरह के पोस्टर हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर साझा किए जा रहे हैं.

शनिवार को भी पाकिस्तान और कश्मीर के समर्थन वाले पोस्टर लगे थे.

ब्रिटेन के विदेश सचिव जेम्स क्लेवरली ने बीते गुरुवार (6 जुलाई) को ट्विटर पर घोषणा की थी कि उन्होंने उच्चायोग और उसके कर्मचारियों की सुरक्षा के बारे में आश्वासन दिया है.

रिपोर्ट के अनुसार, पर्याप्त सुरक्षा की कमी भारत-ब्रिटेन संबंधों में तनाव का एक कारण रही है. खासकर इस साल मार्च में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान उच्चायोग भवन से राष्ट्रीय ध्वज उतारे जाने के बाद से ये स्थितियां बरकरार हैं.

बता दें कि बीते मार्च महीने में लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग के बाहर खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों में से कुछ इमारत के दरवाजे के ऊपर चढ़ गए थे और भारतीय ध्वज को नीचे गिरा दिया था. इस दौरान कोई भी सुरक्षाकर्मी उसे रोक न सका था.

इसका विरोध जताते हुए भारत ने ब्रिटेन के एक वरिष्ठ राजनयिक को तलब किया था. भारत ने ब्रिटेन पर भारतीय राजनयिक परिसर की सुरक्षा के प्रति ‘उदासीनता’ का आरोप लगाते हुए घटना को पूरी तरह से अस्वीकार्य बताया था.

बीते शुक्रवार (7 जुलाई) को भारत ने भारतीय अधिकारियों को धमकी देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई – जैसे निर्वासन – का आह्वान किया था. यह बात राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके ब्रिटिश समकक्ष टिम बैरो, जो शुक्रवार को नई दिल्ली में थे, के बीच द्विपक्षीय चर्चा के दौरान व्यक्त की गई.

मालूम हो कि आतंकी संगठन खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) प्रमुख 45 वर्षीय हरदीप सिंह निज्जर की बीते 18 जून को कनाडा के एक गुरुद्वारा परिसर में दो अज्ञात लोगों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी थी. निज्जर के प्रतिबंधित संगठन सिख्स फॉर जस्टिस से संबंध थे, जिसका नेतृत्व अमेरिका स्थित एक नामित आतंकवादी करता है.

खालिस्तान समर्थकों द्वारा इस हत्या के विरोधस्वरूप विभिन्न देशों में स्थित भारतीय दूतावासों के बाहर प्रदर्शन किया जा रहा है.

इसी महीने भारत ने कनाडा में सामने आए खालिस्तान समर्थक पोस्टर में भारत के शीर्ष राजनयिकों की तस्वीरों और नामों का मुद्दा कनाडा सरकार के समक्ष उठाया है.

निज्जर की हत्या के विरोध में टोरंटो और वैंकूवर स्थित भारतीय मिशनों तक 8 जुलाई को निकाले जाने वाले एक मार्च के लिए खालिस्तान समर्थक पोस्टर लगाए गए थे. इसमें भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और टोरंटो में भारत की महावाणिज्यदूत अपूर्वा श्रीवास्तव पर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया गया है.

पिछले महीने कनाडा के ब्रैम्पटन में एक झांकी के दृश्य सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद भारत ने कनाडा की आलोचना की थी, जिसमें कथित तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का जश्न मनाया गया था.

इससे पहले बीते दो जुलाई को अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास में खालिस्तान समर्थकों ने आगजनी की थी. पिछले पांच महीने में कथित तौर पर दूसरी बार खालिस्तान समर्थकों ने भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला किया था.

सितंबर 2019 में एक कश्मीरी अलगाववादी मार्च के दौरान लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग पर पत्थर और अंडे फेंके गए थे, जिससे भारतीय उच्चायोग की खिड़कियां टूट गई थीं. भारत ने तब भी इस घटना को ‘अस्वीकार्य’ करार दिया था और ब्रिटेन से अपने अधिकारियों और परिसरों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने का आग्रह किया था.