मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में 11 जुलाई को अफ्रीका से लाए गए नर चीते तेजस की मौत हो गई. इसके साथ ही पिछले तीन महीनों में भारत में मरने वाले चीतों की कुल संख्या सात हो गई है.
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (केएनपी) में मंगलवार (11 जुलाई) को एक और अफ्रीकी चीते की मौत हो गई. इससे पिछले तीन महीनों में भारत में मरने वाले चीतों की कुल संख्या सात हो गई है. अधिकारियों ने कहा कि संदिग्ध आपसी लड़ाई के कारण चीते की मौत हो गई.
भारत की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘चीता प्रोजेक्ट’, जिसका उद्देश्य कभी एशियाई उप-प्रजातियों का घर रहे मध्य भारत के कुछ घास के मैदानों में अफ्रीकी चीतों को बढ़ाना है, के हिस्से के रूप में इन चीतों को दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से भारत लाया गया है.
रिपोर्ट के अनुसार, 11 जुलाई की सुबह चीतों का दैनिक निरीक्षण और व्यवहार आदि में किसी भी बदलाव की जांच करने वाली निगरानी टीम ने नर चीते तेजस के गर्दन के ठीक ऊपर एक घाव देखा. वह बाड़े में था और इस साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से कूनो लाया गया था. निगरानी टीम ने इसकी सूचना पालपुर के पशु चिकित्सकों को दी. निरीक्षण करने पर पशुचिकित्सकों ने पाया कि घाव गहरा है.
मध्य प्रदेश वन विभाग के एक बयान के अनुसार, 11 जुलाई को दोपहर लगभग 2 बजे इसकी मृत्यु हो गई. बयान में कहा गया है कि पोस्टमार्टम से मौत का असली कारण पता चलेगा.
वन्यजीवों के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) और मध्य प्रदेश के मुख्य वन्यजीव वार्डन जेएस चौहान ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, ‘लगभग चार साल की उम्र के चीते तेजस की कूनो नेशनल पार्क में संदिग्ध आपसी लड़ाई के कारण मौत हो गई.’ उन्होंने बताया कि घटना के समय जानवर एक बाड़े में था.
चौहान ने फ्री प्रेस जर्नल को बताया कि तेजस की मौत का कारण नामीबियाई मादा चीता हो सकती है.
तेजस की मौत से प्रोजेक्ट चीता शुरू होने के बाद मरने वाले चीतों की कुल संख्या सात हो गई है. इनमें से तीन चीता शावक थे, बाकी चार वयस्क थे.
ज्ञात हो कि 25 मई को दो चीता शावकों की मौत हो गई थी. मध्य प्रदेश के वन विभाग ने कहा था कि इस साल मार्च के अंतिम सप्ताह में चीता ज्वाला ने दो और शावकों को जन्म दिया, जिनकी मौत हो गई. इसके पहले 23 मई को एक शावक की मौत हुई थी.
उससे पहले 9 मई को इसी पार्क में भारत लाए गए तीसरे अफ्रीकी मादा चीते ‘दक्षा’ की मौत हो गई थी. ऐसा माना जाता है कि उनके बाड़े में सहवास (Mating) के दौरान एक नर चीते द्वारा पहुंचाई गई चोट मृत्यु की वजह थी.
इससे पहले 27 मार्च को (नामीबिया से लाई गई) साशा नाम की एक मादा चीता की किडनी की बीमारी और 23 अप्रैल को (दक्षिण अफ्रीका से लाए गए) उदय नामक चीते की कार्डियो-पल्मोनरी फेल्योर के कारण मौत हो गई थी.
इसी बीच, 18 मई को सुप्रीम कोर्ट ने दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से कूनो लाए गए तीन चीतों की दो महीने से भी कम समय में मौत पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी. शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से उन्हें राजस्थान स्थानांतरित करने पर विचार करने को कहा था.
शीर्ष अदालत ने यह चिंता ऐसे समय व्यक्त की थी, जब पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि मानसून आने से पहले कूनो में पांच और चीतों को छोड़ा जाएगा. इनमें तीन मादा और दो नर चीते हैं.
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने शीर्ष अदालत को बताया था कि टास्क फोर्स उन्हें अन्य अभयारण्यों में स्थानांतरित करने सहित सभी संभावित पहलुओं की जांच कर रही है.
उन्होंने यह भी कहा था, ‘भारत में कोई चीता विशेषज्ञ नहीं हैं, क्योंकि 1947-48 में चीता देश से विलुप्त हो गए थे. तब से हमारे अधिकारी दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया गए हैं और चीता प्रबंधन पर विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया है.’
मालूम हो कि सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर पहली खेप में दक्षिण अफ्रीकी देश नामीबिया से 8 चीतों को कूनो लाया गया था. इसके बाद 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते कूनो लाए गए थे. इसी दौरान पहली खेप में नामीबिया से आई ‘ज्वाला’ ने चार शावकों को जन्म दिया था.