भारत में असहमति सहने की असीमित क्षमता, अपने विचारों के चलते किसी को ख़तरा नहीं: अजीत डोभाल

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल ने भारतीय इस्लामी सांस्कृतिक केंद्र के एक कार्यक्रम में कहा कि हिंदू धर्म और इस्लाम की गहरी आध्यात्मिक सामग्री लोगों को एक साथ लाती है और एक-दूसरे के प्रति सामाजिक और बौद्धिक समझ लाने में मदद करती है.

एनएसए अजीत डोभाल. (फोटो साभार: फेसबुक/खुसरो फाउंडेशन के कार्यक्रम का स्क्रीनग्रैब)

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल ने भारतीय इस्लामी सांस्कृतिक केंद्र के एक कार्यक्रम में कहा कि हिंदू धर्म और इस्लाम की गहरी आध्यात्मिक सामग्री लोगों को एक साथ लाती है और एक-दूसरे के प्रति सामाजिक और बौद्धिक समझ लाने में मदद करती है.

एनएसए अजीत डोभाल. (फोटो साभार: फेसबुक/खुसरो फाउंडेशन के कार्यक्रम का स्क्रीनग्रैब)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने मंगलवार (11 जुलाई) को कहा कि भारत में ‘असहमति को आत्मसात करने की असीमित क्षमता’ है, और देश में कोई भी ‘आपके विचार के कारण, आपके विचार के कारण’ खतरे में नहीं है.

रिपोर्ट के अनुसार, खुसरो फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में नई दिल्ली के भारतीय इस्लामी सांस्कृतिक केंद्र में बोलते हुए डोभाल ने कहा कि भारत समकालीन चुनौतियों से निपटने के लिए ‘सहिष्णुता, संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने’ में विश्वास करता है और यह ‘कोई संयोग नहीं है कि लगभग 20 करोड़ मुसलमान होने के बावजूद भी वैश्विक आतंकवाद में भारतीय नागरिकों की भागीदारी अविश्वसनीय रूप से कम रही है.’

एनएसए ने कहा, लेकिन उग्रवाद और वैश्विक आतंकवाद की चुनौतियों के कारण भारत अपनी सतर्कता कम नहीं करेगा. उन्होंने कहा, ‘हमारी सीमाओं के भीतर सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने और इससे बाहर भी उभरती सुरक्षा चुनौतियां पर, भारत उन व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है जो उग्रवाद, नशीले पदार्थों और आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं.’

एनएसए और मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव मोहम्मद बिन अब्दुलकरीम अल-इस्सा ने धार्मिक नेताओं, शिक्षाविदों और राजनयिकों की एक सभा को संबोधित किया.

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, दोनों ने ‘विभिन्न समुदायों के बीच संबंधों और देश की स्थिरता और प्रगति में भारत की विविधता में एकता के महत्व पर प्रकाश डाला.’

अल-इस्सा सऊदी अरब के पूर्व न्याय मंत्री हैं जो अब मुस्लिम वर्ल्ड लीग के प्रमुख हैं. यह सऊदी सरकार द्वारा वित्त पोषित एक एनजीओ है, जिसका उद्देश्य इस्लाम के उदारवादी रूप को बढ़ावा देना और आतंकवादी विचारधारा का मुकाबला करना है. नरेंद्र मोदी सरकार ने मुस्लिम देशों के शीर्ष आध्यात्मिक नेताओं तक पहुंच के तहत अल-इस्सा को आमंत्रित किया था और मंगलवार को उन्होंने प्रधानमंत्री से मुलाकात की. इंडोनेशियाई और मिस्र के नेता इस पहल के तहत पहले ही भारत का दौरा कर चुके हैं.

डोभाल ने भारतीय इतिहास, क्षेत्र में इस्लाम के आगमन और भारत और सऊदी अरब के बीच संबंधों के बारे में बात की. रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि भारत सदियों से ‘संस्कृतियों, धर्मों, भाषाओं और नस्लों का मिश्रण’ रहा है.

एनएसए ने कहा कि भारत एक समावेशी लोकतंत्र है जिसने धार्मिक, जातीय और सांस्कृतिक पहचान की परवाह किए बिना सभी नागरिकों को जगह प्रदान की है.

हिंदुस्तान टाइम्स ने उनके हवाले से लिखा, ‘अनेक धार्मिक समूहों के बीच, इस्लाम गौरव का एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण स्थान रखता है, भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी का घर है.’ साथ ही कहा कि भारतीय मुसलमानों की संख्या इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के 33 से अधिक सदस्यों की संचयी जनसंख्या के बराबर है.

ओआईसी ने ‘भारत में बढ़ते इस्लामोफोबिया और मुस्लिम समुदाय को व्यवस्थित रूप से निशाना बनाए जाने’ पर कई बार चिंता व्यक्त की है. भारत ने इन चिंताओं का जवाब यह कहकर दिया है कि संगठन को ‘भारत-विरोधी ताकतों’ द्वारा ‘बहकाया’ गया है, इसका इशारा पाकिस्तान की ओर है.

डोभाल ने कहा, ‘हिंदू धर्म और इस्लाम की गहरी आध्यात्मिक सामग्री लोगों को एक साथ लाती है और एक-दूसरे के प्रति सामाजिक और बौद्धिक समझ लाने में मदद करती है. इसने शांति और सद्भाव की एक विशिष्ट और जीवंत अभिव्यक्ति को बढ़ावा दिया है.’

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, उन्होंने कहा कि इस्लाम एक ‘विशिष्ट समन्वयवादी परंपरा के रूप में विकसित हुआ है जो गतिशील और तरल है और भारतीय सांस्कृतिक जीवन में गहराई से अंतर्निहित है.’

असहमति पर डोभाल की टिप्पणियां और इसे आत्मसात करने की भारत की ‘असीमित क्षमता’ नवंबर 2021 में एक पुलिस समारोह में दिए उनके भाषण के बिल्कुल विपरीत हैं. उन्होंने तब कहा था कि युद्ध का चौथा मौर्चा सिविल सोसाइटी है, जिसे राष्ट्र के हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए बहकाया जा सकता है.

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, अल-इस्सा ने भारत को ‘धर्मनिरपेक्ष संविधान वाला हिंदू-बहुल देश’ बताया, जहां मुस्लिम समुदाय ‘समाज का एक बहुत महत्वपूर्ण घटक है जो अपनी राष्ट्रीयता पर गर्व करता है.’

अल-इस्सा का यह भारत दौरा भारत सरकार के अल्पसंख्यकों के प्रति व्यवहार पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाई गई चिंताओं की पृष्ठभूमि में हो रहा है. प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका दौरे पर हुए संवाददाता सम्मेलन के दौरान भी उनसे इस मामले पर उनकी सरकार के रिकॉर्ड के बारे में पूछा गया था.

बता दें कि पिछले साल जून में भाजपा प्रवक्ता नुपूर शर्मा द्वारा पैगंबर मुहम्मद के बारे में की गई टिप्पणी पर भारत को एक वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक हालात का सामना करना पड़ा था. प्रवक्ता को बाद में पार्टी से निलंबित कर दिया था. जहां कई देशों ने भारतीय राजदूतों को समन भेजा था, वहीं सऊदी विदेश मंत्रालय ने केवल निंदा जारी की थी.

भारत के सऊदी अरब के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, खासकर कि सुरक्षा मोर्चे पर. इस साल मई में डोभाल रियाद में थे, जहां उन्होंने सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ-साथ संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों से मुलाकात की थी.

जहां सऊदी समर्थित एनजीओ के प्रमुख भारत में थे, वहीं सऊदी अरब ने मंगलवार को आईएमएफ की एक महत्वपूर्ण बैठक से पहले पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक में 2 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज जमा किए.

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