मिज़ोरम भाजपा के उपाध्यक्ष आर. वनरामचुआंगा ने पड़ोसी राज्य मणिपुर में हिंसा के दौरान चर्चों के बड़े पैमाने पर विध्वंस को लेकर आरोप लगाया है कि यह राज्य और केंद्र सरकार द्वारा समर्थित है. उन्होंने कहा कि मणिपुर की घटनाओं से भाजपा पर ‘ईसाई विरोधी पार्टी’ होने के आरोपों को बल मिलता है.
नई दिल्ली: मिजोरम भाजपा के उपाध्यक्ष आर. वनरामचुआंगा ने गुरुवार (13 जुलाई) को पड़ोसी राज्य मणिपुर में हिंसा के दौरान ईसाइयों के चर्चों के बड़े पैमाने पर विध्वंस के विरोध में अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि यह राज्य और केंद्र सरकार द्वारा समर्थित है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मिजोरम भाजपा अध्यक्ष वनलालहमुआका को संबोधित एक पत्र में वनरामचुआंगा ने कहा कि उनका इस्तीफा ‘ईसाइयों के प्रति आपराधिक अन्याय के इस कृत्य के विरोध में है’.
उन्होंने अपने त्याग पत्र में कहा, ‘मणिपुर राज्य में हाल ही में भड़के जातीय संघर्ष के कारण अब तक 357 ईसाई चर्च, पादरी क्वार्टर और विभिन्न चर्चों से संबंधित कार्यालय भवन जला दिए गए. हालांकि, इस घटना के लिए मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को दोषी नहीं ठहराया गया है.’
वनरामचुआंगा ने यह भी कहा, ‘केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी ने इंफाल का दौरा किया, लेकिन उन्होंने चर्च की इमारतों को जलाने के लिए दोषी नहीं ठहराया. यहां तक कि केंद्र सरकार ने भी ईसाई चर्चों को जलाने की निंदा करने के लिए कोई शब्द व्यक्त नहीं किया है.’
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए वनरामचुआंगा ने आरोप लगाया कि मणिपुर की घटनाओं से भाजपा पर ‘ईसाई विरोधी पार्टी’ होने के आरोपों को बल मिलता है.
उन्होंने कहा, ‘राज्य के नेताओं के साथ-साथ केंद्रीय नेताओं को भी उपद्रवियों के कृत्यों की निंदा करनी चाहिए थी. उन्हें पीड़ितों की सुरक्षा या सांत्वना देने के लिए कुछ करना चाहिए.’
उन्होंने आगे कहा, ‘मिजोरम एक ईसाई राज्य है, लेकिन कुछ अन्य दल भाजपा की ईसाई विरोधी पार्टी के रूप में आलोचना करते हैं, यह विचार मणिपुर में लागू हो गया है. लोग कह सकते हैं कि भाजपा वास्तव में एक ईसाई विरोधी पार्टी है. चर्च के एक नियुक्त बुजुर्ग के रूप में मुझे अपने लोगों, अपने चर्च के लोगों के विचारों का सम्मान करना है. एक चर्च नेता के रूप में मुझे भाजपा के साथ शामिल नहीं होना चाहिए.’
रिपोर्ट के अनुसार, मिजोरम भाजपा उपाध्यक्ष वनरामचुआंगा का इस्तीफा इस साल नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले आया है. मिजोरम की आबादी में ईसाई समुदाय 87 प्रतिशत से अधिक है. 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एक सीट जीतकर राज्य में अपना खाता खोला था.
चूंकि राज्य के मिजो समुदाय के लोग मणिपुर के कुकी-ज़ोमी समुदाय के साथ एक गहरा जातीय बंधन साझा करते हैं. कुकी-ज़ोमी मणिपुर में वर्तमान में जारी हिंसा में बहुसंख्यक मेइतेई के साथ संघर्ष में हैं. ऐसे में मिजोरम ने संघर्षग्रस्त पड़ोसी राज्य की स्थिति पर कड़ी नजर रखना जारी रखा है.
मणिपुर में तीन मई को भड़की जातीय हिंसा के बाद से अब तक 140 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और 3,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं.
मणिपुर से 12,000 से अधिक विस्थापित कुकी-ज़ोमी लोगों ने मिजोरम में शरण ली है, जहां भाजपा सहित पार्टी राजनीति से ऊपर उठकर कई नेताओं ने कुकी-ज़ोमी द्वारा की गई अलग प्रशासन की मांग के समर्थन की सार्वजनिक घोषणा की है. मई में राज्य भाजपा ने एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें कहा गया था कि उसे अलग प्रशासन की मांग ‘उचित’ लगती है.