मृत चीते की पहचान सूरज के रूप में हुई, जिसे इस साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से कूनो नेशनल पार्क लाया गया था. बीते 11 जुलाई को तेजस नामक चीते की मौत हो गई थी. इसके साथ ही बीते मार्च महीने से भारत में मरने वाले अफ्रीकी चीतों की कुल संख्या आठ हो गई है.
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में शुक्रवार (14 जुलाई) को अफ्रीका से लाए गए एक और नर चीते की मौत हो गई. इसके साथ ही इस साल मार्च से यहां मरने वाले चीतों की संख्या 8 हो गई है.
मध्य प्रदेश वन्यजीव अधिकारियों के अनुसार, एक निगरानी दल ने पालपुर पूर्वी क्षेत्र के मसावनी बीट में शुक्रवार सुबह लगभग 6:30 बजे सूरज नाम के चीते को सुस्त अवस्था में देखा था. टीम ने उसकी गर्दन के चारों ओर एक मक्खी देखी और जब उन्होंने करीब जाने की कोशिश की, तो चीता भाग गया.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक वन्यजीव अधिकारी ने कहा, ‘निगरानी टीम ने तुरंत वायरलेस के माध्यम से पालपुर स्थित नियंत्रण कक्ष को चीते की स्थिति के बारे में सूचित किया. सुबह करीब नौ बजे वन्यजीव चिकित्सा टीम और क्षेत्रीय अधिकारी मौके पर पहुंचे. चीता की लोकेशन ट्रेस करने पर वह मौके पर ही मृत पाया गया.’
अधिकारी के मुताबिक, ‘शुरुआती जांच में चीते की मौत का कारण गर्दन और पीठ पर घाव होना पाया गया. शव परीक्षण के बाद वन्यजीव डॉक्टरों की टीम द्वारा मौत के कारणों पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी. रिपोर्ट के आधार पर ही मौत का कारण स्पष्ट होगा.’
सूरज को इस साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से कूनो नेशनल पार्क लाया गया था. उसकी मौत के साथ मार्च से अब तक पार्क में नामीबियाई चीता ज्वाला से पैदा हुए तीन शावकों सहित आठ चीतों की मौत चुकी है.
इस पार्क में सूरज की मौत के ठीक तीन दिन पहले 11 जुलाई को दक्षिण अफ्रीका से लाए गए तेजस नामक चीते की मौत हो गई थी.
11 जुलाई की सुबह चीतों का दैनिक निरीक्षण और व्यवहार आदि में किसी भी बदलाव की जांच करने वाली निगरानी टीम ने नर चीते तेजस के गर्दन के ठीक ऊपर एक घाव देखा. वह बाड़े में था और इस साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से कूनो लाया गया था. मध्य प्रदेश वन विभाग के एक बयान के अनुसार, 11 जुलाई को दोपहर लगभग 2 बजे इसकी मृत्यु हो गई.
सूरज की मौत से प्रोजेक्ट चीता शुरू होने के बाद मरने वाले चीतों की कुल संख्या आठ हो गई है. इनमें से तीन चीता शावक थे, बाकी पांच वयस्क थे.
ज्ञात हो कि 25 मई को दो चीता शावकों की मौत हो गई थी. मध्य प्रदेश के वन विभाग ने कहा था कि इस साल मार्च के अंतिम सप्ताह में ज्वाला नामक मादा चीते ने ने दो और शावकों को जन्म दिया, जिनकी मौत हो गई. इसके पहले 23 मई को एक शावक की मौत हुई थी.
उससे पहले 9 मई को इसी पार्क में भारत लाए गए तीसरे अफ्रीकी मादा चीते ‘दक्षा’ की मौत हो गई थी. ऐसा माना जाता है कि उनके बाड़े में सहवास (Mating) के दौरान एक नर चीते द्वारा पहुंचाई गई चोट मृत्यु की वजह थी.
इससे पहले 27 मार्च को (नामीबिया से लाई गई) साशा नाम की एक मादा चीता की किडनी की बीमारी और 23 अप्रैल को (दक्षिण अफ्रीका से लाए गए) उदय नामक चीते की कार्डियो-पल्मोनरी फेल्योर के कारण मौत हो गई थी.
इसी बीच, 18 मई को सुप्रीम कोर्ट ने दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से कूनो लाए गए तीन चीतों की दो महीने से भी कम समय में मौत पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी. शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से उन्हें राजस्थान स्थानांतरित करने पर विचार करने को कहा था.
मालूम हो कि सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर पहली खेप में दक्षिण अफ्रीकी देश नामीबिया से 8 चीतों को कूनो लाया गया था. इसके बाद 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते कूनो लाए गए थे. इसी दौरान पहली खेप में नामीबिया से आई ‘ज्वाला’ ने चार शावकों को जन्म दिया था.