भारत में लगातार हो रहे इंटरनेट शटडाउन की जी-20 देशों की बैठक में चर्चा

हाल ही में जी20 देशों की साइबर सुरक्षा के विषय पर एक बैठक हुई थी, जिसमें कहा गया कि इंटरनेट पर प्रतिबंध जनता के बीच विश्वास बनाए रखने की दिशा में सबसे बड़े खतरों में से एक है और भारत को इंटरनेट बंद करने पर रोक लगानी चाहिए.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Marcelo Graciolli/Flickr CC BY 2.0)

हाल ही में जी-20 देशों की साइबर सुरक्षा के विषय पर एक बैठक हुई थी, जिसमें कहा गया कि इंटरनेट पर प्रतिबंध जनता के बीच विश्वास बनाए रखने की दिशा में सबसे बड़े ख़तरों में से एक है और भारत को इंटरनेट बंद करने पर रोक लगानी चाहिए.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Marcelo Graciolli/Flickr CC BY 2.0)

नई दिल्ली: साइबर सुरक्षा पर हाल ही में हुई जी-20 की बैठक में भारत में बार-बार इंटरनेट बंद किए जाने पर चर्चा हुई, जिसमें पैनल की एक सदस्य नीना नवाकैनमा (Nneena Nwakanma) ने कहा कि भारत को ‘किसी भी समय इंटरनेट बंद करने पर रोक लगानी चाहिए.’

जिनेवा स्थित इंटरनेशनल डिजिटल हेल्थ और एआई रिसर्च कोलैबरेटिव से जुड़ीं नीना ‘इंटरनेट गवर्नेंस-नेशनल रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड ग्लोबल कॉमंस’ पर एक पैनल चर्चा का हिस्सा थीं.

इकॉनोमिक टाइम्स के अनुसार, नीना ने कहा, ‘मैंने इंटरनेट शटडाउन का कोई मामला संसद में ले जाए जाते नहीं देखा है. न ही (प्रतिबंध लगाकर) आर्थिक लाभ का कोई अनुभवजन्य साक्ष्य है. फिर भी, यदि कानून प्रवर्तन एजेंसियों को प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है, तो उन्हें कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करना चाहिए और निर्वाचित प्रतिनिधियों को अपने मतदाताओं को ऐसे प्रतिबंधों के कारणों को समझाने में सक्षम होना चाहिए. इंटरनेट पर प्रतिबंध जनता के बीच विश्वास बनाए रखने की दिशा में सबसे बड़े खतरों में से एक है.’

दुनिया में भारत इंटरनेट शटडाउन के मामले में शीर्ष पर है.

एक्सेस नाउ का शोध बताता है कि 2016 के बाद से शटडाउन ट्रैकर ऑप्टिमाइज़ेशन प्रोजेक्ट (स्टॉप डेटाबेस) में दर्ज किए गए सभी शटडाउन में से लगभग 58 फीसदी भारत में हुए हैं. भारत एकमात्र जी20 देश है, जिसने दो से अधिक बार इंटरनेट शटडाउन लगाया है. रूस और ब्राजील अन्य दो देश हैं, जिन्होंने 2022 में क्रमश: दो और एक शटडाउन लगाया.

मणिपुर में 3 मई को जातीय हिंसा भड़कने के बाद सरकार ने इंटरनेट सेवाओं को अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट इस निलंबन के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है.

भारत में लगातार इंटरनेट प्रतिबंधों पर एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, खुफिया विभाग (इंटेलिजेंस ब्यूरो) के पूर्व प्रमुख और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य राजीव जैन ने कथित तौर पर कहा कि जीवन का अधिकार कभी-कभी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार और निजता के अधिकार के साथ टकराव में होता है.

इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार उन्होंने कहा, ‘जब लोगों के एक बड़े समूह या बड़े भौगोलिक क्षेत्र में जीवन को खतरा होता है, तो जीवन के अधिकार को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, क्योंकि राज्य सभी अधिकारों के कोष के रूप में कार्य करता है और इंटरनेट के अस्थायी निलंबन पर निर्णय लेता है.’

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