सुप्रीम कोर्ट ने ‘ज़हरीली’ होम्योपैथिक दवाओं के वितरण पर केंद्र और केरल सरकार से जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि केरल सरकार द्वारा कोविड-19 के इलाज के लिए ‘आर्सेनिकम एल्बम 30सीएच’, जिसमें कैसरकारक आर्सेनिक होता है, को 38 लाख से 50 लाख स्कूली बच्चों के बीच वितरित करने का निर्णय लिया गया था. याचिका में कहा गया है कि ऐसी छह लाख दवाएं पहले ही वितरित की जा चुकी हैं.

[प्रतीकात्मक फोटो साभार: Philippa Willitts/Flickr (CC BY-NC 2.0)]

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि केरल सरकार द्वारा कोविड-19 के इलाज के लिए ‘आर्सेनिकम एल्बम 30सीएच’, जिसमें कैसरकारक आर्सेनिक होता है, को 38 लाख से 50 लाख स्कूली बच्चों के बीच वितरित करने का निर्णय लिया गया था. याचिका में कहा गया है कि ऐसी छह लाख दवाएं पहले ही वितरित की जा चुकी हैं.

[प्रतीकात्मक फोटो साभार: Philippa Willitts/Flickr (CC BY-NC 2.0)]
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बीते 18 जुलाई को कथित कोविड​​-19 निवारक उपाय के रूप में एक ‘कथित जहरीली’ होम्योपैथिक दवा के वितरण पर केंद्रीय आयुष मंत्रालय, केरल सरकार और एक केंद्रीय अनुसंधान निकाय से जवाब मांगा है.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस एसवी भट्टी की खंडपीठ ने डॉ. सिरिएक एबी फिलिप्स द्वारा दायर याचिका पर राज्य सरकार, केंद्रीय मंत्रालय और सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च होम्योपैथी को अपना जवाब दाखिल करने को कहा है.

‘आयुष’ एक संक्षिप्त शब्द है, जो आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा रिग्पा और होम्योपैथी के लिए संयुक्त रूप से इस्तेमाल किया जाता है. इस मंत्रालय की स्थापना नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान की गई और अप्रमाणित इलाज की वकालत करने के चलते इसकी आलोचना भी की गई थी. द वायर पहले भी आयुष की कोविड-19 रोकथाम सलाहों से जुड़ी समस्याओं का विश्लेषण कर चुका है.

फिलिप्स ने बच्चों और 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों को ‘आर्सेनिक एल्बम 30’ दवा देने और विभिन्न परिस्थितियों में होम्योपैथिक दवा के वितरण की अनुमति देने वाले आयुष मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों, सलाह और ‘फैक्ट शीट’ को भी चुनौती दी है.

उन्होंने याचिका में कहा है कि केंद्रीय मंत्रालय के दिशानिर्देशों का मतलब है कि ‘आर्सेनिक जैसे अत्यधिक जहरीले कैंसरकारक केरल जैसी कुछ राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित होम्योपैथिक दवा का हिस्सा बन गए हैं’.

फिलिप्स की याचिका में कहा गया है कि केरल सरकार द्वारा आर्सेनिकम एल्बम 30सीएच (आर्सेनिक एल्बम 30), जिसमें सभी जहरों का राजा आर्सेनिक होता है, जो एक उपधातु है और कैंसर का कारण बनता है, को 38 लाख से 50 लाख स्कूली बच्चों के बीच बड़े पैमाने पर वितरित करने का निर्णय चौंकाने वाला था. याचिका में कहा गया है कि ऐसी छह लाख दवाएं पहले ही वितरित की जा चुकी हैं.

वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने कहा कि होम्योपैथिक दवाएं बिना किसी ‘आधार’ और बिना किसी चिकित्सीय ​​अध्ययन के वितरित की जा रही हैं.

उन्होंने कहा, ‘होम्योपैथिक विशेषज्ञों द्वारा किया गया एकमात्र अध्ययन दिखाता है कि यह प्रभावी नहीं है. वे औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम के अनुसार नहीं चल रहे हैं, वे चिकित्सीय अध्ययन नहीं कर रहे हैं.’ ग्रोवर ने इस बात पर भी जोर दिया कि केरल सरकार को भी जवाब दाखिल करने की जरूरत है.

जस्टिस बोस ने कहा कि वह भी ‘कभी-कभी ऐसी दवाएं लेते हैं’, लेकिन केंद्रीय मंत्रालय के रुख के विपरीत उन्होंने कहा कि आर्सेनिक एल्बम ‘घुलनशीलता के स्तर’ के आधार पर जहरीला है.

फिलिप्स ने इस मामले को केंद्र सरकार की कोविड ​​टास्क फोर्स को सौंपने की भी मांग की है.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

bandarqq pkv games dominoqq