वाराणसी: कोर्ट का पहले सील किए गए स्थान को छोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद में एएसआई सर्वे का आदेश

वाराणसी ज़िला अदालत ने मां श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष की मांग को स्वीकार करते हुए वज़ूखाने को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर की पुरातात्विक एवं वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने की अनुमति दी है. मस्जिद प्रबंधन ने आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कही है.

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ज्ञानवापी मस्जिद. (फाइल फोटो: पीटीआई)

वाराणसी ज़िला अदालत ने मां श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष की मांग को स्वीकार करते हुए वज़ूखाने को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर की पुरातात्विक एवं वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने की अनुमति दी है. मस्जिद प्रबंधन ने आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कही है.

ज्ञानवापी मस्जिद. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की वाराणसी जिला अदालत ने शुक्रवार (21 जुलाई) को काशी विश्वनाथ मंदिर के निकट स्थित मां श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष की मांग को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सील किए गए वजूखाने को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर की पुरातात्विक एवं वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने की अनुमति दी है.

रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने एएसआई को 4 अगस्त तक अपना ‘वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने वजूखाने को सील करने का आदेश तब दिया था, जब हिंदू पक्ष ने दावा किया कि मस्जिद बनने से पहले वहां एक शिवलिंग मौजूद था.

अदालत ने शुक्रवार को दिए आदेश में हिंदुओं के एक समूह की याचिका को बरकरार रखा, जिसमें यह निर्धारित करने के लिए कि क्या मुगल काल की मस्जिद पहले के हिंदू मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी, सर्वेक्षण की मांग की गई है.

बताया गया है कि सुनवाई के दौरान अदालत के बाहर जमा हुए सैकड़ों लोगों ने ‘हर हर महादेव’ के नारों के साथ इस आदेश का स्वागत किया.

मामले में अगली सुनवाई 4 अगस्त को होगी. कोर्ट ने हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों को सुनने के बाद 14 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, वाराणसी अदालत के समक्ष ज्ञानवापी मामलों के विशेष वकील राजेश मिश्रा ने बताया, ‘एएसआई द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण की मांग करने वाली चार महिलाओं द्वारा दायर आवेदन को जिला अदालत ने अनुमति दे दी है. कोर्ट ने कहा है कि संरचना को कोई नुकसान पहुंचाए बिना सर्वे किया जाना चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा है कि सर्वे में उस इलाके (वजूखाने) को बाहर रखा जाएगा जिसे पिछले साल वहां शिवलिंग मिलने के बाद सील कर दिया गया था.’

अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मस्जिद प्रबंधन के वकील मोहम्मद तौहीद खान ने कहा कि वह आदेश को चुनौती देंगे. उन्होंने कहा, ‘यह स्वीकार्य नहीं है और हम इसके खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे. इस सर्वे से मस्जिद को नुकसान हो सकता है.’

अदालत में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील तौहीद खान ने कहा कि मुस्लिम पक्ष लिखित आदेश देखने के बाद अपनी अगली कार्रवाई तय करेगा.

जहां हिंदू याचिकाकर्ताओं ने मई में अदालत में याचिका दायर कर एएसआई को परिसर का सर्वेक्षण करने का निर्देश देने की मांग की थी, वहीं मुस्लिम पक्ष ने इस पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी.

हिंदू वादियों के अनुसार, मस्जिद मूल काशी विश्वनाथ मंदिर की जगह पर बनाई गई है. हालांकि, मुस्लिम वादियों का कहना है कि मस्जिद वक्फ परिसर में बनाई गई है और उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 कहता है कि पूजा स्थल का धार्मिक स्वरूप जारी रहेगा, जैसा कि 15 अगस्त, 1947 को अस्तित्व में था.

ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को एक अंतरिम आदेश पारित किया था, जिसमें वाराणसी के जिलाधिकारी को ज्ञानवापी-शृंगार गौरी परिसर के अंदर उस क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था, जहां सर्वेक्षण में कथित शिवलिंग मिलने की बात की गई थी.

शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया था कि ज्ञानवापी मस्जिद मुसलमानों को नमाज अदा करने और धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए मस्जिद में प्रवेश करने के अधिकार को प्रतिबंधित नहीं करेगी.

20 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को यह देखते हुए वाराणसी जिला न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया कि एक वरिष्ठ और अनुभवी न्यायिक अधिकारी को शामिल मुद्दों की संवेदनशीलता को देखते हुए मामले से निपटना चाहिए. अदालत ने निर्देश दिया कि जिला अदालत को मस्जिद कमेटी द्वारा आदेश 7 नियम 11 सीपीसी के तहत दायर आवेदनों पर प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करनी चाहिए.

अक्टूबर 2022 में वाराणसी जिला न्यायालय ने हिंदू पक्ष द्वारा कार्बन डेटिंग और कथित शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच के लिए दायर एक आवेदन को खारिज कर दिया था.

अदालन ने कहा था, ‘अगर कार्बन डेटिंग या ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार की अनुमति दी जाती है और यदि ‘शिवलिंग’ को कोई नुकसान होता है तो सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन होगा और इससे आम जनता की धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंच सकती है.’

गौरतलब है कि पांच हिंदू पक्षकार में से चार ने कथित ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग की मांग की थी, जो अदालत के आदेश पर कराए गए मस्जिद परिसर के वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के दौरान ‘वजूखाना’ में मिला था. ‘वजूखाना’ एक छोटा जलाशय होता है, जिसका उपयोग मुस्लिम नमाज अदा करने से पहले वजू (हाथ-पांव धोने आदि) करने के लिए करते हैं.

मस्जिद समिति ने कार्बन डेटिंग की मांग का विरोध करते हुए कहा था कि वह ‘शिवलिंग’ नहीं बल्कि वजूखाने के फव्वारे का हिस्सा है.

मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता मुमताज अहमद ने अदालत से कहा था कि कार्बन डेटिंग नहीं करवाई जा सकती है. उन्होंने कहा था कि अगर कार्बन डेटिंग के दौरान उक्त वस्तु को नुकसान पहुंचता है तो यह उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवमानना के समान होगा.

गौरतलब है कि विश्व वैदिक सनातन संघ के पदाधिकारी जितेंद्र सिंह विसेन के नेतृत्व में राखी सिंह समेत पांच हिंदू महिलाओं ने अगस्त 2021 में अदालत में एक वाद दायर कर ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार के पास स्थित शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन और अन्य देवी-देवताओं की सुरक्षा की मांग की थी.

इसके साथ ही ज्ञानवापी मस्जिद परिसर स्थित सभी मंदिरों और देवी-देवताओं के विग्रहों की वास्तविक स्थिति जानने के लिए अदालत से सर्वे कराने का अनुरोध किया था. पूजा की अनुमति मांगने वाली याचिका के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन देखने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति ने चुनौती दी थी, जिसे सितंबर 2022 में अदालत ने खारिज कर दिया था.

उल्लेखनीय है कि बीते जून महीने में हिंदू संगठन ‘विश्व वैदिक सनातन संघ’ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन ने घोषणा की थी कि वे और उनका परिवार वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर से संबंधित सभी मामलों को वापस ले रहे हैं. उन्होंने इसके लिए ‘संसाधनों की कमी’ और विभिन्न तबकों द्वारा कथित ‘उत्पीड़न’ का हवाला दिया था.

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