संसद की एक स्थायी समिति ने सुझाव दिया है कि विभिन्न साहित्यिक और संस्कृति निकायों द्वारा पुरस्कारों के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों से पहले ही यह शपथ पत्र लिया जाए कि उन्हें दिए जा रहे सम्मान को ‘राजनीतिक कारणों’ से वापस नहीं किया जाएगा.
नई दिल्ली: किसी मसले पर विरोध जताने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित लोगों द्वारा उन्हें सरकार द्वारा मिले पुरस्कार लौटाने के तरीके से निपटने के लिए एक संसदीय समिति नई सिफारिश के साथ सामने आई है.
द हिंदू के अनुसार, संसद की एक स्थायी समिति ने अकादमी पुरस्कारों के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों से पहले ही यह शपथ पत्र लेने का सुझाव दिया है कि उन्हें दिए जा रहे सम्मान को ‘राजनीतिक कारणों’ से वापस नहीं किया जाएगा.
पर्यटन, परिवहन और संस्कृति पर संसदीय स्थायी समिति ने सोमवार को राज्यसभा को अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें सुझाव दिया गया है कि साहित्य अकादमी जैसे संस्कृति मंत्रालय के तहत विभिन्न साहित्यिक और संस्कृति निकायों द्वारा पुरस्कार इस तरह की शपथ के बिना नहीं दिए जा सकते. साथ ही, अवॉर्ड वापस किए जाने की स्थिति में पुरस्कार विजेता पर भविष्य में किसी भी पुरस्कार के लिए विचार नहीं किया जाएगा.
अख़बार के मुताबिक, सूत्रों ने कहा कि समिति के दो सदस्यों- माकपा के एए रहीम और कांग्रेस नेता के. मुरलीधरन ने इस सिफ़ारिश पर आपत्ति जताई.
अपनी रिपोर्ट में समिति ने पाया कि प्रत्येक अकादमी द्वारा दिए गए अवॉर्ड देश के कलाकारों के लिए सर्वोच्च सम्मान का दर्जा रखते हैं और साहित्य अकादमी या अन्य अकादमियां गैर-राजनीतिक संगठन हैं.
समिति ने रिपोर्ट में कहा, ‘राजनीति के लिए कोई जगह नहीं है. इसलिए, समिति का सुझाव है कि जब भी कोई पुरस्कार दिया जाए, तो इसे पाने वाले से शपथ जरूर ली जाए, ताकि वह राजनीतिक कारणों से इसे वापस न लौटाए; क्योंकि यह देश के लिए अपमानजनक है.’
इसमें आगे कहा गया है कि पुरस्कारों के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों की पूर्व सहमति लेने के अलावा एक ऐसी व्यवस्था बनाई जा सकती है जहां प्रस्तावित पुरस्कार विजेता से पुरस्कार की स्वीकृति का हवाला देते हुए वचन लिया जाए कि वे भविष्य में किसी भी समय पुरस्कार का अपमान नहीं कर सकते.
समिति ने कहा, ‘इस तरह की शपथ के बिना पुरस्कार नहीं दिए जा सकते. पुरस्कार लौटाए जाने की स्थिति में पुरस्कार विजेता के नाम पर भविष्य में ऐसे पुरस्कार के लिए विचार नहीं किया जाएगा.’
संस्कृति मंत्रालय ने समिति को बताया कि वर्ष 2015 के दौरान कुल 39 लेखकों ने साहित्य अकादमी को अपने पुरस्कार लौटाए थे. बता दें कि यह कदम कर्नाटक के प्रख्यात लेखक एमएम कलबुर्गी की हत्या के विरोध में उठाया गया था.