शिक्षाविदों ने मणिपुर हिंसा पर बोलने वाले प्रोफेसर को कोर्ट नोटिस मिलने की आलोचना की

हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ख़ाम ख़ान सुआन हाउजिंग ने मणिपुर हिंसा को लेकर द वायर के लिए करण थापर को इंटरव्यू दिया था. इसे लेकर मेईतेई कार्यकर्ताओं की शिकायत पर उन्हें इंफाल कोर्ट से नोटिस मिला था. इसकी आलोचना करते हुए शिक्षाविदों ने कहा कि ऐसी शिकायतें ख़तरनाक मिसाल क़ायम करती हैं.

प्रोफेसर खाम खान सुआन हाउजिंग. (फोटो: द वायर)

हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ख़ाम ख़ान सुआन हाउजिंग ने मणिपुर हिंसा को लेकर द वायर के लिए करण थापर को इंटरव्यू दिया था. इसे लेकर मेईतेई कार्यकर्ताओं की शिकायत पर उन्हें इंफाल कोर्ट से नोटिस मिला था. इसकी आलोचना करते हुए शिक्षाविदों ने कहा कि ऐसी शिकायतें ख़तरनाक मिसाल क़ायम करती हैं.

प्रोफेसर खाम खान सुआन हाउजिंग. (फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर द वायर को इंटरव्यू देने के लिए हैदराबाद विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर ख़ाम ख़ान सुआन हाउजिंग को कोर्ट नोटिस भेजे जाने को लेकर प्रो हाउजिंग के प्रति एकजुटता जाहिर करते हुए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाने वाले 32 शिक्षाविदों के एक समूह ने बयान जारी किया है.

रिपोर्ट के अनुसार, प्रोफेसर हाउजिंग को 6 जुलाई को इंफाल पूर्वी जिला अदालत द्वारा यहां की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशेम तरुणाकुमारी देवी के मेइतेई ट्राइब्स यूनियन (एमटीयू) के सदस्य मनिहार मोइरंगथेम सिंह द्वारा उनके खिलाफ की गई शिकायतों का संज्ञान लिए जाने के बाद तलब किया गया था.

यह शिकायत मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष को लेकर दिए उस साक्षात्कार पर आधारित थी, जो हाउजिंग ने द वायर के लिए करण थापर को दिया था.

शिक्षाविदों ने अपने बयान में कहा है, ‘प्रोफेसर हाउजिंग ने दो दशकों से अधिक समय से संघवाद, जातीय संघर्ष, राष्ट्रवाद और नागरिक जीवन के पहलुओं और पूर्वोत्तर भारत में अंतरजातीय संबंधों और भारत में राजनीतिक प्रक्रियाओं पर बेहतरीन शोध किया है. वह ऐसे लेखक हैं जिनका काम देश और विदेश की सबसे प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित है. इसके अलावा, उन्होंने क्षेत्र के युवाओं की कई पीढ़ियों का मार्गदर्शन किया है और पूरे भारत में युवा शोधकर्ताओं को प्रेरित करते हैं. रिसर्च के प्रति उनकी प्रतिबद्धता सराहनीय है और वे अकादमिक समुदाय के एक बेहद सम्मानित सदस्य हैं.’

आगे कहा गया, ‘यह वास्तव में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनके विचार, जो सोचे-समझे और पेशेवर जांच पर आधारित थे. को अकादमिक समुदाय के बाहर के लोगों द्वारा आपराधिक माना गया. हम मानते हैं कि हमारे शोध कार्य को गैर-शैक्षणिक दर्शकों के साथ जुड़ना होता है, लेकिन हम व्यापक जनता के एक वर्ग के बीच उनके विचारों से उपजी अनुचित प्रतिक्रिया से बहुत परेशान हैं.’

उल्लेखनीय है कि 17 जून को अपने साक्षात्कार में प्रोफेसर हाउजिंग ने करण थापर से कहा था कि राज्य में जारी हिंसा की अंतर्निहित गहराई तक जड़ कर चुकीं समस्याओं को हल करने के लिए मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को पद से इस्तीफा देना चाहिए और अल्पसंख्यक कुकी समुदाय के लिए एक अलग प्रशासन बनाना चाहिए.

मजिस्ट्रेट के अनुसार, मनिहार सिंह ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि प्रोफेसर हाउजिंग ने ‘मेइतेई समुदाय के साथ ऐतिहासिक जुड़ाव रखने वाले पवित्र धार्मिक स्थलों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की’ और मेईतेई लोगों को बदनाम करने की कोशिश की.

अपने बयान में शिक्षाविदों ने जोड़ा, ‘सार्वजनिक तौर पर अपने विचार साझा करने वाले शिक्षाविदों के खिलाफ आपराधिक शिकायतें दर्ज करना एक खतरनाक मिसाल कायम करता है. यह बोलने, विचार और विचारों के लोकतांत्रिक आदान-प्रदान की अनुचित सेंसरशिप का रास्ता तैयार करता है. पूर्वोत्तर भारत में मुद्दों के बारे में काम करने और लिखने वाले पेशेवरों के रूप में, हमें लगता है कि इस तरह की कार्रवाइयां अकादमिक रिसर्च के लिए सुरक्षित स्थानों के कम होने के समान हैं. यह रवैया न केवल हमारे साथियों के बीच, बल्कि अगली पीढ़ी के स्कॉलर्स के लिए भी बौद्धिक विकास और विचार साझा करने में बाधा बनेगा.’

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