आईआईटी बॉम्बे: कैंटीन में ‘सिर्फ शाकाहारी यहां बैठें’ के पोस्टर दिखे, छात्रों ने विरोध जताया

पिछले हफ्ते आईआईटी बॉम्बे के हॉस्टल 12 की कैंटीन की दीवारों पर ‘केवल शाकाहारियों को यहां बैठने की अनुमति है’ वाले पोस्टर लगाए गए थे, जिसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर सामने आई थी. इसे लेकर छात्रों ने भोजन के आधार पर भेदभाव बरतने का मुद्दा उठाया है.

आईआईटी-बॉम्बे परिसर. (प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक)

पिछले हफ्ते आईआईटी बॉम्बे के हॉस्टल 12 की कैंटीन की दीवारों पर ‘केवल शाकाहारियों को यहां बैठने की अनुमति है’ वाले पोस्टर लगाए गए थे, जिसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर सामने आई थी. इसे लेकर छात्रों ने भोजन के आधार पर भेदभाव बरतने का मुद्दा उठाया है.

आईआईटी-बॉम्बे परिसर. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-बॉम्बे (आईआईटी-बी) के एक छात्रावास की कैंटीन की दीवारों पर ‘केवल शाकाहारियों’ के पोस्टर लगाए जाने के बाद छात्रों ने भोजन में भेदभाव का मुद्दा उठाया है. एक छात्र प्रतिनिधि ने रविवार को यह जानकारी दी.

द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले हफ्ते संस्थान के हॉस्टल 12 की कैंटीन की दीवारों पर ‘केवल शाकाहारियों को यहां बैठने की अनुमति है’ वाले पोस्टर लगाए गए थे और इसकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर सामने आई थी.

संस्थान के एक अधिकारी ने दावा किया कि हालांकि उन्हें पोस्टरों के बारे में पता चला था, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि इन्हें कैंटीन में किसने लगाया था.

उनका कहना था कि अलग-अलग तरह का भोजन करने वाले लोगों के लिए यहां कोई तय सीटें नहीं हैं और संस्थान को इस बात की जानकारी नहीं है कि पोस्टर किसने लगाए हैं.

इस बीच, छात्र समूह अंबेडकर पेरियार फुले स्टडी सर्कल (एपीपीएससी) के प्रतिनिधियों ने घटना की निंदा की और पोस्टर फाड़ दिए.

एएपीएससी ने कहा, ‘हालांकि आरटीआई और छात्रावास के महासचिव को भेजे गए ईमेल से पता चला है कि संस्थान में भोजन अलग करने की कोई नीति नहीं है, लेकिन कुछ व्यक्तियों ने कुछ मेस क्षेत्रों को ‘केवल शाकाहारियों’ के लिए चिह्नित करने और अन्य छात्रों को उस क्षेत्र को छोड़ने के लिए मजबूर करने का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया है.’

घटना के बाद छात्रावास के महासचिव ने सभी छात्रों को एक ईमेल भेजा, जिसमें कहा गया, ‘छात्रावास के मेस में जैन भोजन वितरण के लिए एक काउंटर है, लेकिन जैन भोजन खाने वालों के लिए बैठने की कोई निर्दिष्ट जगह नहीं है.’

महासचिव ने लिखा, ‘कुछ व्यक्तियों द्वारा मेस के कुछ क्षेत्रों को जबरदस्ती ‘जैन बैठने की जगह’ के रूप में चिह्नित करने और मांसाहारी भोजन लाने वाले व्यक्तियों को उन क्षेत्रों में बैठने की अनुमति न देने की खबरें आई हैं. ऐसा व्यवहार अस्वीकार्य है और किसी भी छात्र को किसी अन्य छात्र को मेस के किसी भी क्षेत्र से इस आधार पर हटाने का अधिकार नहीं है कि यह एक विशेष समुदाय के लिए आरक्षित है. यदि ऐसी कोई घटना दोहराई जाती है, तो हम इसमें शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए मजबूर होंगे.’

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