मणिपुर: पीड़ित महिला के पति ने कहा- वीडियो आने से पहले किसी ने हमारी बात पर यक़ीन नहीं किया

मणिपुर में पिछले तीन महीने से जारी जातीय हिंसा के दौरान 4 मई को कुकी समुदाय की दो महिलाओं को भीड़ द्वारा निर्वस्त्र घुमाने के साथ इनमें से एक से सामूहिक बलात्कार किया गया था. इनमें से एक महिला के 65 वर्षीय पति, जो करगिल युद्ध का हिस्सा थे, ने कहा कि कार्रवाई वीडियो से बहुत पहले की जानी चाहिए थी, लेकिन हमारी बात पर किसी ने भी विश्वास नहीं किया.

मणिपुर का 29 मई को लिया गया एक फोटो. (फोटो: द वायर)

मणिपुर में पिछले तीन महीने से जारी जातीय हिंसा के दौरान 4 मई को कुकी समुदाय की दो महिलाओं को भीड़ द्वारा निर्वस्त्र घुमाने के साथ इनमें से एक से सामूहिक बलात्कार किया गया था. इनमें से एक महिला के 65 वर्षीय पति, जो करगिल युद्ध का हिस्सा थे, ने कहा कि कार्रवाई वीडियो से बहुत पहले की जानी चाहिए थी, लेकिन हमारी बात पर किसी ने भी विश्वास नहीं किया.

मणिपुर का 29 मई को लिया गया एक फोटो. (फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: मणिपुर में पिछले तीन महीने से जारी जातीय हिंसा के दौरान 4 मई को कुकी समुदाय की दो महिलाओं को भीड़ द्वारा नग्न घुमाने के साथ इनमें से एक साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था. एक पीड़ित महिला के 65 वर्षीय पति, जो करगिल युद्ध के योद्धा हैं, ने कहा कि ‘सच सामने आ जाए (यौन उत्पीड़न का), इसलिए ऊपरवाले ने यह वीडियो वायरल किया होगा.’

उल्लेखनीय है कि यह घटना चार मई को हुई थी, जिसका वीडियो 19 जुलाई को वायरल हुआ. महिलाओं में से एक के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था और इसका विरोध करने पर उनके पिता और भाई की भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई थी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उस व्यक्ति ने, जिसकी शिकायत के आधार पर 18 मई को कांगपोकपी जिले के सैकुल थाने में जीरो एफआईआर दर्ज की गई थी- ने कहा, ‘तब तक पुलिस या सरकार की ओर से किसी ने भी हमें फोन नहीं किया था.’

चूड़ाचांदपुर शहर में शरण लिए इन व्यक्ति ने कहा, ‘कार्रवाई बहुत पहले की जानी चाहिए थी, लेकिन वीडियो से पहले, जब हमने उन्हें बताया कि क्या हुआ था, तो किसी ने भी हम पर विश्वास नहीं किया.’

अब सेवानिवृत्त हो चुके इस व्यक्ति ने सेना में 30 साल गुजारे हैं. वे 18 वर्ष के थे जब एक सैनिक के रूप में असम रेजिमेंट में शामिल हुए और 2000 के दशक के अंत में सूबेदार के रूप में पर्याप्त पदकों के साथ सेवानिवृत्त हुए. उन्होंने देश के अंदर और बाहर कई महत्वपूर्ण अभियानों में भाग लिया- ऑपरेशन रक्षक (जम्मू कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियान) और असम, पंजाब और जम्मू कश्मीर में ऑपरेशन राइनो, साथ ही भारतीय शांति सेना के हिस्से के रूप में श्रीलंका में ऑपरेशन पवन का हिस्सा रहे.

उन्हें सैन्य सेवा पदक, ऑपरेशन विजय पदक, विदेश सेवा पदक और एक विशेष सेवा पदक सहित कई पदक प्राप्त हुए.

बटालियन का हिस्सा रहे एक पूर्व सेना अधिकारी ने उन्हें एक अच्छे फुटबॉल खिलाड़ी और जमीन से जुड़े व्यक्ति के रूप में याद करते हैं. 65 वर्षीय इन पूर्व सैनिक ने कहा कि घटना के बाद से उन्हें अपनी यूनिट के अधिकारियों के साथ-साथ पूर्व सैनिक संघ से भी फोन आ रहे हैं.

लगभग दो सप्ताह पहले यह वीडियो सामने आने के बाद से महिलाओं और उनके परिवारों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. पीड़ितों में से दो और उनके परिवार चूड़ाचांदपुर में राहत शिविरों में रह रहे थे, लेकिन एक बार वीडियो सामने आने के बाद उनके जनजाति के नेताओं ने उन्हें ‘सुरक्षित क्षेत्र’ में स्थानांतरित कर दिया। उस स्थान के बारे में उनके निकटतम परिवार का भी कहना है कि वे अनजान हैं.

पीड़ितों में से एक, जिसकी उम्र 21 वर्ष है, ने चूड़ाचांदपुर छोड़ दिया था और कांगपोकपी जिले में अपने पति के घर में रह रही थी. हालांकि, वीडियो सामने आने के बाद आदिवासी नेताओं ने उन्हें भी ‘सुरक्षित क्षेत्र’ में स्थानांतरित कर दिया. जानकार लोगों के अनुसार, वह 20 जुलाई को अपने पति का घर छोड़कर चली गई और दो दिन बाद चूड़ाचांदपुर पहुंची थीं.

19 जुलाई से अब तक सरकार की तरफ से दो प्रतिनिधि पीड़ितों से मिल चुके हैं- एक मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके और दूसरी राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा. पुलिस की एक टीम ने पिछले हफ्ते इन महिलाओं के बयान दर्ज किए थे.

पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में सौंपे गए एक हलफनामे में गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा था कि, ‘चूड़ाचांदपुर में नागरिक समाज संगठनों के प्रतिरोध के कारण पीड़ितों से राज्य के अधिकारियों द्वारा प्रत्यक्ष या टेलीफोन पर संपर्क नहीं किया जा सका है.’

इस यौन उत्पीड़न की घटना के दिन 21 वर्षीय लड़की के पिता और छोटे भाई को भी भीड़ ने मार डाला था. उनकी मां, जो अभी भी अपने पति और बेटे – दोनों को खोने के सदमे से जूझ रही हैं, ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘मैं मजबूत रहने की कोशिश कर रही हूं ताकि मेरी बेटी अच्छी और स्वस्थ रहे… सच तो यह है कि मैं ज्यादातर समय रोती रहती हूं. पिछले दो हफ्तों से बहुत से लोग आ रहे हैं. लेकिन एक बात यह है कि मैं डरी हुई नहीं हूं. हमें काफी सुरक्षा में रखा गया है.’

उन्होंने कहा, ‘यह कल्पना करना कठिन है कि इतना कुछ होने के बाद दोनों समुदायों के लिए एक साथ रहना कैसे संभव होगा.’