केंद्रीय क़ानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने संसद में एक सवाल के जवाब में बताया कि देश के उच्च न्यायालयों में 106 महिला जज और ज़िला और अधीनस्थ स्तर पर 7,199 महिलाएं काम कर रही हैं.
नई दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने न्यायिक क्षेत्र में विविधता पर जोर देते हुए संसद को बताया कि 4 अगस्त को उच्च न्यायालय में केवल 13% न्यायाधीश (106) और जिला और अधीनस्थ स्तर (7,199) पर 36% से अधिक महिलाएं काम कर रही हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, न्यायपालिका में लैंगिक अंतर को दूर करने के लिए उठाए जा रहे कदमों के संबंध में गुरुवार को एआईडीएमके सांसद आर. धरमार के सवाल का जवाब देते हुए मेघवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों में से सिर्फ तीन महिलाएं थीं.
उन्होंने कहा कि सरकार उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति में सामाजिक विविधता सुनिश्चित करने के लिए अनुसूचित जाति/ जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों से संबंधित उम्मीदवारों के साथ-साथ महिलाओं पर विचार करने का अनुरोध करती रही है.
सुप्रीम कोर्ट में देश के मुख्य न्यायाधीश सहित 34 जज हैं, वहीं उच्च न्यायालयों में 775 न्यायाधीश हैं जबकि स्वीकृत पद 1,114 हैं.
मेघवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति एक संवैधानिक प्रक्रिया है और सरकार केवल कॉलेजियम द्वारा भेजी गई सिफारिशों पर ही कार्रवाई करती है.
अप्रैल में टाटा ट्रस्ट की ‘इंडिया जस्टिस रिपोर्ट’ में कहा गया कि देश में महिला न्यायिक अधिकारियों का राष्ट्रीय औसत 35% था.
रिपोर्ट में बताया गया था, ‘न्यायपालिका में 10 में से एक महिला है. उच्च न्यायालयों में केवल 13% न्यायाधीश और अधीनस्थ न्यायालयों में 35% न्यायाधीश महिलाएं हैं.’
इसके अनुसार, गोवा जिला न्यायपालिका में सर्वाधिक ( 70%) महिला न्यायाधीश हैं, इसके बाद मेघालय में 62.7%, तेलंगाना में 52.8%, सिक्किम में 52.4% और मिजोरम में 51.2% महिलाएं इस पद की जिम्मेदारी संभाल रही हैं.
उल्लेखनीय है कि साल 2022 में पहले ‘अंतराष्ट्रीय महिला न्यायाधीश दिवस’ के कार्यक्रम में तत्कालीन सुप्रीम कोर्ट जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने कहा था कि भारतीय न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व ‘बहुत कम’ है और 1950 में उच्चतम न्यायालय की स्थापना के बाद से शीर्ष न्यायालय में सिर्फ 11 महिला न्यायाधीश नियुक्त की गई हैं.