उज़्बेकिस्तान की अदालत में अभियोजकों द्वारा भारत में निर्मित कफ सीरप से जुड़ी मौतों की संख्या 65 बताई गई है, जो पहले बताई गई संख्या की तुलना में कहीं अधिक है. दिसंबर 2022 में उज़्बेकिस्तान ने कहा था कि कफ सीरप लेने से 18 बच्चों की मौत हो गई. फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि इन बढ़ी मौतों की सूचना कब दी गई.
नई दिल्ली: उज्बेकिस्तान में राज्य अभियोजकों ने आरोप लगाया है कि भारत निर्मित कफ सीरप जिसने देश में 65 बच्चों की जान ले ली थी, के वितरकों ने अनिवार्य परीक्षण से बचने के लिए स्थानीय अधिकारियों को 33,000 डॉलर की रिश्वत दी थी. समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार (16 अगस्त) को कोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ.
अदालत में अभियोजकों द्वारा संबंधित कफ सीरप से जुड़ी मौतों की संख्या 65 बताई गई है, जो पहले बताई गई संख्या की तुलना में कहीं अधिक है. दिसंबर 2022 में उज्बेकिस्तान ने कहा था कि कफ सीरप लेने से 21 बच्चे बीमार पड़ गए और उनमें से 18 की मौत हो गई. फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि इन अन्य मौतों की सूचना कब दी गई.
उज्बेकिस्तान ने पिछले हफ्ते इस मामले में 21 लोगों पर मुकदमा चलाया है, जिनमें 20 स्थानीय और एक भारतीय शामिल हैं.
जिस कफ सीरप की बात हो रही है वह ‘डॉक-1 मैक्स’ है, जो नोएडा स्थित कंपनी मैरियन बायोटेक द्वारा निर्मित है. रॉयटर्स के अनुसार, परीक्षण में शामिल तीन लोग, जिनमें एक भारतीय भी शामिल है, क्यूरामैक्स मेडिकल नामक कंपनी के लिए काम करते हैं, जो उज्बेकिस्तान में मैरियन बायोटेक द्वारा निर्मित दवाएं बेचती है.
राज्य अभियोजक सैद करीम अकिलोव ने आरोप लगाया है कि क्यूरामैक्स के सीईओ सिंह राघवेंद्र प्रतार ने औषधीय उत्पादों की विशेषज्ञता और मानकीकरण के लिए उज्बेकिस्तान के अधिकारियों को 33,000 डॉलर का भुगतान किया ताकि वे कंपनी के उत्पादों के अनिवार्य निरीक्षण को छोड़ दें.
रॉयटर्स ने बताया कि यह स्पष्ट नहीं है कि इस निरीक्षण में उज्बेकिस्तान में परीक्षण शामिल है या भारत में परीक्षण करने का अनुरोध शामिल है.
हालांकि प्रतार ने अदालत में आरोपों से इनकार किया, उन्होंने कहा कि उन्होंने अधिकारियों को ‘प्रशंसा के प्रतीक’ के रूप में संबंधित धन दिया था.
21 प्रतिवादियों में से सात ने अपने खिलाफ लगाए गए कम से कम कुछ आरोपों को स्वीकार कर लिया है, जिसमें कर चोरी, घटिया या नकली दवाओं की बिक्री, कार्यालय का दुरुपयोग, लापरवाही, जालसाजी और रिश्वतखोरी शामिल है.
इस साल जनवरी माह में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा था कि डॉक-1 मैक्स और मैरियन बायोटेक द्वारा निर्मित एक अन्य कफ सीरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) और एथिलीन ग्लाइकॉल (ईजी) अस्वीकार्य स्तर पर थे. विवाद बढ़ने के बाद इस साल मार्च में भारतीय अधिकारियों ने कंपनी से जुड़े तीन लोगों को गिरफ्तार किया था.
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