राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि जांच समिति 15 दिन में आत्महत्या से संबंधी मामलों पर रिपोर्ट सौंपेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे 9वीं और 10वीं कक्षा के छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग संस्थानों में प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए, इससे उन पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है.
नई दिल्ली: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार (18 अगस्त) को कोटा जिले में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के बीच आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी पर चिंता व्यक्त की और अधिकारियों को ऐसे मामलों पर नजर रखने के उपाय सुझाने के लिए एक समिति बनाने का निर्देश दिया.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री ने कहा, ‘समिति का गठन उच्च शिक्षा सचिव भवानी देथा की देखरेख में किया जाएगा और इसमें कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधियों, अभिभावकों और डॉक्टरों सहित विभिन्न हितधारक शामिल होंगे.’ उन्होंने कहा कि वह 15 दिन में मामले पर रिपोर्ट सौंपेगी.
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, इस साल कोटा जिले में संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) और राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के बीच आत्महत्या के 21 मामले सामने आए हैं, जो आठ वर्षों में सबसे अधिक है.
गहलोत ने आत्महत्या के मामलों में वृद्धि पर चर्चा के लिए एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा, ‘ऐसे मामलों में और वृद्धि नहीं होनी चाहिए. सुधार का समय आ गया है. हम युवा छात्रों को आत्महत्या करते नहीं देख सकते. यहां तक कि एक भी बच्चे की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है और माता-पिता के लिए बहुत बड़ी क्षति है.’
मुख्यमंत्री ने कहा कि बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे 9वीं और 10वीं कक्षा के छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग संस्थानों में प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए, क्योंकि इससे उन पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है.
उन्होंने कहा, ‘9वीं और 10वीं कक्षा के छात्रों को कोचिंग संस्थानों में दाखिला दिलाकर आप एक तरह से अपराध कर रहे हैं. यह माता-पिता की भी गलती है. छात्रों को बोर्ड परीक्षा पास करने और प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने का बोझ झेलना पड़ता है.’
जिला प्रशासन के अधिकारियों के अनुसार, कोटा भारत के प्रतियोगी परीक्षा की तैयारियों का व्यवसायिक केंद्र है, जिसका सालाना कारोबार 10,000 करोड़ रुपये का है. 10वीं कक्षा पूरी करने के बाद देश भर से छात्र बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं और आवासीय कोचिंग संस्थानों में पंजीकरण कराते हैं. वे स्कूलों में भी दाखिला लेते हैं, जिनमें से अधिकांश बड़े पैमाने पर सर्टिफिकेट पाने के उद्देश्य से होते हैं.
पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, कोटा में 2022 में 15, 2019 में 18, 2018 में 20, 2017 में सात, 2016 में 17 और 2015 में 18 छात्रों की मौत हुई. 2020 और 2021 में कोई आत्महत्या नहीं हुई.
आंकड़ों से यह भी पता चला है कि कोटा में इस साल ऐसे छात्रों के बीच प्रति माह औसतन तीन आत्महत्याएं दर्ज की गईं. पिछले महीने दो नीट उम्मीदवारों सहित चार छात्रों की 10 घंटे के भीतर आत्महत्या से मृत्यु हो गई थी.