केंद्र सरकार के आरटीआई पोर्टल से कई सालों का डेटा ग़ायब होने समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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केंद्र सरकार के आरटीआई ऑनलाइन पोर्टल से सैकड़ों की संख्या में पिछले आवेदनों के रिकॉर्ड नदारद हो गए हैं. द हिंदू के अनुसार, आरटीआई कार्यकर्ताओं ने बुधवार को पाया कि पोर्टल पर उनके पिछले आवेदनों के रिकॉर्ड नहीं थे. अख़बार ने दो आरटीआई कार्यकर्ताओं के आवेदनों के सैंपल देखे और वेरीफाई किए, जिनमें से एक के पूरे एकाउंट से 2022 से पहले की जानकारी हटा दी गई है. यह पोर्टल कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा संभाला जाता है और नागरिकों को केंद्र सरकार से सार्वजनिक सूचना तक पहुंच के लिए आवेदन करने की अनुमति देता है. पिछले साल सरकार ने ‘भारी लोड’ का हवाला देते हुए पोर्टल पर एकाउंट बनाने की सुविधा हटा दी थी. साथ ही, अगर मौजूदा एकाउंट होल्डर अपने एकाउंट को बरक़रार रखना चाहते हैं तो उन्हें छह महीने की अवधि में कम से कम एक आवेदन दाख़िल करना होगा. पोर्टल का रखरखाव राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) द्वारा किया जाता है. डिजिटल अधिकार कार्यकर्ता और द वायर के लिए डिजिटल मुद्दों पर स्तंभकार श्रीनिवास कोडाली ने भी पोर्टल से डेटा गायब होने की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि 2019 से पहले दायर की गई सभी आरटीआई अब सर्वर से हटा दी गई हैं.

यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग  (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) ने गुरुवार को तत्काल प्रभाव से भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) की सदस्यता निलंबित कर दी है. कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर खिलाड़ियों द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए जाने के बाद डब्ल्यूएफआई विवादों में है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सदस्यता सस्पेंड होने की वजह संगठन में चुनाव न होना है. डब्ल्यूएफआई के चुनाव जून 2023 में प्रस्तावित थे, हालांकि विभिन्न अदालतों के आदेश के बाद यह स्थगित होते रहे. सदस्यता सस्पेंड होने पर अब भारतीय पहलवान किसी आगामी विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में भारतीय ध्वज के तहत प्रतिस्पर्धा में नहीं जा सकेंगे. इसके बजाय उन्हें ‘स्वतंत्र एथलीटों’ के रूप में भाग लेना होगा. इसके अलावा, यदि कोई भारतीय एथलीट विजेता मंच पर पहुंचता है, तो उनका राष्ट्रगान नहीं बजाया जाएगा.

केरल सरकार ने एनसीईआरटी द्वारा 11वीं और 12वीं की किताबों से हटाए गए हिस्सों को फिर से शामिल कर लिया है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने इन कक्षाओं की अतिरिक्त किताबें जारी कीं, जिनमें वे हिस्से भी शामिल हैं, जिन्हें हाल ही में एनसीईआरटी द्वारा हटा दिया गया था. उन्होंने कहा कि एनसीईआरटी ने ग़लत तरीके से किताबों से ज़रूरी हिस्से हटा दिए हैं, जिससे उनका इतिहास और समाज को देखने का नज़रिया बदल जाएगा. उन्होंने दावा किया कि किताबों से मुगल इतिहास से जुड़े पाठों को हटाकर यह भावना पैदा करने की कोशिश की जा रही है कि यह देश समाज के एक विशेष वर्ग का है.

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने गठबंधन से इनकार करते हुए कहा है कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव में अकेले लड़ेगी. एनडीटीवी के मुताबिक, मायावती ने कहा कि यह फैसला इसलिए लिया गया, क्योंकि पिछले अनुभव से पता चलता है कि गठबंधन से पार्टी को कुछ हासिल नहीं होता है. उन्होंने भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए और विपक्ष के इंडिया गठबंधन को लेकर कहा कि दोनों ने ‘बहुजन समाज’ के कल्याण के लिए बहुत कम काम किया है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि ‘बसपा को यूपी में गठबंधन करने से फायदे से ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा, क्योंकि उसके वोट स्पष्ट रूप से गठबंधन सहयोगी को मिलते हैं, लेकिन अन्य दलों के पास हमारे उम्मीदवार को अपना वोट ट्रांसफर कराने की सही मंशा या क्षमता नहीं होती.’

मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को निकाय चुनाव में ट्रांसजेंडर्स को आरक्षण देने का निर्देश दिया है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के साथ भेदभाव से संबंधित एक याचिका का निपटारा करते हुए अदालत ने कहा कि तमिलनाडु के लिए स्थानीय निकाय चुनावों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को मुख्यधारा के समाज में शामिल करने और उनकी लोकतांत्रिक भागीदारी के लिए एक कल्याणकारी उपाय के रूप में आरक्षण प्रदान करने का कदम उठाने का यह सही समय है. कोर्ट ने कुड्डालोर ज़िला कलेक्टर को नैनार्कुप्पम ग्राम पंचायत के अध्यक्ष और सदस्यों को हटाने का भी निर्देश दिया, जिसने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए भूमि आवंटन को रद्द करने के लिए एक प्रस्ताव परित किया था. अदालत ने कहा कि जब तक बहुसंख्यक समाज लिंग के आधार पर अल्पसंख्यक समूह को बहिष्कृत करता रहेगा, यह केवल ख़राब सामाजिक जीवन स्थितियों को बढ़ावा देगा.

मणिपुर में सौ दिनों से जारी हिंसा के बीच एक आईएएस अधिकारी को जिरीबाम के जिला कमिश्नर पद की जिम्मेदारी संभालने से इनकार करने पर निलंबित कर दिया गया. इंडिया टुडे के अनुसार, अफसर एन. रोबेन सिंह मेईतेई समुदाय से आते हैं और बताया गया है कि उन्होंने कुकी बहुल इलाके में काम करने के बारे सुरक्षा वजहों को लेकर असहजता जाहिर की थी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सर्जरी के माध्यम से लिंग परिवर्तन एक संवैधानिक अधिकार है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, याचिकाकर्ता उत्तर प्रदेश पुलिस में कॉन्स्टेबल हैं. उन्होंने बीते 29 अप्रैल को अदालत से कहा था कि वे लिंग डिस्फोरिया का अनुभव कर रही हैं. 11 मार्च 2023 को उन्होंने लिंग परिवर्तन सर्जरी के लिए आवश्यक मंजूरी के लिए आवेदन किया था. जेंडर डिस्फोरिया बेचैनी की वो भावना होती है, जो किसी व्यक्ति में उनके जैविक लिंग (Biological Sex) और उसकी लैंगिक पहचान (Gender Identity) के बीच तालमेल न होने के कारण हो सकती है. हाईकोर्ट ने यूपी के डीजीपी को कॉन्स्टेबल के आवेदन पर निर्णय लेने का आदेश देते हुए कहा कि ‘इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि लिंग डिस्फोरिया का अनुभव करने वाला व्यक्ति, जिसकी भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक विशेषताएं विपरीत लिंग के लक्षणों के प्रति होती हैं, के पास लिंग परिवर्तन सर्जरी कराने का संवैधानिक रूप से स्वीकृत अधिकार है.’