मधुमिता हत्याकांड: आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे अमरमणि और उनकी पत्नी को सरकार ने रिहा किया

कवयित्री मधुमिता शुक्ला की 9 मई 2003 को लखनऊ में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उस समय वह गर्भवती थीं. देहरादून की एक अदालत ने अक्टूबर 2007 में हत्या के लिए उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रहे अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी. सज़ा को उत्तराखंड हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने बरक़रार रखा था.

मधुमिता शुक्ला और अमरमणि त्रिपाठी. (फोटो साभार: फेसबुक)

कवयित्री मधुमिता शुक्ला की 9 मई 2003 को लखनऊ में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उस समय वह गर्भवती थीं. देहरादून की एक अदालत ने अक्टूबर 2007 में हत्या के लिए उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रहे अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी. सज़ा को उत्तराखंड हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने बरक़रार रखा था.

मधुमिता शुक्ला और अमरमणि त्रिपाठी. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि को उनकी सजा पूरी होने से पहले शुक्रवार (25 अगस्त) शाम सरकार ने रिहा कर दिया.

उत्तर प्रदेश जेल विभाग ने गुरुवार (24 अगस्त) को राज्य की 2018 की छूट नीति का हवाला देते हुए उनकी समय से पहले रिहाई का आदेश जारी किया, क्योंकि उन्होंने अपनी सजा के 16 साल पूरे कर लिए हैं.

समाचार वेबसाइट दि प्रिंट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दंपति की रिहाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. दंपति फिलहाल गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती हैं.

गोरखपुर जिला जेलर एके कुशवाहा ने कहा कि जेल विभाग ने दंपति की अधिक उम्र और अच्छे व्यवहार का भी हवाला दिया था. अमरमणि 66 और मधुमणि 61 साल के हैं. उन्होंने कहा कि हालांकि दोनों को रिहा कर दिया गया है, लेकिन वे बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ही रहेंगे.

रिपोर्ट के अनुसार, गोरखपुर में अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमनमणि त्रिपाठी ने संवाददाताओं से कहा कि उनके माता-पिता डॉक्टरों की निगरानी में हैं और उनकी सलाह के आधार पर आगे कदम उठाया जाएगा.

नौतनवा विधानसभा क्षेत्र से चुने गए अमरमणि त्रिपाठी 2001 में राज्य की भाजपा सरकार में मंत्री थे और 2002 में बनी बसपा सरकार में भी मंत्री थे. वह समाजवादी पार्टी में भी रहे हैं.

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कवयित्री की बहन निधि शुक्ला द्वारा दायर याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार, अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी को नोटिस जारी कर आठ सप्ताह के भीतर जवाब मांगा था.

इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ने वाली निधि शुक्ला ने पहले कहा था कि अगर दोनों को रिहा किया गया तो उन्हें अपनी और अपने परिवार के सदस्यों की जान को खतरा है.

कवयित्री मधुमिता उस समय गर्भवती थीं, जब 9 मई, 2003 को लखनऊ की पेपर मिल कॉलोनी में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. अमरमणि त्रिपाठी को सितंबर 2003 में उनकी हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था, जिसके साथ वह कथित तौर पर रिश्ते में थे.

देहरादून की एक अदालत ने अक्टूबर 2007 में मधुमिता की हत्या के लिए अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. बाद में नैनीताल में उत्तराखंड हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने सजा को बरकरार रखा. मामले की जांच सीबीआई ने की थी.

मधुमिता शुक्ला की बहन ने कहा- सज़ा का 62 प्रतिशत हिस्सा जेल से बाहर बिताया है

कवयित्री मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा, ‘मैं दर-दर भटक रही हूं, लेकिन आज तक न्याय नहीं मिला. सरकारें कितनी निकम्मी हैं कि अदालत द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बावजूद अमरमणि त्रिपाठी को जेल नहीं भेज सकीं.’

निधि शुक्ला ने कहा, ‘मैं हर किसी को बता रही हूं कि यह होने वाला है. मैंने एक आरटीआई के माध्यम से दस्तावेज हासिल किए हैं, जिनमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि दोनों ने जितनी जेल अवधि काटी है, उसका 62 प्रतिशत हिस्सा जेल से बाहर बिताया गया है.’

उन्होंने कहा, ‘मैंने सभी जिम्मेदार व्यक्तियों को दस्तावेज सौंपे और बताया कि 2012 और 2023 के बीच वह (अमरमणि) जेल में नहीं थे. सरकारी दस्तावेज, जो मुझे लंबी लड़ाई के बाद राज्य सूचना आयोग के माध्यम से मिले हैं, इस बात की पुष्टि करते हैं.’

समाचार वेबसाइट एनडीटीवी में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, निधि शुक्ला ने यह भी आरोप लगाया कि गिरफ्तारी के समय तत्कालीन उत्तर प्रदेश की मायावती की सरकार में मंत्री और उनके दाहिने हाथ माने जाने वाले अम​रमणि त्रिपाठी ने जेल अधिकारियों को गुमराह किया है.

उस वक्त त्रिपाठी को बेहद प्रभावशाली और विभिन्न राजनीतिक दलों से संबंध रखने वाले व्यक्ति के रूप में देखा जाता था. वह मायावती की बहुजन समाज पार्टी में जाने से पहले दिवंगत मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी सरकार में थे.

2007 में एनडीटीवी के साथ एक इंटरव्यू में निधि शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद भी लगातार धमकियां मिलने की बात कही थी.

उन्होंने कहा था, ‘वह कोई सामान्य व्यक्ति नहीं हैं. मैं बस इतना ही कह सकती हूं.’

हालांकि, अमरमणि त्रिपाठी ने एनडीटीवी से कहा था कि वह निर्दोष हैं. उन्होंने कहा था, ‘मेरा और मेरे परिवार का इससे कोई लेना-देना नहीं है.’

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