पीएम डिग्री केस: सुप्रीम कोर्ट का हाईकोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ केजरीवाल की याचिका सुनने से इनकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक योग्यता के बारे में टिप्पणी को लेकर गुजरात विश्वविद्यालय ने अरविंद केजरीवाल के ख़िलाफ़ आपराधिक मानहानि का केस दायर किया था. इसकी कार्यवाही पर रोक की केजरीवाल की याचिका को गुजरात हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दिया था, जिसे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

नरेंद्र मोदी, सुप्रीम कोर्ट और अरविंद केजरीवाल. (फोटो साभार: पीआईबी/विकिपीडिया/फेसबुक)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक योग्यता के बारे में टिप्पणी को लेकर गुजरात विश्वविद्यालय ने अरविंद केजरीवाल के ख़िलाफ़ आपराधिक मानहानि का केस दायर किया था. इसकी कार्यवाही पर रोक की केजरीवाल की याचिका को गुजरात हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दिया था, जिसे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

नरेंद्र मोदी, सुप्रीम कोर्ट और अरविंद केजरीवाल. (फोटो साभार: पीआईबी/विकिपीडिया/फेसबुक)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक योग्यता के बारे में केजरीवाल की टिप्पणी पर गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा दायर आपराधिक मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगाने के उनके अनुरोध को खारिज कर दिया था.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि वह याचिका पर नोटिस जारी नहीं कर रही है क्योंकि मामला गुजरात हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है और 29 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है.

गुजरात हाईकोर्ट द्वारा आरटीआई अधिनियम के तहत मोदी की डिग्री के बारे में जानकारी देने के मुख्य सूचना आयुक्त के आदेश को रद्द करने के बाद गुजरात विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार पीयूष पटेल ने केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह के खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया था.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात विश्वविद्यालय और केजरीवाल अपनी शिकायतें हाईकोर्ट के समक्ष उठा सकते हैं.

शुरुआत में केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने बताया कि उच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ मानहानि की कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था.

यूनिवर्सिटी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केजरीवाल ने तथ्यों को छिपाया है.

गुजरात हाईकोर्ट ने 11 अगस्त को केजरीवाल और संजय सिंह की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ आपराधिक मानहानि की कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की थी.

इसी बीच, गुजरात की एक मेट्रोपॉलिटन अदालत ने पहले पीएम मोदी की डिग्री के संबंध में उनके ‘व्यंग्यात्मक’ और ‘अपमानजनक’ बयानों पर मानहानि मामले में केजरीवाल और सिंह को तलब किया था. मामले को 31 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है.

बाद में आप के दो नेताओं ने मामले में मेट्रोपॉलिटन अदालत के समन को चुनौती देते हुए सत्र अदालत में एक पुनरीक्षण आवेदन दायर किया हालांकि, सत्र अदालत ने 7 अगस्त को मुकदमे पर अंतरिम रोक लगाने की उनकी याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया. सेशन कोर्ट में रिवीजन अर्जी पर आगामी 16 सितंबर को सुनवाई होनी है.

हालांकि, केजरीवाल ने 11 अगस्त के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था.

गुजरात विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार पीयूष पटेल द्वारा दायर शिकायत के अनुसार, दोनों नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस और ट्विटर हैंडल पर मोदी की डिग्री को लेकर विश्वविद्यालय को निशाना बनाते हुए ‘अपमानजनक’ बयान दिए.

पटेल ने अपनी शिकायत में कहा, ‘गुजरात विश्वविद्यालय को निशाना बनाने वाली उनकी टिप्पणियां अपमानजनक थीं, उनके बयान व्यंग्यात्मक थे और जानबूझकर विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के लिए दिए गए थे.’

उल्लेखनीय है कि इस साल 31 मार्च को गुजरात हाईकोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के साल 2016 के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें गुजरात विश्वविद्यालय को केजरीवाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया गया था. तत्कालीन सीआईसी ने केजरीवाल द्वारा जारी एक नोट को ‘नागरिक के रूप में अपनी क्षमता में आरटीआई के तहत आवेदन’ माना था और प्रधानमंत्री कार्यालय के जन सूचना अधिकारी को मोदी की बीए और एमए डिग्री की प्रतियां देने का निर्देश दिया था.

उल्लेखनीय है कि आम आदमी पार्टी, विशेष रूप से 2016 के आसपास से मोदी के उनकी शैक्षणिक योग्यता संबंधी दावों को लेकर मुखर रूप से अविश्वास जाहिर करती रही है.

नरेंद्र मोदी ने चुनाव आयोग में दिए हलफनामे में बताया था कि उन्होंने 1978 में दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए किया था और 1983 में गुजरात विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री ली थी. उनकी एमए की डिग्री के संबंध में भी एक अन्य विवाद भी हो चुका है.

साल 2017 में गुजरात विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जयंती पटेल ने एक फेसबुक पोस्ट में दावा किया था कि नरेंद्र मोदी की डिग्री में जिस पेपर का उल्लेख किया गया है, उस समय एमए के दूसरे साल में ऐसा कोई पेपर नहीं था.

साल 2016 में प्रधानमंत्री की डिग्री पर सवाल उठने के बाद गुजरात विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा प्रधानमंत्री के एमए के विषयों के नाम बताए गए थे. इसी बारे में प्रकाशित एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए जयंती पटेल ने लिखा था, ‘इन पेपरों के नाम में कुछ सही नहीं है. जहां तक मेरी जानकारी है, उस समय एमए के दूसरे साल में इन नामों का कोई पेपर नहीं हुआ करता था. मैं वहीं राजनीति विज्ञान विभाग में था. मैंने वहां 1969 से जून 1993 तक पढ़ाया है.’