शिक्षक के कहने पर छात्रों द्वारा मुस्लिम बच्चे को पीटने के मामले में परिवार पर समझौते का दबाव

उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़नगर ज़िले के एक निजी स्कूल में महिला शिक्षक के निर्देश पर साथी छात्रों द्वारा एक मुस्लिम छात्र को थप्पड़ मारने का वीडियो सामने आया था. इसके बाद शिक्षक के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है. एक रिपोर्ट के अनुसार, लड़के के परिवार पर आसपास के गांव के प्रधानों के साथ-साथ किसान नेता नरेश टिकैत ‘समझौता’ करने का दबाव डाल रहे हैं.

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(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Pixabay)

उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़नगर ज़िले के एक निजी स्कूल में महिला शिक्षक के निर्देश पर साथी छात्रों द्वारा एक मुस्लिम छात्र को थप्पड़ मारने का वीडियो सामने आया था. इसके बाद शिक्षक के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है. एक रिपोर्ट के अनुसार, लड़के के परिवार पर आसपास के गांव के प्रधानों के साथ-साथ किसान नेता नरेश टिकैत ‘समझौता’ करने का दबाव डाल रहे हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Pixabay)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर जिले के एक स्कूल में महिला शिक्षक के निर्देश पर साथी छात्रों द्वारा एक मुस्लिम लड़के को थप्पड़ मारने का वीडियो सामने आने के एक दिन बाद लड़के के पिता ने कहा कि वे अपने भविष्य को लेकर डरे हुए और चिंतित हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, परिवार पर शिक्षक के खिलाफ मामला आगे न बढ़ाने का दबाव भी बढ़ रहा है, आसपास के गांवों के प्रधानों के साथ-साथ किसान नेता नरेश टिकैत भी उन पर ‘समझौता’ करने के लिए दबाव डाल रहे हैं.

इस बीच, लड़के के बयान और उसके पिता की शिकायत के आधार पर शिक्षक तृप्ता त्यागी (60 वर्ष) के खिलाफ आईपीसी की धारा 323 (चोट पहुंचाना) और 504 (शांति भंग करने के इरादे से जान-बूझकर अपमान) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.

घटना से संबंधित एक वीडियो में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के एक निजी स्कूल की शिक्षक तृप्ता त्यागी अपनी क्लास के बच्चों को एक-एक करके एक आठ वर्षीय मुस्लिम छात्र को थप्पड़ मारने का निर्देश देते नजर आ रही थीं.

40 सेकेंड के इस वीडियो में बच्चे पीड़ित छात्र को मारते हैं और शिक्षक उन्हें प्रोत्साहित करती दिखती हैं. वीडियो में बच्चा रो रहा है और शिक्षक के कहने पर साथी छात्र उसे थप्पड़ मार रहे हैं.

यह घटना एक निजी स्कूल नेहा पब्लिक स्कूल में हुई थी, जो मुजफ्फरनगर के मंसूरपुर थाना क्षेत्र के पास खुब्बापुर गांव में स्थित है.

रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार (26 अगस्त) को लड़के के घर उनके पिता ​से मिलने नेता, मीडिया और दर्जनों स्थानीय लोगों पहुंच गए थे, जबकि राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) और भीम आर्मी परिवार का समर्थन करने के लिए आगे आए हैं. वहीं ग्राम प्रधानों का एक समूह चाहता है कि वह अपनी शिकायत वापस ले लें.

पुरा गांव के प्रधान नरेंद्र त्यागी ने उनसे कहा, ‘अब यह नाटक बंद करो. हम इस गांव में मीडिया नहीं चाहते. मैं चाहता हूं कि आप पुलिस स्टेशन जाएं और उन्हें बताएं कि आपको एफआईआर की जरूरत नहीं है. इसे खत्म करवाओ, नहीं तो तुम्हें परिणाम भुगतना पड़ेगा.’

किसान नेता नरेश टिकैत ने पिता से मिलकर ‘समझौता करने’ और एफआईआर को खत्म करने के लिए कहा है.

बाद में पिता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वह शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई नहीं चाहते हैं और इस मामले पर सभी के ध्यान के कारण डरे हुए हैं.

उन्होंने कहा, ‘मैं और मेरा परिवार गांव में अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं. मैं एक खेतिहर मजदूर हूं. मैं नहीं चाहता कि तृप्ता मैडम को गिरफ्तार किया जाए या दंडित किया जाए. मेरा बेटा और उसका चचेरा भाई वर्षों से वहां पढ़ रहे हैं. हम उनसे केवल माफी और स्पष्टीकरण चाहते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘मेरे भतीजे ने गुरुवार (24 अगस्त) को यह वीडियो मुझे दिखाया. मैं यह देखकर स्तब्ध रह गया कि मेरे लड़के को उसकी पहचान को लेकर पीटा जा रहा था. उसे अपमानित किया गया, क्योंकि उसने अपना होमवर्क नहीं किया था. हमने गांव में कभी इस तरह की चीजों का सामना नहीं किया है.’

उन्होंने कहा, ‘मैं अब अपने बेटे को वहां नहीं भेज सकता. वीडियो ने मुझे और मेरी पत्नी को डरा दिया है. हम कोई और स्कूल ढूंढेंगे और देखते हैं कि क्या कर सकते हैं.’

वीडियो रिकॉर्ड करने वाले लड़के के चाचा ने आरोप लगाया कि शिक्षक ने उनके भतीजे और एक अन्य मुस्लिम लड़के को कम से कम एक घंटे तक पीटा.

उन्होंने कहा, ‘मैं महीनों से (स्कूल) निर्माण में तृप्ता मैडम की मदद कर रहा हूं. मेरे पास एक जेसीबी है और मैं मजदूर भी लाया हूं. गुरुवार को मैं किसी काम के बारे में उनसे बात करने गया और देखा कि वह एक लड़के को ‘मोहम्मडन’ कहकर पीट रही थीं. इसके बाद उन्होंने मेरे भतीजे को बुलाया तो मैंने एक वीडियो रिकॉर्ड करने का फैसला किया. मैं यह देखकर हैरान रह गया कि वह अपने हर छात्र को उसे पीटने के लिए बुला रही थीं. थप्पड़ से और कमर पर मारने से वह रो रहा था. मैंने वीडियो एक स्थानीय रिपोर्टर को भेज दिया.’

रिपोर्ट के अनुसार, एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि तृप्ता त्यागी को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है, क्योंकि एफआईआर में लगाई गईं  धाराएं जमानती हैं, उन्होंने कहा कि फोरेंसिक टीमें वीडियो का विश्लेषण करेंगी और उसके अनुसार आगे कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

आरोपों के जवाब में शिक्षक ​तृप्ता त्यागी ने कहा कि उन्हें बिना वजह निशाना बनाया जा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘वीडियो को एडिट किया गया है. मैंने अन्य बातें भी कही थीं, लेकिन वे लाइनें हटा दी गईं. मुझसे गलती हुई और मैं इसे स्वीकार करती हूं. मुझे अन्य छात्रों से उसे मारने के लिए नहीं कहना चाहिए था. मैं हृदय रोगी और विकलांग हूं, इसलिए मैं उसे मार नहीं सकती थी. मैंने केवल इतना कहा था कि परीक्षा के दौरान मुस्लिम माताओं को अपने बच्चों को मायके नहीं ले जाना चाहिए. मैं केवल कक्षा में अनुशासन बनाए रखने की कोशिश कर रही थी. मुझे नहीं पता था कि लड़के का चाचा वीडियो रिकॉर्ड कर रहा था.’

नेहा पब्लिक स्कूल, जिसकी मालिक तृप्ता भी हैं, गांव का एकमात्र निजी स्कूल है. यह यूपी राज्य बोर्ड के साथ पंजीकृत है और इसे 2019 में संबद्धता प्राप्त हुई थी. फिलहाल, स्कूल में निर्माण कार्य चल रहा है और तृप्ता अपने घर पर छात्रों को पढ़ा रही हैं, जहां गुरुवार की यह घटना हुई थी.

स्कूल में 50-60 छात्र हैं, जिनमें से लगभग आधे मुस्लिम हैं. कई परिवारों ने कहा कि वे अपने बच्चों को दिए जाने वाले शारीरिक दंड के बारे में जानते हैं.

जिस मुस्लिम लड़के को शि​क्षक के कहने पर थप्पड़ मारा गया उसके घर से बमुश्किल 200 मीटर की दूरी पर एक दुकानदार का परिवार भी इस घटना से स्तब्ध था.

दुकानदार ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘वीडियो देखकर मैं हैरान रह गया. मेरी लड़कियां इसमें हैं. मेरे चार बच्चे वहां पढ़ते हैं. शिक्षक ने उन्हें लड़के को मारने के लिए निर्देश दिया. मेरी लड़कियां निर्दोष हैं; ऐसा उनके साथ भी हो सकता है. हम उन्हें दूसरे स्कूल में दाखिल करना चाहते हैं, लेकिन क्या हमारे पास वह विकल्प भी है? सरकारी स्कूल में जगह नहीं है. पुरा गांव में एक स्कूल है लेकिन वहां की फीस एक महीने की 1,500 रुपये है. मैं इसे वहन नहीं कर सकता.’

परिवार नेहा पब्लिक स्कूल में प्रति माह 300-500 रुपये फीस का भुगतान करता है.

आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, वह गांव, जहां यह घटना हुई, 350 से अधिक परिवार हैं और केवल दो स्कूल हैं- एक सरकार द्वारा संचालित और दूसरा नेहा पब्लिक स्कूल. जिले में अन्य स्कूल भी हैं, लेकिन वे गांव से 10-15 किमी दूर स्थित हैं और अपेक्षाकृत अधिक महंगे हैं.

इस बीच, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को जांच शुरू करने और एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया गया है.