असम राइफल्स ने अपने नोटिस में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के नेता महेश्वर थौनाओजम द्वारा 30 जून को दिल्ली में एक शोकसभा के दौरान दिए गए बयानों का हवाला दिया है. थौनाओजम ने मणिपुर हिंसा में असम राइफल्स की भूमिका को लेकर सवाल उठाए थे.
नई दिल्ली: असम राइफल्स ने मणिपुर हिंसा के दौरान बल के खिलाफ ‘अपमानजनक आरोप’ लगाने और उसे राज्य से हटाने की मांग करने के लिए रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के नेता महेश्वर थौनाओजम को कानूनी नोटिस जारी किया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 18 अगस्त को जारी नोटिस में असम राइफल्स ने 30 जून को दिल्ली में आयोजित एक शोकसभा के दौरान आरपीआई (ए) के राष्ट्रीय सचिव थौनाओजम द्वारा दिए गए बयानों का हवाला दिया.
उन्होंने जिन बयानों को चिह्नित किया है उनमें शामिल हैं, ‘(मणिपुर) ग्रामीणों ने यह भी बताया कि असम राइफल्स कुकी उग्रवादियों की मदद कर रही है. इसका मतलब है कि असम राइफल्स को मणिपुर से तुरंत हटाया जाना चाहिए. क्या दो महीने से चल रही हिंसा में असम राइफल्स की प्रमुख भूमिका है ?’
अब अधिवक्ता नितिन खेड़ा के जरिये जारी नोटिस में थौनाओजम से औपचारिक, लिखित माफी की मांग करते हुए कहा गया है कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की प्रतिष्ठा को धूमिल करने और उसे हतोत्साहित करने के लिए यह नोटिस दिया जा रहा है.
इसमें यह भी मांग की गई है कि कानूनी नोटिस प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर प्रमुख मीडिया आउटलेट्स के माध्यम से सार्वजनिक माफी जारी की जाए और यह ‘सुनिश्चित’ किया जाए कि इसे ‘मूल अपमानजनक टिप्पणियों के समान देखा’ जाए. ऐसा न करने पर कानूनी कार्यवाही की जाएगी. नोटिस में कानूनी नोटिस की लागत को कवर करने के लिए 5,100 रुपये के भुगतान की भी मांग की गई है.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, नोटिस में कहा गया है कि असम राइफल्स मणिपुर सहित विभिन्न क्षेत्रों में शांति, सुरक्षा और विकास सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए देश की सेवा कर रही है.
नोटिस में कहा गया है, ‘मेरे मुवक्किल ने निस्वार्थ भाव से हमारे देश विशेषकर पूर्वोत्तर राज्यों के ‘नागरिकों की रक्षा करने और अखंडता को बनाए रखने’ के लिए खुद को समर्पित कर दिया है. यह उल्लेख करना भी उचित है कि यद्यपि मणिपुर राज्य आफस्पा (सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम) के तहत एक अधिसूचित क्षेत्र नहीं है, सक्षम मजिस्ट्रेट ने कानून और व्यवस्था बनाए रखने में सहायता के लिए सशस्त्र बलों को वहां तैनात करने के लिए विशेष रूप से 3 मई और 5 मई को दिनांक जारी किए थे.’
हालांकि, थौनाओजम ने नोटिस को ‘अलोकतांत्रिक’ बताया.
थौनाओजम ने द हिंदू से कहा कि वह माफी नहीं मांगेंगे और वह भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में अभिव्यक्ति की आजादी के हकदार हैं.
उन्होंने कहा, ‘मैंने कोई बयान नहीं दिया, यह एक सवाल था जो मैंने पूछा था. मैंने एक नेता के रूप में नहीं, बल्कि एक मेईतेई के रूप में बात की. यहां का हर मेईतेई जानता है कि असम राइफल्स के कुछ अधिकारी कुकी उग्रवादियों के साथ कैसे नाचते-गाते हैं, इसे साबित करने के लिए वीडियो भी मौजूद हैं. मैं केवल उस बात को दोहरा रहा था जो यहां के सभी मेईतेई लोगों को पता है.’
अखबार के अनुसार, इससे पहले असम राइफल्स ने 10 जुलाई को एक प्रभावशाली मेईतेई नागरिक समाज संगठन कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी (COCOMI) के खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज किया था, जब संगठन ने लोगों से ‘हथियार सरेंडर न करने’ का आह्वान किया था.
3 मई को मणिपुर में कुकी और मेईतेई समुदाय के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद से पुलिस शस्त्रागारों से 4,000 से अधिक हथियार लूटे गए हैं. मेईतेई समूह और भाजपा विधायकों ने पक्षपातपूर्ण आचरण का आरोप लगाते हुए असम राइफल्स को मणिपुर से हटाने की मांग की है.
असम राइफल्स गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है जबकि इसका परिचालन नियंत्रण सेना के पास है. इसे मुख्य रूप से मणिपुर के आंतरिक इलाकों में उपस्थिति के साथ म्यांमार सीमा पर तैनात किया गया है.