गौरी लंकेश हत्या की छठी बरसी पर परिवार और कार्यकर्ताओं ने मामले में जल्द सुनवाई की मांग की

कार्यकर्ता और पत्रकार गौरी लंकेश की 5 सितंबर, 2017 को बेंगलुरु स्थित उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उनके परिवार और कार्यकर्ता मुकदमे की धीमी गति से नाखुश हैं. उन्होंने मामले की रोज़ाना के आधार पर सुनवाई के लिए एक विशेष फास्ट-ट्रैक अदालत की मांग की है.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

कार्यकर्ता और पत्रकार गौरी लंकेश की 5 सितंबर, 2017 को बेंगलुरु स्थित उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उनके परिवार और कार्यकर्ता मुकदमे की धीमी गति से नाखुश हैं. उन्होंने मामले की रोज़ाना के आधार पर सुनवाई के लिए एक विशेष फास्ट-ट्रैक अदालत की मांग की है.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: आज मंगलवार (5 सितंबर) को कार्यकर्ता और पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या की छठी बरसी है. इस अवसर पर उनके परिवार और कार्यकर्ता, जो इस मामले में कार्यवाही की धीमी गति से नाखुश हैं, एक विशेष फास्ट-ट्रैक अदालत की मांग कर रहे हैं, ताकि रोजाना सुनवाई हो सके.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम के तहत मामले में आरोप-पत्र दायर होने के बावजूद मुकदमा अपने प्रारंभिक चरण में है. मामले में 500 से अधिक गवाहों में से केवल 83 ने अब तक अदालत के समक्ष गवाही दी है. सुनवाई मार्च 2022 के अंत में शुरू हुई और तब से तीन न्यायाधीश बदल चुके हैं.

गौरी लंकेश की छोटी बहन कविता लंकेश ने कहा कि परिवार मुकदमे की धीमी गति से नाखुश है और उम्मीद करता है कि सरकार कार्यवाही में तेजी लाएगी. उन्होंने कहा, ‘चार्जशीट 2018 में दायर की गई थी, लेकिन त्वरित सुनवाई के बजाय कार्यवाही को लंबा खींचा जा रहा है. हमें उम्मीद है कि सरकार मुकदमे में तेजी लाएगी.’

एक कार्यकर्ता और गौरी लंकेश के करीबी सहयोगी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि सरकार को दैनिक आधार पर सुनवाई करने के लिए एक विशेष फास्ट-ट्रैक अदालत की स्थापना करनी चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘यह मांग नई नहीं है, पहले भी हमने मुकदमे में देरी का हवाला देते हुए सरकार से संपर्क किया था. हत्या और जांच के दौरान खुलासे चिंताजनक हैं और यह जरूरी है कि आरोपियों को जल्द से जल्द सजा मिले.’

गौरतलब है कि 5 सितंबर, 2017 को बेंगलुरु स्थित घर के पास ही गौरी लंकेश को रात करीब 8:00 बजे गोली मार दी गई थी. उन्हें हिंदुत्ववादी विचारधारा के खिलाफ आलोचनात्मक रुख रखने के लिए जाना जाता था. मामले की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने पाया था कि एक अज्ञात संगठन ने हत्या को अंजाम देने के लिए दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं की भर्ती की थी.

यह मुकदमा इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि एसआईटी की जांच में चार तर्कवादियों – एमएम कलबुर्गी, गोविंद पानसरे, नरेंद्र दाभोलकर और गौरी लंकेश की हत्याओं के बीच संबंध का पता चला है.

जांच के शुरुआत में एसआईटी को लंकेश और प्रोफेसर कलबुर्गी की हत्याओं के बीच एक संबंध मिला था. 30 अगस्त 2015 को कर्नाटक के धारवाड़ में कन्नड़ लेखक और तर्कवादी एमएम कलबुर्गी की उनके घर के दरवाजे पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

लंकेश के घर से बरामद चार बुलेट स्लग और कारतूस कलबुर्गी हत्या मामले के स्लग और कारतूस से मेल खाते थे. फोरेंसिक लैब से पता चला कि दोनों गोलियां एक ही बंदूक से मारी गई थीं.

एक अन्य तर्कवादी गोविंद पानसरे की हत्या की जांच कर रही महाराष्ट्र एसआईटी ने भी यह पाया कि लंकेश और पानसरे की हत्या में एक ही बंदूक का इस्तेमाल किया गया था. जांच के बाद के चरणों के दौरान लंकेश और तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर की हत्याओं के बीच भी संबंध पाया गया था.

अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को पुणे के ओंकारेश्वर पुल पर उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वे मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे.

रिपोर्ट के अनुसार, इस बीच, राज्य सरकार ने एक साल से अधिक समय से राज्य भर में कई लेखकों को जान से मारने की धमकी भरे पत्रों की जांच बेंगलुरु सिटी पुलिस की केंद्रीय अपराध शाखा (सीसीबी) को सौंप दी है.

राज्य के 15 से अधिक लेखकों और बुद्धिजीवियों ने राज्य के गृह मंत्री जी. परमेश्वर को पत्र लिखकर कहा है कि उन्हें पिछले एक साल से धमकी भरे पत्र मिल रहे हैं और उन्होंने उनसे (गृह मंत्री) मिलने के लिए समय भी मांगा है. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें पत्र मिले हैं, जिनमें कहा गया है कि उनका हश्र दिवंगत कार्यकर्ताओं एमएम कलबुर्गी और गौरी लंकेश जैसा होगा.

पिछले वर्ष लेखकों की शिकायत के अनुसार, कर्नाटक के कई उदारवादी लेखकों को ‘सहिष्णु हिंदू’ नामक संगठन द्वारा हस्ताक्षरित मौत की धमकियां लगातार मिल रही हैं. इन धमकियों के संबंध में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था.

के. वीरभद्रप्पा, बीएल वेणु, बंजगेरे जयप्रकाश, बीटी ललिता नायक और वसुंधरा भूपति जैसे लेखकों को जान से मारने की धमकी वाले पत्रों पर कुल सात एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिन्हें केंद्रीय क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर कर दिया गया है.

कर्नाटक के पुलिस प्रमुख आलोक मोहन द्वारा जारी आदेश में बेंगलुरु शहर के पुलिस कमिश्नर को मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम बनाने का निर्देश दिया गया है, एक सहायक पुलिस आयुक्त रैंक के अधिकारी को जांच अधिकारी (आईओ) बनाने और संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) को जांच की निगरानी करने का निर्देश दिया गया है.