मणिपुर हिंसा की रिपोर्ट पर एडिटर्स गिल्ड के ख़िलाफ़ केस अभिव्यक्ति की आज़ादी के ख़िलाफ़: कोर्ट

हिंसाग्रस्त मणिपुर संबंधी एक फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट को लेकर राज्य पुलिस द्वारा दायर एफआईआर को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि गिल्ड अपनी रिपोर्ट में सही या ग़लत हो सकता है, लेकिन अपने विचार रखने की स्वतंत्रता का अधिकार है.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

हिंसाग्रस्त मणिपुर संबंधी एक फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट को लेकर राज्य पुलिस द्वारा दायर एफआईआर को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि गिल्ड अपनी रिपोर्ट में सही या ग़लत हो सकता है, लेकिन अपने विचार रखने की स्वतंत्रता का अधिकार है.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: हिंसाग्रस्त मणिपुर के हालात पर एक फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट को लेकर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) के कुछ सदस्यों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (15 सितंबर) को सवाल उठाए. साथ ही कहा कि चारों ईजीआई सदस्यों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर अंतरिम संरक्षण जारी रहेगा.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में गिल्ड की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें इसके सदस्यों के खिलाफ की गई कार्रवाई को चुनौती दी गई है. सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने पूछा, ‘यह मानते हुए कि उन्होंने जो कहा वह झूठ है और आपका कहना है कि हर पैराग्राफ झूठा है, लेकिन किसी लेख में गलत बयान देना धारा 153ए के तहत अपराध नहीं होता. यह त्रुटिपूर्ण हो सकता है. त्रुटिपूर्ण चीजें देश भर में हर दिन रिपोर्ट की जाती हैं. क्या आप धारा 153ए के लिए पत्रकारों पर मुकदमा चलाएंगे?’

द हिंदू के मुताबिक, सीजेआई ने कहा कि ईजीआई मणिपुर हिंसा के ‘पक्षपातपूर्ण मीडिया कवरेज’ के बारे में अपनी रिपोर्ट में सही या गलत हो सकता है, लेकिन अपने विचार रखने के लिए उसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है.

जब शिकायतकर्ताओं ने बार-बार ईजीआई द्वारा अपनी रिपोर्ट के माध्यम से मणिपुर में किए गए नुकसान का उल्लेख किया तो सीजेआई बोले, ‘चूंकि आपने वह मुद्दा उठाया है तो हमें पहले इस बारे में बताइए कि इन अपराधों हुए कैसे. हलफनामा दायर करें. इसे रिकॉर्ड पर रखें. हमें बताएं कि शिकायतें और एफआईआर क्यों रद्द नहीं की जानी चाहिए… सेना ने ईजीआई को पत्र लिखकर कहा कि मणिपुर में पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग की जा रही है. ईजीआई हस्तक्षेप करने और पता लगाने के लिए वरिष्ठ पत्रकारों की एक टीम वहां भेजता है. वे एक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं… वे सही या गलत हो सकते हैं, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का यही मतलब है.’

सीजेआई चंद्रचूड़ ने शिकायतकर्ताओं की ओर से प्रस्तुत वरिष्ठ अधिवक्ता गुरु कृष्णकुमार से पूछा, ‘आपने कहा है कि उन्होंने आईपीसी की धारा 200 (अदालत को झूठी घोषणा देना) के तहत अपराध किया है, उन्होंने अदालत के समक्ष कहां कोई घोषणा की? धारा 200 को यहां कैसे लागू किया गया?’

पीठ ने कहा कि उसका इरादा गिल्ड की अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने के अनुरोध पर विचार करने का है और शिकायतकर्ता को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. ज्ञात हो कि पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में ईजीआई की अध्यक्ष सीमा मुस्तफा के साथ फैक्ट-फाइंडिंग टीम के सदस्य- वरिष्ठ पत्रकार सीमा गुहा, भारत भूषण और संजय कपूर के नामजद हैं.

ईजीआई सदस्यों पर आईपीसी की धारा 153ए, 200 और 298 (धार्मिक भावनाओं को आहत करने का जानबूझकर इरादा) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम व प्रेस परिषद अधिनियम के प्रावधानों सहित विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था. दूसरी एफआईआर में इन आरोपों में आईपीसी की धारा 499 (मानहानि) जोड़ी गई थी.

पीठ ने कहा, ‘चूंकि जो राहत मांगी गई है उनमें से एक इस आधार पर एफआईआर को रद्द करने के लिए है कि शिकायत पढ़ने पर ऐसे किसी भी अपराध का पता नहीं चलता है, जिसे आरोपित करने की मांग की गई है. हम जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह की अवधि देते हैं.’

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जिन शिकायतों के आधार पर वरिष्ठ पत्रकारों, ईजीआई सदस्यों और अध्यक्ष के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, उनमें उनके खिलाफ कथित अपराधों का संकेत भी नहीं मिलता है.

अधिवक्ता कृष्णकुमार ने एक बिंदु पर सुझाव दिया था कि उनके मुवक्किल अपनी शिकायतें वापस ले लेंगे, बशर्ते ईजीआई अपनी रिपोर्ट वापस ले ले. हालांकि, आख़िर में वे जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए सहमत हो गए.

ईजीआई और पत्रकारों की ओर से प्रस्तुत वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि मणिपुर हाईकोर्ट के समक्ष भी ईजीआई के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की गई है. उन्होंने इसे दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग की.

सीजेआई ने मामले में मणिपुर हाईकोर्ट द्वारा जनहित याचिका पर विचार करने पर भी नाराजगी व्यक्त की.

अदालत ने कहा, ‘जिस तरह से हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा जनहित याचिका पर विचार किया गया है, परिवार के मुखिया के रूप में मुझे इस बारे में अधिक कुछ नहीं कहना चाहिए. निश्चित रूप से इस प्रकार की जनहित याचिकाओं की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण मामले हैं जिन पर विचार किया जाना चाहिए.’

इससे पहले दीवान ने कहा था कि गिल्ड ने भारतीय सेना के अनुरोध पर अपने सदस्यों को मणिपुर भेजा था.

बता दें कि हिंसाग्रस्त मणिपुर संबंधी एक फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट को लेकर राज्य पुलिस द्वारा अपने खिलाफ दायर की गई एफ़आईआर का सामना कर रहे एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में बताया है कि ​सेना के अनुरोध पर उसकी ​टीम ने वहां का दौरा किया था. पत्र में सेना ने स्थानीय मीडिया पर एक समुदाय के प्रति पक्षपाती होने का आरोप लगाया था.

राज्य की हिंसा पर गिल्ड की रिपोर्ट में कहा गया था कि मणिपुर से आ रही संघर्ष की कई ख़बरें और रिपोर्ट्स ‘एकतरफा’ थीं. गिल्ड की रिपोर्ट में कहा गया था कि इंफाल स्थित मीडिया ‘मेईतेई मीडिया में तब्दील हो गया था.’

रिपोर्ट में कहा गया था, ‘जातीय हिंसा के दौरान मणिपुर के पत्रकारों ने एकतरफा रिपोर्ट लिखीं. सामान्य परिस्थितियों में  रिपोर्ट्स को संपादकों या स्थानीय प्रशासन, पुलिस और सुरक्षा बलों के ब्यूरो प्रमुखों द्वारा क्रॉस-चेक और देखा जाता है, हालांकि संघर्ष के दौरान ऐसा कर पाना मुमकिन नहीं था.’

आगे कहा गया, ‘ये मेईतेई मीडिया बन गया था. ऐसा लगता है कि संघर्ष के दौरान मणिपुर मीडिया के संपादकों ने सामूहिक रूप से एक-दूसरे से परामर्श करके और एक समान नैरेटिव पर सहमत होकर काम किया, मसलन किसी घटना की रिपोर्ट करने के लिए एक समान भाषा पर सहमति, भाषा के विशिष्ट तरह से इस्तेमाल या यहां तक कि किसी घटना की रिपोर्टिंग नहीं करना. गिल्ड की टीम को बताया गया कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि वे पहले से ही अस्थिर स्थिति को और अधिक भड़काना नहीं चाहते थे.’

टीम ने राज्य में लगाए गए इंटरनेट शटडाउन की भी आलोचना की और कहा कि इससे ‘हालात और खराब हुए’ और ‘मीडिया पर भी असर पड़ा, क्योंकि बिना किसी संचार लिंक के एकत्र की गई स्थानीय खबरें स्थिति के बारे में कोई संतुलित दृष्टिकोण देने के लिए पर्याप्त नहीं थीं.’

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq bandarqq pkv games pkv games bandarqq dominoqq dominoqq pkv games bandarqq dominoqq https://sayalab.com.mx/lab/pkv-games/ https://sayalab.com.mx/lab/dominoqq/ https://sayalab.com.mx/lab/bandarqq/ https://blog.penatrilha.com.br/penatri/pkv-games/ https://blog.penatrilha.com.br/penatri/bandarqq/ https://blog.penatrilha.com.br/penatri/dominoqq/ http://dierenartsgeerens-mechelen.be/fileman/Uploads/logs/bocoran-admin-jarwo/ https://www.bumiwisata-indonesia.com/site/bocoran-admin-jarwo/ http://dierenartsgeerens-mechelen.be/fileman/Uploads/logs/depo-25-bonus-25/ http://dierenartsgeerens-mechelen.be/fileman/Uploads/logs/depo-50-bonus-50/ https://www.bumiwisata-indonesia.com/site/slot77/ https://www.bumiwisata-indonesia.com/site/kakek-merah-slot/ https://kis.kemas.gov.my/kemas/kakek-merah-slot/