भारत द्वारा कनाडा पर लगाए वीज़ा प्रतिबंध, आंतरिक मामलों में दख़ल के दावे समेत अन्य खबरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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कनाडा द्वारा भारत सरकार पर खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में संलिप्तता के आरोप के बाद दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बाद नई दिल्ली ने अस्थायी रूप से कनाडाई नागरिकों के लिए वीज़ा सेवाओं को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित कर दिया है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इसी बीच भारतीय विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को ओटावा के ‘आंतरिक मामलों में दखल’ का हवाला देते हुए कहा कि राजनयिक कर्मचारियों की संख्या में समानता होनी चाहिए. यह बयान कनाडा सरकार की उस घोषणा के चंद घंटों बाद आया था, जिसमें इसने कहा था कि वह ‘अपने राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने’ के लिए भारत में अपने स्टाफ की उपस्थिति को ‘अस्थायी रूप से’ एडजस्ट करेगी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘यहां उनकी संख्या भारत की राजनयिक उपस्थिति से बहुत अधिक है… हमने अपने आंतरिक मामलों में कनाडाई राजनयिक हस्तक्षेप देखा है. इसे ध्यान में रखते हुए रैंक और राजनयिक ताकत में समानता की मांग की जा रही है.

एल्गार परिषद मामले में संलिप्तता के आरोप में पांच साल से जेल में बंद छात्र कार्यकर्ता महेश राउत को बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है. रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस एएस गडकरी और जस्टिस शर्मिला देशमुख की खंडपीठ ने कहा कि राउत के खिलाफ लगाए गए यूएपीए की कई धाराएं मान्य नहीं थीं. अदालत ने उनकी कैद की लंबी अवधि को भी ध्यान में रखा और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, उन्हें जमानत दे दी. मामले की जांच संभाल देख रहे एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए दो हफ्ते का समय मांगा. हालांकि हाईकोर्ट ने हफ्तेभर का समय दिया है. इस मामले को लेकर जून, 2018 को गिरफ्तार किए जाने वाले पहले पांच व्यक्तियों में से एक राउत पहले ही 1,930 दिन जेल में बिता चुके हैं और इस मामले में गिरफ्तार किए गए 16 लोगों में से जमानत पाने वाले छठे व्यक्ति बन गए हैं.

गुजरात के एक गांव में ग्रामीणों के एक दलित समुदाय के व्यक्ति की दुकान से राशन लेने से इनकार के बाद जिला कलेक्टर द्वारा सभी राशन कार्ड पड़ोस के एक गांव में ट्रांसफर करने की घटना सामने आई है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, मामला पाटन जिले के कानोसन गांव का है, जहां करीब डेढ़ साल से ठाकोर समुदाय (जो ओबीसी वर्ग में आता है) ने दलित समुदाय के एक शख्स द्वारा चलाई जा रही उचित मूल्य की दुकान (एफपीएस) से राशन लेना बंद कर दिया था. जिला प्रशासन द्वारा दर्ज बयानों में अधिकांश ने उक्त व्यक्ति से राशन न लेने की बात कहते हुए दूसरे गांव से राशन खरीदने की अनुमति चाही थी, जिसके बाद कलेक्टर ने आदेश दिया है कि कानोसन निवासियों के सभी राशन कार्ड उनके गांव से लगभग 1.5 किमी दूर एडला गांव के एफपीएस में ट्रांसफर किए जाएं.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश विधानसभा और परिषद के सचिवालयों में 2022-23 में हुई कर्मचारियों की नियुक्तियों में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, कोर्ट में दायर कई याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि विधानसभा और विधान परिषद के सचिवालयों के लिए कर्मचारियों की चयन प्रक्रिया उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा नहीं, बल्कि निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन करते हुए बाहरी एजेंसियों द्वारा की गई थी. आरोप है कि बाहरी एजेंसियों के क़रीबी लोगों को चयन प्रक्रिया में ‘तरजीह’ दी गई. हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सीबीआई को छह सप्ताह के भीतर अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. साथ ही आरोपों की गंभीर प्रकृति का संज्ञान लेते हुए अपनी रजिस्ट्री को मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका दायर करने को कहा है.

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने राष्ट्रीय पात्रता सह-प्रवेश परीक्षा स्नातकोत्तर (नीट-पीजी/NEET-PG) 2023 की सभी श्रेणियों में क्वालीफाइंग परसेंटाइल को घटाकर जीरो कर दिया है. इसका अर्थ है कि नीट-पीजी 2023 परीक्षा में उपस्थित सभी उम्मीदवार अब पीजी मेडिकल काउंसलिंग प्रक्रिया में भाग लेने के पात्र होंगे. रिपोर्ट के अनुसार, इस कदम का उद्देश्य स्पष्ट रूप से यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी स्नातकोत्तर मेडिकल सीट खाली न रहे, लेकिन इससे निजी कॉलेजों को लाभ होगा. फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स इन इंडिया (फोर्डा/FORDA) जैसे कुछ डॉक्टर संगठनों ने इसका स्वागत किया है, लेकिन कई अन्य संघों और डॉक्टरों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह कदम मेडकल शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के मानक का ‘मजाक’ है.

1984 के सिख-विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले से पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को स्थानीय अदालत ने बरी कर दिया. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, जिस मामले में उन्हें बरी किया गया है वह दंगों के दौरान दिल्ली के सुल्तानपुरी इलाके में सिख समुदाय के सात लोगों की हत्या से जुड़ा हुआ है. हालांकि सज्जन कुमार अभी जेल में ही रहना होगा, क्योंकि उन्हें 1-2 नवंबर 1984 को पालम कॉलोनी के राजनगर पार्ट-वन में पांच सिखों की हत्या और राजनगर पार्ट-टू में एक गुरुद्वारे को जलाने के मामले में 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी.