मणिपुर से सात सेकंड के इस वीडियो में एक गड्ढे में पड़े कुकी समुदाय के एक व्यक्ति को कुछ लोगों द्वारा आग लगाते हुए देखा जा सकता है. यह स्पष्ट नहीं है कि घटना के व्यक्ति ज़िंदा था या नहीं. एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि यह हिंसा के दूसरे दिन यानी 4 मई को मेईतेई-प्रभुत्व वाले थौबल जिले में हुई एक घटना है. इस संबंध में उस वक्त केस दर्ज किया गया था.
नई दिल्ली: मणिपुर से सामने आए एक और भयावह वीडियो में एक आदिवासी व्यक्ति के शव को आग लगाते हुए देखा जा सकता है. सात सेकंड के वीडियो, जिसमें जलाए जा रहे व्यक्ति की पहचान ‘कुकी’ समुदाय के रूप में की गई है, 8 अक्टूबर को मणिपुर के कई वॉट्सऐप ग्रुपों में शेयर गया था.
वीडियो में एक आदमी को काली टी-शर्ट और पतलून में एक गड्ढे में पड़े हुए देखा जा सकता है, उसके चेहरे को कुचल दिया गया है और शरीर पर आग लगी हुई है. यह स्पष्ट नहीं है कि व्यक्ति को जिंदा जलाया गया या नहीं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मणिपुर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 7 सेकंड के वीडियो में जिस व्यक्ति को जलाते हुए देखा जा सकता है, वह कुकी-ज़ोमी समुदाय से है और यह वीडियो मणिपुर में हिंसा के दूसरे दिन यानी 4 मई को मेईतेई-प्रभुत्व वाले थौबल जिले में हुई एक घटना का है. घटना के संबंध में उस वक्त मामला दर्ज किया गया था.
घटना के कथित वीडियो में मणिपुरी में बोलने वाले कई लोगों की आवाजें सुनी जा सकती हैं, हालांकि उनके चेहरे नहीं देखे जा सकते हैं और फ्रेम में केवल दो जोड़ी पैर दिखाई देते हैं, यह कहते हुए कि कोई फोटो या वीडियो नहीं लिया जाए.
बीते जुलाई में एक वीडियो सामने आया था, जिसमें दो कुकी आदिवासी महिलाओं को भीड़ द्वारा निर्वस्त्र घुमाया गया था और उनका यौन उत्पीड़न किया गया, जिससे पूरे देश में व्यापक आक्रोश पैदा हुआ था. यह घटना भी 4 मई को नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में थौबल जिले में हुई थी.
पुलिस अधिकारी ने कहा कि आदमी को जलाने का वीडियो उसी हिंसक घटनाओं की श्रृंखला से है, जिसने उस दिन उस क्षेत्र को प्रभावित किया था. पुलिस ने मामले में 7 लोगों को गिरफ्तार किया था.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, कुकी-ज़ो संगठन के एक प्रतिनिधि ने कहा कि वे उस व्यक्ति की पहचान का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि हिंसा के दौरान समुदाय के लगभग पांच या छह लोगों को जिंदा जला दिया गया था.
इसी बीच इस घटना को लेकर विपक्ष ने सोमवार को कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला.
विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने धुंधली वीडियो क्लिप साझा करते हुए एक्स लिखा, ‘यह मणिपुर से है! मणिपुर में कुकी आदिवासी युवक को जिंदा जला दिया गया, यह घटना बेहद दुखद और शर्मनाक है. मोदी जी पड़ोसी देश के बारे में दुख व्यक्त कर रहे हैं, लेकिन मणिपुर को बचाने में विफल रहे.’
इंडिया गठबंधन की सहयोगी शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त की.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘मणिपुर से सामने आए एक और भयावह वीडियो में एक आदिवासी व्यक्ति को आग लगाते हुए देखा जा सकता है. एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि वीडियो मई की शुरुआत का प्रतीत होता है. मणिपुर की त्रासदी पर अभी भी चर्चा और समाधान नहीं किया गया है.’
मालूम हो कि मणिपुर में 3 मई से मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया गया है, जब राज्य में आदिवासी कुकी-ज़ो और बहुसंख्यक मेईतेई समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़क उठी थी.
जुलाई में लापता हुए दो मेईतेई छात्रों के शवों की तस्वीरें 25 सितंबर को सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद इसे फिर से प्रतिबंध लगाने से पहले 23 सितंबर को कुछ समय के लिए बहाल किया गया था.
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक टीम ने कथित अपराध के लिए दो महिलाओं सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया. दोनों छात्रों के शव अभी तक बरामद नहीं हुए हैं.
बीते 3 मई को मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेईतेई समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद जातीय हिंसा भड़क गई थी. हिंसा की घटनाओं में अब तक 180 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं. राज्य में 32 लोग अब भी लापता हैं.
द हिंदू के मुताबिक, कुल मिलाकर हिंसा में 4,786 घरों को आग लगा दी गई और 386 धार्मिक इमारतों को तोड़ दिया गया.
पिछले पांच महीनों से राज्य में छिटपुट हिंसा जारी है.
मणिपुर पुलिस ने कहा कि 7 अक्टूबर की रात न्यू कीथेलमनबी इलाके में एक हमले को नाकाम करने के कुछ घंटों बाद 8 अक्टूबर को सुरक्षा बलों पर सशस्त्र बदमाशों ने गोलीबारी की.
अधिकारी अभी भी राज्य में हिंसा के दौरान लूटे गए बड़ी संख्या में हथियार और गोला-बारूद बरामद नहीं कर पाए हैं. पुलिस शस्त्रागारों से लगभग 4,000 हथियार और लाखों गोला-बारूद लूट लिए गए थे.
द हिंदू के मुताबिक, बीते 8 अक्टूबर को इंफाल पूर्व के जिला मजिस्ट्रेट ने ‘आपातकालीन उपाय’ के रूप में आदेश दिया कि जनता को तत्काल प्रभाव से जुलूस, रैली, विरोध प्रदर्शन, गैरकानूनी सभाएं, लाउडस्पीकर का उपयोग करके सार्वजनिक बैठकें करने आदि से प्रतिबंधित कर दिया गया है.
पुलिस, अर्धसैनिक बल, सैन्य कर्मचारी या आधिकारिक ड्यूटी पर तैनात अन्य सरकारी कर्मचारियों को, जुलूस या बैठकें जिनके लिए जिला मजिस्ट्रेट की पूर्व अनुमति प्राप्त की गई है, शादियों और अंत्येष्टि के संबंध में पारंपरिक और अनुष्ठानिक जुलूस और सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा आयोजित गतिविधियों को इस आदेश से छूट दी गई है.