वैश्विक नागरिक समाज गठबंधन ‘सिविकस’ ने कहा है कि यह भारत में प्रेस की स्वतंत्रता पर पूर्ण हमला है और समाचार वेबसाइट न्यूज़क्लिक की आलोचनात्मक और स्वतंत्र पत्रकारिता के प्रति प्रतिशोध की कार्रवाई है. यूएपीए के तहत इस वेबसाइट पर आरोप लगाना, स्वतंत्र मीडिया, कार्यकर्ताओं और नागरिकों को चुप कराने और परेशान करने का एक बेशर्म प्रयास है.
नई दिल्ली: वैश्विक नागरिक समाज गठबंधन ‘सिविकस’ (CIVICUS) ने भारतीय अधिकारियों से गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत समाचार वेबसाइट न्यूज़क्लिक के खिलाफ कार्रवाई बंद करने और उसके संपादक और कर्मचारियों को रिहा करने का आह्वान किया है.
बीते 3 अक्टूबर को न्यूज़क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और इसके एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने आतंकवाद और आपराधिक साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया था. ऐसा तब हुआ जब पुलिस ने न्यूज़क्लिक से जुड़े 70 से अधिक स्थानों पर छापा मारा था, जिसमें उसके कर्मचारियों, योगदानकर्ताओं और सलाहकारों के घर भी शामिल थे.
सिविकस दुनिया भर में नागरिक कार्रवाई और नागरिक समाज को मजबूत करने के लिए समर्पित 10,000 से अधिक नागरिक समाज संगठनों और कार्यकर्ताओं का एक वैश्विक गठबंधन है.
सिविकस में वकालत और अभियान के नेतृत्वकर्ता डेविड कोडे ने कहा, ‘यह भारत में प्रेस की स्वतंत्रता पर पूर्ण हमला और न्यूज़क्लिक की आलोचनात्मक और स्वतंत्र पत्रकारिता के प्रति प्रतिशोध की कार्रवाई है. यूएपीए के तहत एक समाचार आउटलेट पर आरोप लगाना, स्वतंत्र मीडिया, कार्यकर्ताओं और नागरिकों को चुप कराने और परेशान करने का एक बेशर्म प्रयास है. हम प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती की तत्काल रिहाई का आह्वान करते हैं. न्यूज़क्लिक के खिलाफ सभी आरोप हटा दिए जाने चाहिए.’
छापेमारी 3 अक्टूबर को शुरू हुई थी, जब पुलिस ने पत्रकारों के मोबाइल फोन, लैपटॉप और हार्डडिस्क सहित इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को जब्त कर लिया था. पुलिस अब तक न्यूज़क्लिक से जुड़े कम से कम 46 पत्रकारों से पूछताछ कर चुकी है.
इन पत्रकारों से 2020 के दिल्ली दंगे, मोदी सरकार के कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन और कोविड-19 संकट जैसे मामलों पर प्रमुखता से सवाल पूछे गए.
न्यूज़क्लिक के खिलाफ मामला स्पष्ट रूप से न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट पर आधारित है, जिसमें कहा गया है कि पोर्टल को एक अमेरिकी करोड़पति से धन प्राप्त हुआ, जिसने चीनी प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ाया है. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के आधार पर लोकसभा में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने दावा किया था कि न्यूज़क्लिक और राहुल गांधी जैसे कांग्रेस नेताओं को ‘भारत विरोधी माहौल’ बनाने के लिए चीन से धन प्राप्त हुआ था.
हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि जिन व्यक्तियों पर छापे मारे गए या पूछताछ की गई, उनके खिलाफ क्या आरोप लगाए गए हैं. पुलिस द्वारा मंगलवार को इस्तेमाल किए गए तलाशी नोटिस में यूएपीए की विभिन्न धाराओं, साजिश (धारा 120बी, आईपीसी) और विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने (153ए) के तहत आरोप सूचीबद्ध हैं.
अतीत में सिविकस मॉनिटर ने असहमति को दबाने के लिए कार्यकर्ताओं के खिलाफ भारतीय अधिकारियों द्वारा यूएपीए कानून के दुरुपयोग का दस्तावेजीकरण किया है.
कोडे ने कहा, ‘स्वतंत्र मीडिया के खिलाफ यह कार्रवाई भारत में नागरिक स्थान की गिरावट का एक और प्रमाण है. अधिकारी कार्यकर्ताओं, नागरिक समाज और पत्रकारों के खिलाफ यूएपीए जैसे दमनकारी कानूनों का दुरुपयोग करना बंद करें. उन्हें अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों और मानकों के तहत भारत के दायित्वों का पालन करना चाहिए.’
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