सीबीआई ने गुवाहाटी में एक विशेष अदालत के समक्ष छह लोगों और एक नाबालिग के खिलाफ मई की घटना के संबंध में आरोप पत्र दायर किया है. मई में हुई इस घटना का वीडियो जुलाई महीने में सामने आया था, जिसमें भीड़ द्वारा कुकी समुदाय की दो महिलाओं को नग्नकर घुमाकर उन पर यौन हमला किया गया था.
नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार को गुवाहाटी में एक विशेष अदालत के समक्ष छह लोगों और एक नाबालिग के खिलाफ मई की घटना के संबंध में आरोप-पत्र दायर किया, जिसमें मणिपुर के कुकी-ज़ोमी समुदाय की दो महिलाओं को नग्न घुमाया गया और उन पर यौन हमला किया गया था.
इस साल जुलाई में घटना का एक वीडियो सामने आया था और देश भर में आक्रोश फैल गया था. इस घटना की व्यापक निंदा हुई थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप किया और इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी थी.
मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के अगले दिन 4 मई को हुई इस घटना के वीडियो में थौबल क्षेत्र में भीड़ द्वारा आदिवासी कुकी समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाते हुए देखा जा सकता है. वीडियो में दोनों महिलाओं, जिनमें से एक की उम्र 20 साल और दूसरी की 40 साल के आसपास थी, को पुरुषों की भीड़ द्वारा नग्न अवस्था में सड़क पर ले जाते हुए देखा जा सकता था.
भीड़ में से कुछ लोगों को दो महिलाओं को खेत की ओर खींचते और उनके साथ छेड़छाड़ करते भी देखा जा सकता था. इनमें से एक के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार भी किया गया था और इसका विरोध करने पर उनके पिता और भाई की हत्या कर दी गई थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 18 मई को दर्ज की गई एक पुलिस शिकायत में पीड़ितों ने यह आरोप लगाया था कि 20 वर्षीय महिला के साथ ‘दिनदहाड़े बेरहमी से सामूहिक बलात्कार किया गया था.’
सीबीआई ने मणिपुर सरकार के अनुरोध और केंद्र की अधिसूचना पर मामला दर्ज किया था.
सीबीआई ने कहा कि आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिनमें सामूहिक बलात्कार, हत्या, महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना और आपराधिक साजिश से संबंधित धाराएं शामिल हैं.
केंद्रीय एजेंसी के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘ऐसा आरोप है कि चार मई को करीब 900-1000 लोगों की सशस्त्र भीड़ मणिपुर के कांगपोकपी जिले के बी फेनोम गांव में घुसी और उसने मकानों में तोड़फोड़ की तथा उनमें आग लगाई, लूटपाट की, ग्रामीणों की पिटाई की, हत्याएं कीं और महिलाओं का यौन शोषण किया.’
आगे यह भी आरोप है कि उग्र भीड़ ने जिन महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़कों पर घुमाया गया, उनमें से एक के परिवार के दो सदस्यों की हत्या भी कर दी गई थी.
सीबीआई प्रवक्ता ने कहा, ‘जनता को याद दिलाया जाता है कि उपरोक्त निष्कर्ष सीबीआई द्वारा की गई जांच और उसके द्वारा एकत्र किए गए सबूतों पर आधारित हैं. भारतीय कानून के तहत आरोपियों को तब तक निर्दोष माना जाता है जब तक कि निष्पक्ष सुनवाई के बाद उनका अपराध स्थापित नहीं हो जाता.’
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना को बिल्कुल अस्वीकार्य और संवैधानिक एवं मानवाधिकारों का सबसे बड़ा उल्लंघन बताया था. पीठ ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा था, ‘हम सरकार को कार्रवाई के लिए थोड़ा समय देंगे और अगर जमीनी स्तर पर कुछ नहीं होता है तो फिर हम कार्रवाई करेंगे.’