गोवा के मछुआरों ने राष्ट्रीय खेलों के दौरान मछली पकड़ने पर लगाए गए प्रतिबंध का विरोध किया

राष्ट्रीय खेलों के मद्देनज़र अधिकारियों ने गोवा के ​कई समुद्र तटों पर 27 अक्टूबर से 8 नवंबर तक मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है. अधिकारियों ने मछुआरों से 20 दिनों से अधिक समय के लिए अपनी डोंगियों/जहाजों को समुद्र तट से दूर रखने के लिए कहा है. मछुआरा समुदाय ने आदेश को ‘असंवेदनशील’ और ‘अहंकारी’ बताया है.

वेनगुइनिम तट पर मछुआरों की नाव. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

राष्ट्रीय खेलों के मद्देनज़र अधिकारियों ने गोवा के ​कई समुद्र तटों पर 27 अक्टूबर से 8 नवंबर तक मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है. अधिकारियों ने मछुआरों से 20 दिनों से अधिक समय के लिए अपनी डोंगियों/जहाजों को समुद्र तट से दूर रखने के लिए कहा है. मछुआरा समुदाय ने आदेश को ‘असंवेदनशील’ और ‘अहंकारी’ बताया है.

वेनगुइनिम तट पर मछुआरों की नाव. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

पणजी: बीते 17 अक्टूबर गोवा के वेनगुइनिम समुद्र तट के मछली पकड़ने वाले समुदाय को पता चला कि राष्ट्रीय खेलों के सुचारू संचालन के लिए उनकी मछली पकड़ने वाली डोंगियों को हटा दिया जाएगा. बंदरगाह विभाग के कैप्टन द्वारा यह ‘आधिकारिक आदेश’ मौखिक रूप से दिया गया था. अधिकारियों ने मछुआरों से 20 दिनों से अधिक समय के लिए अपनी डोंगियों/जहाजों को समुद्र तट से दूर रखने के लिए कहा है.

बंदरगाह कैप्टन के कार्यालय से संपर्क करने पर पुष्टि हुई कि उन्हें निपटान और भूमि रिकॉर्ड के निदेशक, जो राष्ट्रीय खेलों के वेन्यू कमांडेंट भी हैं, से एक पत्र मिला है, जिसमें उन्हें समुद्र तट को खाली करने का निर्देश दिया गया है. इसी तरह के निर्देश मत्स्य विभाग के निदेशक को भी जारी किए गए है.

मछुआरे शेखर कुट्टीकर ने कहा, ‘हमें अधिकारियों से कोई पत्र नहीं मिला है, बल्कि केवल मौखिक जानकारी मिली है. हमें राष्ट्रीय खेलों के लिए अपनी आजीविका क्यों छोड़नी चाहिए? क्या राजनेता और सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय खेलों के दौरान बिना वेतन के जाते हैं?’

कुट्टिकर ने कहा, ‘यदि अधिकारी चाहते हैं कि मछुआरे मछली पकड़ना बंद कर दें, तो उन्हें अपनी डोंगी रखने के लिए एक सुरक्षित स्थान प्रदान करने के लिए एक लिखित समझौता करना होगा. इस अवधि के दौरान प्रति मछुआरे को प्रति दिन 5,000 रुपये का अग्रिम भुगतान करना होगा और राष्ट्रीय खेलों के समापन के बाद मछुआरों को समुद्र तट तक पहुंच सौंपने की गारंटी देनी होगी.’

राष्ट्रीय खेलों के दौरान मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगाने के आदेश की प्रति के साथ एक मछुआरा. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

यह सुनिश्चित करने के लिए कि ग्रामीण विरोध न करें, उत्तरी गोवा कलेक्टर स्नेहा एस. गिट्टे ने 18 अक्टूबर को सीआरपीसी की धारा 144 लगा दी, जिससे एक समुद्री मील के भीतर सभी प्रकार की मछली पकड़ने और पानी के खेलों पर प्रतिबंध लगा दिया गया.

मछली पकड़ने पर प्रतिबंध 27 अक्टूबर से लागू होकर 8 नवंबर तक रहेगा. यह प्रतिबंध मत्स्य पालन निदेशक की सिफारिश पर लगाया गया है.

इस आदेश से वेनगुइनिम तट, डोना पाउला में हवाई तट और चपोरा नदी, जहां विभिन्न वॉटर स्पोर्ट्स होंगे, पर मछली पकड़ने वाले समुदाय प्रभावित होंगे.

हालांकि, कलेक्टर के आदेश में इस बात का कोई उल्लेख नहीं है कि मछुआरों को इस अवधि के दौरान अपनी आजीविका कैसे चलानी है.

काकरा, ओडक्सेल और डोना पाउला में मछली पकड़ने वाले संघों को भी मत्स्य निदेशक और निपटान और भूमि रिकॉर्ड के निदेशक द्वारा दो-दो पत्रों का एक सेट भेजा गया है, जिसमें उनसे 3 नवंबर से 6 नवंबर तक नौकायन प्रतियोगिता आयोजित करने के लिए वेनगुइनिम समुद्र तट को खाली करने के लिए कहा गया है. सभी मछली पकड़ने वाली नौकाओं/जहाजों को समुद्र तट से हटाने की समय सीमा 23 अक्टूबर है.

स्थानीय लोग मछुआरा समुदाय को ऐसी स्थिति में धकेलने के लिए युवा और खेल मामलों के मंत्री गोविंद गावड़े को दोषी ठहरा रहे हैं. उनका कहना है कि यह आदेश ‘असंवेदनशील’ और ‘अहंकारी’ है, क्योंकि यह प्रतिबंध अवधि के दौरान मछली पकड़ते पाए जाने पर किसी मछुआरे को अपराधी बना सकता है.

वेनगुइनिम समुद्र तट. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

वेनगुइनिम तट तालेइगाओ विधानसभा क्षेत्र के तहत आता है, जिसका प्रतिनिधित्व वर्तमान में विधायक जेनिफर मोनसेरेट करती हैं. हालांकि, उनके क्षेत्र से जुड़े इस निर्णय को लेने की प्रक्रिया में उन्हें दरकिनार कर दिया गया है.

राष्ट्रीय खेलों के दौरान मछुआरों को मछली पकड़ने से दूर करने के लिए केवल बंदरगाह विभाग के कैप्टन ही दबाव बनाने की रणनीति में नहीं लगे हैं, बल्कि गोवा मत्स्य पालन विभाग भी ऐसा कर रहा है. उनके कर्मचारियों ने ऑल गोवा स्मॉल स्केल रिस्पॉन्सिबल फिशरीज यूनियन (एजीएसएसआरएफयू) को फोन करके समुद्र तट से सभी डोंगियों को हटाने के लिए सहायता मांगी है.

मछुआरे संजय परेरा ने कहा, ‘मत्स्य पालन विभाग की स्थापना मछली पकड़ने को बढ़ावा देने के लिए की गई थी, लेकिन यहां विभाग राष्ट्रीय खेलों की खातिर हमारे हितों को नुकसान पहुंचा रहा है.’

यह पहली बार नहीं है जब यहां के मुछआरा समुदाय को समुद्र में जाने पर प्रतिबंध लगाया गया है. परेरा ने याद किया कि जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भी उन्हें तीन दिनों के लिए मछली पकड़ने की गतिविधि बंद करने के लिए मजबूर किया गया था.

(फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

उन्होंने कहा, ‘कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान हमें 15 दिनों से अधिक समय तक मछली पकड़ने से रोक दिया गया था. अब राष्ट्रीय खेलों के लिए वे चाहते हैं कि मछुआरे 20 दिनों के लिए अपनी डोंगी से दूर रहें. ऐसे में हमें अपनी आजीविका कैसे चलानी चाहिए?’

18 अक्टूबर को एजीएसएसआरएफयू के अध्यक्ष शैला डी’मेलो और सचिव लक्ष्मण मंगुएश्कर ने बंदरगाह कैप्टन के साथ-साथ मत्स्य पालन निदेशक को पत्र सौंपकर जुआरी नदी और अरब सागर में मछली पकड़ने की गतिविधियों को बंद करने के फैसले की निंदा की. उन्होंने इस फैसले को ‘आत्मघाती कदम’ बताया.

मुछआरा समुदायों पर यह ताजा हमला गोवा को विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों के आयोजन स्थल में तब्दील कर दिए जाने के परिणामस्वरूप हुआ है, जिससे स्थानीय समुदायों पर भारी दबाव है. दुनिया भर के धनवान हितों ने गोवा की भूमि पर दावा ठोक दिया है, जिससे यहां के समुदाय लगातार प्रतिरोध की स्थिति में हैं.

व्यापक रूप से माना जाता है कि वेनगुइनिम तट को यहां लक्जरी होटलों के लिए निजी स्थान बनाने की ओर धकेला जा रहा है. प्रसिद्ध पांच सितारा होटल सिडेड डी गोवा को टिम्बलोस द्वारा टाटा (TATA) को पट्टे पर दिया गया है और ताज ग्रुप ने प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि व्यापारिक समुदाय ‘मछुआरों को भगाने के घातक प्रयास’ कर रहा है.

लेखक गोवा स्थित पर्यावरण नैतिकता विषय में शोधकर्ता हैं. रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

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