द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
ईडी ने न्यूज़क्लिक मामले के संबंध में शंघाई के अमेरिकी कारोबारी नेविल रॉय सिंघम को नया समन जारी किया है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, अधिकारियों ने बताया है कि सिंघम को समन विदेश मंत्रालय के माध्यम से भेजा गया है. अख़बार के अनुसार, इसी तरह समन भेजने के एक प्रयास को पिछले साल चीन ने रोक दिया था. दिल्ली पुलिस ने पिछले महीने न्यूज़क्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती को गिरफ्तार करते हुए उन पर देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता खतरे में डालने और असंतोष पैदा करने की साज़िश रचने के आरोप लगाए थे. सीबीआई ने भी न्यूज़ पोर्टल द्वारा विदेशी फंडिंग कानून (एफसीआरए) के उल्लंघन की जांच के लिए केस दर्ज करने के बाद न्यूज़क्लिक के दफ्तर पर छापा मारा था. सिंघम द्वारा न्यूज़क्लिक की फंडिंग की जांच आयकर विभाग के अलावा सीबीआई, ईडी और दिल्ली पुलिस द्वारा भी की जा रही है. न्यूज़क्लिक और सिंघम, दोनों ने ही इन आरोपों का खंडन किया है.
सुप्रीम कोर्ट के बीते सप्ताह यह कहने कि कोई राज्यपाल राज्य विधानसभा द्वारा पारित प्रमुख विधेयकों को लटका नहीं सकते, के कुछ दिन बाद ही तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने फिर उनके पास सरकार द्वारा सहमति के लिए भेजे विधेयकों को वापस लौटा दिया है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, हालांकि, सरकार 18 नवंबर को विधानसभा की एक विशेष बैठक में उन्हें फिर से पारित करने के लिए तैयार है. विधानसभा को अक्टूबर में अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था. ज्ञात हो कि अब तक चार गैर-भाजपा शासित राज्यों- केरल, तमिलनाडु और पंजाब अब, और पहले तेलंगाना- ने लंबित विधेयकों को लेकर अपने-अपने राज्यपालों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. तमिलनाडु में, कम से कम 12 बिल, 4 आधिकारिक आदेश और 54 कैदियों की समयपूर्व रिहाई से संबंधित एक फ़ाइल भी लंबित हैं. हालांकि, राज्यपाल रवि द्वारा लौटाए गए बिलों की संख्या स्पष्ट नहीं है.
बीते छह महीनों से जातीय संघर्ष से जूझ रहे मणिपुर में कुकी-जो आदिवासियों का प्रतिनिधित्व करने वाले इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने राज्य के कुछ ज़िलों में ‘स्वशासन’ की घोषणा की है. द हिंदू के मुताबिक, समुदाय के प्रभुत्व वाले जिलों में ‘स्वशासन’ की घोषणा को लेकर आईटीएलएफ के एक नेता ने बताया कि आदिवासी समुदाय का एक अलग मुख्यमंत्री होगा और समुदाय के उन सरकारी अधिकारियों को जिम्मेदारियां दी जाएंगी, जिन्हें 3 मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद इंफाल से बाहर कर दिया गया था. उन्होंने जोड़ा कि उन्हें केंद्र सरकार की मान्यता की कोई परवाह नहीं है और न ही ‘मेईतेई मणिपुर सरकार’ से कोई उम्मीद है.’ इस घटनाक्रम को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. इससे पहले भाजपा सहित राज्य के 10 कुकी-जो विधायक अलग प्रशासन की मांग उठा चुके हैं.
कर्नाटक के चित्रदुर्ग ज़िले की एक अदालत ने जिले में स्थित मुरुग मठ के मुख्य पुजारी शिवमूर्ति मुरुग शरणारू को रिहा करने का आदेश दिया है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, मुरुग मठ द्वारा संचालित स्कूल के छात्रावास में रहने वाली दो नाबालिग छात्राओं के कथित यौन शोषण को लेकर दर्ज पॉक्सो केस में वो सितंबर 2022 से पुलिस हिरासत में हैं. रिहाई का आदेश देते हुए दूसरे अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायालय ने सरकारी वकील की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी, जिसमें एक अन्य पॉक्सो मामले में महंत के खिलाफ बॉडी वॉरंट को न्यायिक गिरफ्तारी में बदलने की मांग की गई थी. महंत के खिलाफ दर्ज एक पॉक्सो मामले में उन्हें बीते 8 नवंबर को कर्नाटक हाईकोर्ट से जमानत मिली है. जगद्गुरु मुरुगराजेंद्र विद्यापीठ मठ के प्रमुख शरणारू को आम लोगों के बढ़ते दबाव के बाद 1 सितंबर 2022 को गिरफ्तार किया गया था. उन पर 2019 और 2022 के बीच 15 और 16 साल की दो लड़कियों से बलात्कार करने का आरोप है.
मणिपुर के तेंगनौपाल जिले में गुरुवार सुबह एक वाहन में जा रहे असम राइफल्स के गश्ती दल पर हमला किया गया. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, वाहन में दस सैनिक सवार थे और कोई घायल या हताहत नहीं हुआ. एक रक्षा सूत्र के मुताबिक, हमला सुबह आठ बजे के करीब तेंगनौपाल के सैबोल इलाके में हुआ, जहां घात लगाए बैठे संदिग्ध विद्रोहियों ने कम तीव्रता वाले आईईडी में विस्फोट किया और इसके बाद छोटे हथियारों से गोलीबारी की. सैनिकों ने भी जवाबी कार्रवाई की, जिसके बाद तलाशी अभियान भी शुरू किया गया. राज्य में जारी छह महीने से जारी जातीय संघर्ष के बीच वहां केंद्रीय सुरक्षा बलों और सेना की भारी उपस्थिति बनी हुई है, जहां जरूरत के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में असम राइफल्स की कुल 23 बटालियन तैनात हैं. इस दौरान असम राइफल्स को लेकर मेईतेई समुदाय द्वारा विरोध के स्वर उठे और कुकी-ज़ोमी समुदाय के प्रति पक्षपाती रवैया रखने का आरोप लगाते हुए राज्य से हटाने की मांग भी की गई.
बिहार में एक पूर्व जवान की हत्या के बाद भीड़ द्वारा दो लोगों की पीट-पीटकर हत्या करने का मामला सामने आया है. द टेलीग्राफ के मुताबिक, घटना रोहतास जिले के सूर्यपुरा थाना क्षेत्र की है, जहां सेना के पूर्व जवान विजेंद्र सिंह अपने निर्माणाधीन घर को देखने गए थे, जब मोटरसाइकिल पर आए तीन लोगों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी. गोली की आवाज़ सुनकर स्थानीय लोग वहां पहुंचे और वहां से भागते हमलावरों का पीछा किया. दो लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी और एक अन्य को घायल कर दिया. पुलिस सूत्रों ने बताया कि हमलावरों का पीछा करीब 4 किमी तक जारी रहा और तीनों एक दूसरे गांव में जाकर फंस गए, जहां उन्हें लात-घूंसों, डंडों और ईंटों से पीटा गया, जिसमें दो की मौत हो गई और एक घायल है.