उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष इफ़्तिख़ार अहमद जावेद ने राज्य सरकार के सर्वे में ग़ैर-मान्यता प्राप्त पाए गए 8,449 मदरसों को मान्यता प्रदान करने का अनुरोध करते हुए कहा कि इनमें पढ़ने वाले 90-95 प्रतिशत छात्र पसमांदा समुदाय के हैं, जिसके कल्याण की बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते हैं.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष ने गुरुवार (16 नवंबर) को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से राज्य सरकार द्वारा किए गए सर्वेक्षण में गैर-मान्यता प्राप्त पाए गए मदरसों को मान्यता प्रदान करने का अनुरोध करते हुए कहा कि इन संस्थानों में पढ़ने वाले 7 लाख से अधिक छात्रों की शिक्षा प्रभावित हुई है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में बोर्ड के अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा कि ‘इन 8,449 गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले 90-95 प्रतिशत छात्र पसमांदा समुदाय के हैं, जिन पर प्रधानमंत्री की भी विशेष नजर है.’
यह घटनाक्रम राज्य सरकार द्वारा राज्य में मदरसों को विदेशों से प्राप्त धन के स्रोतों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने के लगभग एक महीने बाद हुआ है.
जावेद ने मुख्यमंत्री से इस संबंध में कार्रवाई करने के लिए भी कहा ताकि ‘ये छात्र मुख्यधारा का हिस्सा बन सकें और प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के दृष्टिकोण को मजबूत किया जा सके.’
पिछले साल 15 नवंबर को राज्य सरकार ने दो महीने के सर्वे के बाद कहा था कि 8,449 मदरसे राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त किए बिना संचालित हो रहे थे. सर्वे के मुताबिक सबसे ज्यादा गैर मान्यता प्राप्त मदरसे मुरादाबाद जिले में पाए गए.
मदरसा बोर्ड ने ही राज्य भर के मदरसों के सर्वे की सिफारिश की थी. बोर्ड के अध्यक्ष जावेद भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय सचिव भी हैं.
गुरुवार को सीएम को लिखे पत्र में जावेद ने कहा, ‘यह आपके ध्यान में लाना है कि 2022 में यूपी मदरसा बोर्ड के एक प्रस्ताव के बाद सरकार ने गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण किया था. सर्वे में पता चला कि राज्य में 8,449 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे चल रहे हैं. 15 नवंबर को सर्वे रिपोर्ट का एक साल पूरा हो गया.’
पत्र में लिखा है, ‘पिछले आठ वर्षों में किसी भी नए मदरसे को मान्यता नहीं दी गई है. ऐसे में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले करीब 7 लाख छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो गया है. अब, स्थिति ऐसी है कि समाज में कुछ लोग इन मदरसों को अवैध बता रहे हैं.’
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए जावेद ने कहा, ‘सरकार इस प्रक्रिया में देरी कर रही है. मदरसे क्या करेंगे? छात्र क्या करेंगे? सर्वे को खूब हाईलाइट किया गया, लेकिन नतीजा क्या निकला? उन मदरसों और सात लाख विद्यार्थियों का क्या दोष? माननीय प्रधानमंत्री जी कह रहे हैं कि पसमांदा समाज को मुख्यधारा में लाया जा रहा है. फिर ऐसा क्यों किया जा रहा है?’
पिछले महीने, राज्य सरकार ने राज्य में चल रहे मदरसों को विदेशों से प्राप्त धन की जांच के लिए एक अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था. एसआईटी के अन्य दो सदस्य अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के निदेशक और पुलिस अधीक्षक (साइबर सेल) हैं.
जावेद ने कहा, ‘एसआईटी की कार्यप्रणाली को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है. हमें कुछ नहीं बताया गया है. बोर्ड का अस्तित्व क्यों है? हमें लोगों को क्या बताना चाहिए? फिर उम्मीद है कि लोग हमें वोट देंगे. फिर, आप इतने सारे मदरसों को मान्यता नहीं देंगे.’
उत्तर प्रदेश में लगभग 25,000 मदरसों में से 16,500 मदरसे उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त हैं.
इससे पहले बीते 25 अक्टूबर को जावेद ने कहा था कि राज्य शिक्षा विभाग के अधिकारी मदरसों का निरीक्षण कर रहे हैं, इस कदम को उन्होंने नियमों के विरुद्ध बताया था.