एनएमसी ने मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी के लिए आधार-आधारित बायोमेट्रिक उपस्थिति पर ज़ोर दिया

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग मेडिकल कॉलेजों में ‘घोस्ट फैकल्टी’ को ख़त्म करने के प्रयासों के तहत फैकल्टी सदस्यों के लिए आधार-आधारित बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली के महत्व को दोहराया है. पिछले महीने आयोग के 246 कॉलेजों के एक मूल्यांकन में पता चला था कि सभी कॉलेजों में फैकल्टी 50 प्रतिशत उपस्थिति की आवश्यकता को पूरा करने में विफल रहे हैं.

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग. (प्रतीकात्मक फोटो साभार: nmc.org.in)

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग मेडिकल कॉलेजों में ‘घोस्ट फैकल्टी’ को ख़त्म करने के प्रयासों के तहत फैकल्टी सदस्यों के लिए आधार-आधारित बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली के महत्व को दोहराया है. पिछले महीने आयोग के 246 कॉलेजों के एक मूल्यांकन में पता चला था कि सभी कॉलेजों में फैकल्टी 50 प्रतिशत उपस्थिति की आवश्यकता को पूरा करने में विफल रहे हैं.

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग. (प्रतीकात्मक फोटो साभार: nmc.org.in)

नई दिल्ली: मेडिकल कॉलेजों में ‘घोस्ट फैकल्टी’ को खत्म करने के प्रयासों के तहत राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने निरीक्षण से पहले फैकल्टी सदस्यों के लिए आधार-आधारित बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली (एईबीएएस) के महत्व को दोहराया है.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, आयोग बार-बार मेडिकल कॉलेजों से एईबीएएस लागू करने के लिए कह रहा है.

आयोग ने नए मेडिकल कॉलेज शुरू करने या मौजूदा संस्थानों में सीटें बढ़ाने और घोस्ट फैकल्टी से निपटने के लिए आवेदन प्रक्रिया को मानकीकृत करने के उद्देश्य से मेडिकल मूल्यांकन और रेटिंग बोर्ड दिशानिर्देश जारी किए हैं.

शीर्ष चिकित्सा शिक्षा नियामक संस्था ने कहा कि नए नियम अगले शैक्षणिक वर्ष से लागू होंगे.

दिशानिर्देशों में कहा गया है, ‘आवश्यक कर्मचारियों (फैकल्टी, रेजिडेंट और सहायक कर्मचारियों) का दैनिक एईबीएएस, अधिमानत: चेहरे से जुड़ी पहचान के साथ आयोग के साथ-साथ मेडिकल कॉलेज की वेबसाइट पर दैनिक उपस्थिति डैशबोर्ड के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा.’

बीते अक्टूबर माह में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के एक मूल्यांकन में पता चला था कि किसी भी मेडिकल कॉलेज में पर्याप्त फैकल्टी सदस्य या वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टर नहीं थे और सभी 50 प्रतिशत उपस्थिति की आवश्यकता को पूरा करने में विफल रहे हैं.

एनएमसी के तहत अंडर ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड (यूजीएमईबी) द्वारा 2022-23 में 246 कॉलेजों का मूल्यांकन किया गया है, जिसमें यह जानकारी सामने आई थी.

एनएमसी की ओर से एसोसिएशन ऑफ इमरजेंसी फिजिशियन ऑफ इंडिया (एईपीआई) को लिखे पत्र में कहा गया था, ‘अधिकांश कॉलेजों में या तो घोस्ट फैकल्टी (जो अधिकारियों द्वारा निरीक्षण के दौरान दिखाई देते हैं और निरीक्षण समाप्त होते ही गायब हो जाते हैं) और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर थे या आवश्यक फैकल्टी को नियोजित ही नहीं किया था. साथ ही कोई भी संस्थान न्यूनतम 50 प्रतिशत उपस्थिति की आवश्यकता को पूरा नहीं कर रहा था. शून्य उपस्थिति आम बात थी.’

आधार आधारित बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली का उपयोग करके लगभग दो महीने तक कार्य दिवसों के दौरान फैकल्टी सदस्यों की उपस्थिति की रैंडम निगरानी की गई थी.