सेना के पूर्वी कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलीता ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि जब तक विभिन्न पुलिस थानों और अन्य स्थानों से लूटे गए 4,000 से अधिक हथियार लोगों के हाथों में हैं, मणिपुर में हिंसा ख़त्म नहीं होगी.
नई दिल्ली: सेना के पूर्वी कमान प्रमुख ने कहा है कि मणिपुर के हालात को राजनीतिक समाधान की जरूरत है. पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलीता ने मंगलवार (21 नवंबर) को गुवाहाटी में मीडिया को बताया कि समुदायों के बीच तीव्र ध्रुवीकरण के कारण पूर्वोत्तर राज्य में छिटपुट हिंसा की घटनाएं जारी हैं.
एनडीटीवी के मुताबिक, उन्होंने कहा, ‘यह राज्य की एक राजनीतिक समस्या है, जहां दो समुदाय- कुकी और मेईतेई- ध्रुवीकृत हो गए हैं. मणिपुर के हालात का राजनीतिक समाधान होना चाहिए.’
सेना के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि लूटे गए 4,000 से अधिक हथियार अभी भी लोगों के हाथों में हैं और इन हथियारों का इस्तेमाल हिंसा की घटनाओं में किया जा रहा है.
द हिंदू के मुताबिक, उन्होंने कहा कि राज्य में सुरक्षा बलों से लूटे गए 4,000 हथियारों की बरामदगी के बाद मणिपुर में जातीय हिंसा रुक जाएगी.
गौहाटी प्रेस क्लब द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कलीता ने कहा कि सशस्त्र बलों का ध्यान हिंसा को रोकने एवं युद्धरत समुदायों को शांतिपूर्ण समाधान का मार्ग अपनाने के लिए प्रेरित करने पर केंद्रित है.
उन्होंने कहा, ‘भारतीय सेना का उद्देश्य शुरू में अपने घरों से विस्थापित लोगों के लिए बचाव और राहत अभियान चलाना था. इसके बाद से हम हिंसा को रोकने और लोगों को शांतिपूर्ण समाधान स्वीकार करने के लिए प्रेरित करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन दो समुदायों, मेइतेई और कुकी, के बीच ध्रुवीकरण के कारण छिटपुट घटनाएं जारी हैं.’
उन्होंने कहा कि चार दशकों में मणिपुर में तीन समुदायों – मेईतेई, कुकी और नगा – के बीच कई संघर्षों के पीछे का एक कारक विरासत संबंधी मुद्दे रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘अब क्या हुआ है कि दोनों समुदाय पूरी तरह से ध्रुवीकृत हो गए हैं. हालांकि हिंसा का स्तर कम हो गया है, लेकिन विभिन्न पुलिस थानों और अन्य स्थानों से लूटे गए 5,000 से अधिक हथियार अभी भी लोगों के हाथों में हैं.’
वे आगे बोले, ‘इनमें से केवल 1,500 हथियार ही बरामद किए गए हैं. जब तक शेष 4,000 हथियार समाज से बाहर नहीं हो जाते, तब तक यह छिटपुट हिंसा जारी रहेगी.’
यह महत्वपूर्ण टिप्पणी एक सुरक्षाकर्मी और उसके ड्राइवर की हत्या के विरोध में मणिपुर के कांगपोकपी जिले में 48 घंटे के बंद के बीच आई है. सोमवार को घात लगाकर किए गए हमले में इंडिया रिजर्व बटालियन के एक कर्मी और उसके ड्राइवर की मौत हो गई थी. बंद का आह्वान करने वाली जनजातीय एकता समिति ने कहा है कि पीड़ित कुकी-ज़ो समुदाय से थे और उन्होंने घाटी स्थित विद्रोही समूहों पर उनकी हत्या करने का आरोप लगाया है.
मंगलवार को बुलाए बंद के दौरान बाजार बंद रहे और सड़कों से वाहन नदारद रहे. सरकारी कार्यालयों में कम कर्मचारी आए और शैक्षणिक संस्थानों में भी उपस्थिति कम रही.
लेफ्टिनेंट जनरल कलीता ने यह भी कहा कि भारत मिजोरम और मणिपुर में म्यांमार के ग्रामीणों, अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों को मानवीय आधार पर आश्रय प्रदान कर रहा है, लेकिन चरमपंथी समूहों या मादक पदार्थों के तस्करों के सशस्त्र कैडरों को नहीं.
ऐसे आरोप हैं कि मणिपुर में अशांति के पीछे नशीली दवाओं के तस्करों और अफीम उत्पादकों का हाथ है. लेफ्टिनेंट जनरल कलीता ने कहा कि म्यांमार सीमा पर ड्रग्स के साथ-साथ हथियारों की तस्करी पर काफी हद तक रोक लगा दी गई है.