मुस्लिम संगठनों ने यूपी सरकार के हलाल प्रतिबंध की आलोचना की, कहा- क़ानूनी विकल्प तलाशेंगे

हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने हलाल सर्टिफिकेट के साथ बेचे जाने वाले उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया है. मुस्लिम संगठनों ने कहा है कि यह कार्रवाई स्पष्ट रूप से मुस्लिम समुदाय और इस्लाम के ख़िलाफ़ नफ़रत पर आधारित है. यह नागरिकों के आस्था द्वारा अनुमत भोजन खाने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है.

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(प्रतीकात्मक फोटो साभार: ट्विटर)

हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने हलाल सर्टिफिकेट के साथ बेचे जाने वाले उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया है. मुस्लिम संगठनों ने कहा है कि यह कार्रवाई स्पष्ट रूप से मुस्लिम समुदाय और इस्लाम के ख़िलाफ़ नफ़रत पर आधारित है. यह नागरिकों के आस्था द्वारा अनुमत भोजन खाने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है.

(प्रतीकात्मक फोटो: pixabay)

नई दिल्ली: मुस्लिम निकायों ने हलाल-सर्टिफिकेट उत्पादों के भंडारण और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले पर हमला बोला है.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद, जिसके पास हलाल सर्टिफिकेट इकाई है, ने दावा किया कि सरकार ने इस कदम से पहले कोई नोटिस या परिपत्र नहीं भेजा था.

कहा जा रहा है कि इस संबंध में कानूनी विकल्प तलाशे जा रहे हैं.

इस बीच, जमात-ए-इस्लामी हिंद ने इस कदम को ‘हास्यास्पद और दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया. दोनों निकायों ने कहा कि यह नागरिकों के आस्था द्वारा अनुमत भोजन खाने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है.

हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने हलाल सर्टिफिकेट के साथ बेचे जाने वाले उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया है. सरकार ने कहा था कि हलाल प्रमाणीकरण वाले खाद्य उत्पादों के उत्पादन, भंडारण, वितरण और बिक्री पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है. हालांकि, निर्यात के लिए निर्मित उत्पाद प्रतिबंधों के अधीन नहीं होंगे.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, जमीयत के प्रवक्ता नियाज़ फारूकी, जो जमीयत के हलाल ट्रस्ट के सीईओ भी हैं, ने कहा, ‘हम सरकारी नियमों का पालन करते हैं, जैसा कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की अधिसूचना में जोर दिया गया है, जिसके तहत सभी हलाल सर्टिफिकेट निकायों को एनएबीसीबी (भारतीय गुणवत्ता परिषद के तहत प्रमाणन निकायों के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड) के साथ पंजीकृत होना आवश्यक है, जो एक मील का पत्थर है, जिसे जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट ने हासिल किया है.’

उन्होंने कहा, ‘एपीईडीए (भारतीय कृषि उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) और दुनिया भर में भारतीय दूतावासों के साथ मिलकर काम करते हुए हम वैश्विक बाजारों में भारतीय हलाल प्रमाणित उत्पादों को बढ़ावा देते हैं. हलाल सर्टिफिकेट लोगो न केवल हलाल उपभोक्ताओं की सहायता करता है, बल्कि सभी उपभोक्ताओं को सूचित होने का विकल्प भी प्रदान करता है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘यह ध्यान रखना आवश्यक है कि सभी वित्तीय लेनदेन का उचित जीएसटी और आयकर भुगतान तथा संपूर्ण ऑडिटिंग के साथ विधिवत हिसाब किया जाता है, जिससे हमारे कार्यों में पूर्ण वैधता और पारदर्शिता सुनिश्चित होती है.’

फारूकी ने दावा किया, जमीयत का हलाल ट्रस्ट हलाल सर्टिफिकेट जारी करने में भारत सरकार द्वारा निर्धारित सभी मानदंडों को पूरा करता है.

उन्होंने कहा, ‘हमारी सर्टिफिकेट प्रक्रिया भारत में निर्यात उद्देश्यों और घरेलू वितरण दोनों के लिए निर्माताओं की आवश्यकताओं के अनुरूप है. हलाल सर्टिफिकेट उत्पादों की वैश्विक मांग मजबूत है और भारतीय कंपनियों के लिए ऐसा प्रमाणीकरण प्राप्त करना अनिवार्य है, यह तथ्य भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय द्वारा समर्थित है.’

द हिंदू से बात करते हुए जमीयत के एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘हलाल सर्टिफिकेट एक मुस्लिम ग्राहक को अधिक सूचित विकल्प चुनने में सक्षम बनाता है और जो उत्पाद वह खरीद रहा है उसके बारे में आश्वस्त रहता है. यह किसी भी तरह से अन्य ग्राहकों के अपनी इच्छानुसार चुनने के अधिकार का अतिक्रमण नहीं करता है. यहां तक कि पश्चिम में भी हमारे पास हलाल प्रमाणित उत्पाद हैं, जिनके लिए अक्सर दुकानों पर एक अलग काउंटर होता है.’

इस बीच, जमात के उपाध्यक्ष सलीम इंजीनियर ने कहा कि यूपी सरकार के फैसले में सांप्रदायिक संकेत नजर आते हैं.

उन्होंने कहा, ‘यह समझ से परे है कि यूपी सरकार हलाल-प्रमाणित उत्पादों पर प्रतिबंध लगाकर समाज और राष्ट्र को क्या संदेश देना चाहती है. प्रदेश के मुख्यमंत्री राज्य के 24 करोड़ लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसमें सभी धार्मिक संप्रदायों के अनुयायी शामिल हैं और यह सुनिश्चित करना उनकी संवैधानिक जिम्मेदारी है कि जाति और पंथ के बावजूद किसी के खिलाफ कोई भेदभाव न हो. प्रत्येक धर्म में कुछ चीजें होती हैं, जो उस विशेष धर्म के अनुयायियों के लिए निषिद्ध होती हैं और भारत का संविधान स्पष्ट रूप से उन्हें इसका पालन करने की अनुमति देता है.’

उन्होंने इस फैसले को एक विशेष धर्म के अनुयायियों के खिलाफ भेदभाव की बू बताते हुए कहा, ‘अगर यूपी सरकार के गलत फैसले को उचित माना जाए तो रेस्तरां के बाहर शुद्ध शाकाहारी लिखना, हर उत्पाद के कवर पर सामग्री का उल्लेख करना, मिठाइयों और अन्य उत्पादों पर शुगर-फ्री लिखना और मांस की दुकानों पर हलाल और झटका सभी को अवैध घोषित किया जाए.’

सलीम इंजीनियर ने दावा किया, ‘यूपी सरकार की कार्रवाई स्पष्ट रूप से मुस्लिम समुदाय और इस्लाम के खिलाफ नफरत पर आधारित है.’

इस बीच, संगठन के प्रवक्ता ने कहा कि जमीयत ‘हमारी छवि खराब करने के प्रयासों’ के खिलाफ कानूनी विकल्प तलाश रही है. उन्होंने कहा, ‘सौभाग्य से अब तक निर्यात उत्पादों के लिए हलाल सर्टिफिकेट पर कोई प्रतिबंध नहीं है.’

जमीयत के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमारी हलाल इकाई केवल निर्यात उद्देश्यों के लिए प्रमाण पत्र देती रही है.’ उन्होंने कहा, ‘यह गलत धारणा है कि हम शाकाहारी उत्पादों के लिए हलाल प्रमाण-पत्र देते हैं. इसका उद्देश्य हमें बदनाम करना है.’