इस घटनाक्रम से से अमेरिका और कनाडा दोनों के साथ भारत के संबंधों पर असर पड़ने की संभावना है. कनाडा के बाद अमेरिका दूसरा देश बन गया, जिसने खालिस्तानी अलगाववादी (गुरपतवंत सिंह पन्नू) को मारने की साज़िश में भारतीय एजेंटों के शामिल होने की संभावना के बारे में ‘वरिष्ठतम स्तर’ पर भारत सरकार के साथ चिंता जताई है.
नई दिल्ली: 15 पन्नों के एक विस्तृत अभियोग में अमेरिकी संघीय अभियोजकों ने न्यूयॉर्क की एक अदालत में आरोप लगाया है कि एक ‘भारत के सरकारी कर्मचारी के रूप में गए’ एक व्यक्ति ने न्यूयॉर्क शहर में एक अमेरिकी नागरिक, जो भारत द्वारा प्रतिबंधित एक खालिस्तान समर्थक संगठन चलाता है, की हत्या की साजिश के निर्देश दिए थे.
इस घटनाक्रम से अमेरिका और कनाडा दोनों के साथ भारत के संबंधों पर असर पड़ने की संभावना है.
इस अभियोग में जिस व्यक्ति को निशाना बनाया जाना था, उसका नाम नहीं बताया गया है, लेकिन एक सप्ताह पहले अमेरिका ने सार्वजनिक रूप से अमेरिका में ‘सिख फॉर जस्टिस’ एनजीओ के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की विफल साजिश में नई दिल्ली की भागीदारी की संभावना के बारे में चिंता व्यक्त की थी.
एक प्रेस विज्ञप्ति में न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले के लिए अमेरिकी वकील डेमियन विलियंस और अन्य अभियोजकों ने घोषणा की कि वे भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता के खिलाफ ‘भाड़े पर हत्या’ का आरोप दायर कर रहे हैं, जो भारत सरकार के अधिकारी द्वारा ‘आपराधिक सहयोगी’ को नियुक्त करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाले मध्यस्थ थे. बदले में ‘आपराधिक सहयोगी’ ने गुप्ता को एक हिटमैन से मिलवाया था.
दुर्भाग्य से गुप्ता और नई दिल्ली में उसके कथित आकाओं का ‘आपराधिक सहयोगी’ अमेरिकी ड्रग प्रवर्तन एजेंसी का ‘गोपनीय सूत्र’ निकला, जबकि जिस ‘हिटमैन’ से उसने गुप्ता का संपर्क कराया था वह एक गुप्त अधिकारी था.
अभियोग में 18 जून 2023 को कनाडा में खालिस्तानी कार्यकर्ता हरदीप निज्जर की हत्या में भारतीय अधिकारी की संलिप्तता के बारे में भी जानकारी शामिल है. इससे कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के उस आरोप को बल मिलने की संभावना है, जिसमें उन्होंने निज्जर की हत्या से भारत सरकार के तार जोड़े थे.
अमेरिकी ड्रग एन्फोर्समेंट एजेंसी (डीईए) के प्रमुख ऐनी मिलग्राम, जिनके एजेंट कथित साजिश पर नजर रखने में शामिल थे, ने कहा, ‘जब एक विदेशी सरकारी कर्मचारी ने कथित तौर पर अमेरिकी धरती पर एक अमेरिकी नागरिक की हत्या के लिए एक नशीले पदार्थों के अंतरराष्ट्रीय तस्कर को भर्ती करने का निर्लज्ज कार्य किया, तो डीईए इस साजिश को रोकने के लिए आगे आया.’
कानूनी शब्दों में अभियोग आरोपों का औपचारिक सारांश होता है, जिनकी सत्यता केवल अदालत में मुकदमे के बाद ही स्थापित की जाती है.
मध्यस्थता के बदले में गुजरात आपराधिक मामले को वापस लेने का वादा
अभियोग में भारत सरकार के अधिकारी को अज्ञात रखा गया है और केवल ‘सीसी-1’ के रूप में संदर्भित किया गया है. भारतीय अधिकारी का ‘एक जानी-पहचानी भारतीय सरकारी एजेंसी के कर्मचारी’ के रूप में वर्णन किया गया है, जिसने खुद को ‘सुरक्षा प्रबंधन’ और ‘इंटेलिजेंस’ की जिम्मेदारियों के साथ ‘वरिष्ठ फील्ड अधिकारी’ के रूप में पारिभाषित किया है और जिसने पहले भारत के केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में सेवाएं देने और ‘युद्ध शिल्प’ एवं ‘हथियारों’ में ‘प्रशिक्षण’ प्राप्त करने का भी उल्लेख किया है.
यह भी माना जाता है कि उसने ‘भारत से हत्या की साजिश का निर्देशन किया था.’
निखिल गुप्ता, जो कथित तौर पर नशीले पदार्थों और हथियारों की तस्करी में शामिल था, को 30 जून को अमेरिकी अधिकारियों के अनुरोध पर चेक गणराज्य में गिरफ्तार किया गया था, जिस दिन वह भारत से वहां पहुंचा था.
अभियोग में कहा गया है कि गुप्ता भारत में एक आपराधिक मामले का सामना कर रहा था, जिसको लेकर भारत सरकार के अधिकारी ने उससे वादा किया था कि अगर हत्या की व्यवस्था हो जाती है तो यह मामला खारिज कर दिया जाएगा. इसमें कहा गया है;
‘12 मई 2023 को या उसके आसपास CC-1 ने गुप्ता को सूचित किया कि उसके आपराधिक मामले पर ‘पहले ही ध्यान दिया जा चुका है’ और ‘गुजरात पुलिस से कोई भी उनसे संपर्क नहीं कर रहा है.’ 23 मई 2023 या उसके आसपास CC-1 ने फिर से गुप्ता को आश्वासन दिया कि उसके ‘गुजरात केस के बारे में बॉस से बात की गई है’ कि यह अब ‘निपट गया’ है और ‘कोई भी तुम्हें अब फिर कभी परेशान नहीं करेगा.’ सीसी-1 ने आगे गुप्ता और एक ‘डीसीपी (पुलिस उपायुक्त)’ के बीच बैठक की व्यवस्था करने की पेशकश की.’
जून 2023 में मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान हत्या की साजिश को रोक दिया गया था
अमेरिकी अभियोजकों द्वारा लगाए गए आरोपों के अनुसार भारतीय अधिकारी ने इस साल मई की शुरुआत में निखिल गुप्ता को नियुक्त किया था. एन्क्रिप्टेड एप्लिकेशन पर उनके संचार (Messages) को इंटरसेप्ट कर लिया गया था और आरोपों के साथ दायर किया गया है.
अभियोग में कहा गया है कि भारतीय अधिकारी ने गुप्ता को एक टेलीफोन नंबर से न्यूयॉर्क और कैलिफोर्निया में लक्ष्य (टारगेट) के बारे में संदेश भेजा. नंबर का कंट्री कोड भारत का है और एक ईमेल एकाउंट से जुड़ा हुआ है.
आरोपों के अनुसार, निखिल गुप्ता ने 29 मई के आसपास ‘आपराधिक सहयोगी’ से संपर्क किया, जिससे प्रारंभिक सीएस (गोपनीय सूत्र) ने मिलवाया था जो वास्तव में ड्रग एन्फोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन का मुखबिर था.
आने वाले हफ्तों में गुप्ता ने गोपनीय सूत्र और बाद में यूसी (अंडर कवर एजेंट हिटमैन) के साथ फोन, वीडियो और टेक्स्ट मैसेज सहित इलेक्ट्रॉनिक और रिकॉर्डेड संचार में काफी बातचीत की, जिसमें हत्या की व्यवस्था और कीमत पर चर्चा हुई.
इसके बाद गुप्ता ने सीसी-1 को इस बातचीत के स्क्रीनशॉट भेजे थे और भारतीय अधिकारी ने 1,50,000 डॉलर का भुगतान करने के लिए तैयार हो गए थे.
अभियोग में भारतीय अधिकारी और गुप्ता के बीच पैसों के लेन-देन और इस काम में जोड़े गए अन्य लोगों के बारे में भी विवरण दिया गया है.
आरोपों के साथ एक फोटो भी प्रस्तुत की गई है जिसमें व्यक्ति अग्रिम भुगतान देते हुए दिखाया गया है, हालांकि चेहरा छिपा लिया गया है.
दस्तावेज में कहा गया है कि साजिशकर्ताओं ने गोपनीय सूत्र को ‘विशेष रूप से और बार-बार निर्देश दिया’ कि अमेरिका और भारत के उच्चस्तरीय सरकारी अधिकारियों के बीच बातचीत के दौरान हत्या को अंजाम न दिया जाए.
6 जून 2023 को गुप्ता ने सूत्र से 10 दिनों तक सब शांत रखने कहा. उसने कहा कि लक्ष्य (पन्नू) की एक कार्यकर्ता की सार्वजनिक छवि को देखते हुए उसकी मौत के बाद विरोध प्रदर्शन हो सकते हैं, जिससे ‘राजनीतिक चीजें’ पैदा हो सकती हैं. इसमें कहा गया है;
‘गुप्ता द्वारा गोपनीय सूत्र को दिए गए निर्देशों के अनुरूप सीसी-1 ने गुप्ता को निर्देश दिया कि वह उच्चस्तरीय अमेरिकी और भारतीय अधिकारियों के बीच नियोजित बातचीत के दौरान हत्या को अंजाम न दें. उदाहरण के लिए 11 जून 2023 या उसके आसपास गुप्ता से पीड़ित (पन्नू) की अतिरिक्त कथित निगरानी की तस्वीरें मिलने के बाद सीसी-1 ने मैसेज किया, ‘यह आशाजनक लग रही हैं, लेकिन हमारे पास केवल आज का दिन है, अगर यह आज नहीं होता है तो 24 तारीख के बाद किया जाएगा यानी (भारत-अमेरिकी) बातचीत के बाद.’
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 जून से 23 जून तक अमेरिका की अपनी पहली राजकीय यात्रा पर थे.
भारत सरकार के कर्मचारी ने कार में मृत पड़े निज्जर की फोटो और वीडियो भेजी
12 जून के आसपास निखिल गुप्ता ने ‘गोपनीय सूत्र’ को संकेत दिया कि कनाडा में एक ‘बड़ा निशाना’ है.
18 जून की शाम को कनाडा में एक गुरुद्वारे के बाहर हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, अभियोग में कहा गया है, ‘सीसी-1 ने गुप्ता को एक वीडियो क्लिप भेजा, जिसमें निज्जर का खून से लथपथ शरीर उसके वाहन में पड़ा हुआ दिखाया गया था.’
यह आरोप महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे पता चलता है कि अमेरिकी अधिकारियों के पास इलेक्ट्रॉनिक सबूत हैं, जो सीधे तौर पर भारत सरकार के अधिकारी को निज्जर की हत्या से जोड़ते हैं – यह आरोप कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस साल सितंबर में लगाया था और जिसे मोदी सरकार ने खारिज कर दिया है.
गुप्ता ने वीडियो क्लिप को आगे ‘गोपनीय सूत्र’ को भेजा और उसे बताया कि निज्जर भी ‘निशाने पर था’, लेकिन ‘लिस्ट’ में ऊपर नहीं था. उन्होंने यह भी कहा कि निज्जर की हत्या ने पन्नू को मारने की योजना को तेजी दे दी है.
20 जून को भारत सरकार के अधिकारी ने कथित तौर पर गुप्ता को पन्नू के बारे में एक समाचार लेख भेजा और साथ में मेसेज दिया कि ‘यह अब प्राथमिकता में है.’
गोपनीय सूत्र के साथ एक ऑडियो कॉल पर बात करते हुए गुप्ता ने कथित तौर पर उसे पन्नू को जल्द मारने का निर्देश दिया क्योंकि उन्हें 29 जून तक ‘चार काम’ पूरे करने थे, जिनमें ‘कनाडा में भी तीन’ शामिल थे.
29 जून को गुप्ता ने ‘हिटमैन’ को निर्देश दिया कि यदि आप आश्वस्त हैं तो इसे पूरा करने का प्रयास करें.
निखिल गुप्ता ने भारत से चेक गणराज्य की यात्रा की थी, जहां उसे गिरफ्तार कर लिया गया और अब वह अमेरिका को प्रत्यर्पण किए जाने का इंतजार कर रहा है.
राष्ट्रपति बाइडेन, अमेरिकी एनएसए ने मोदी-डोभाल के समक्ष मुद्दा उठाया
वाशिंगटन पोस्ट ने सबसे पहले बुधवार (29 नवंबर) को रिपोर्ट दी थी कि संघीय अभियोजकों द्वारा एक भारतीय नागरिक के खिलाफ अधिक विस्तृत और नया अभियोग दायर किया जा रहा है. इस नागरिक ने अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता रखने वाले एक खालिस्तानी अलगाववादी को मारने के लिए एक ‘हिटमैन’ को भुगतान किया था.
अमेरिकी अखबार ने बताया था कि ‘अगस्त की शुरुआत में’ अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन ने भारत के एनएसए अजीत डोभाल के साथ ‘क्षेत्र के किसी अन्य देश में एक बैठक के दौरान व्यक्तिगत रूप से’ साजिश को लेकर चिंता जताई थी.
हालांकि, वाशिंगटन पोस्ट ने आयोजन स्थल का उल्लेख नहीं किया है, लेकिन डोभाल ने यूक्रेन पर एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए अगस्त के पहले सप्ताह में जेद्दा की यात्रा की थी. सऊदी द्वारा आयोजित बैठक में सुलिवन भी शामिल हुए थे.
एक हफ्ते बाद सीआईए प्रमुख विलियम बर्न्स ने रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के प्रमुख रवि सिन्हा को ‘समान संदेश देने’ के लिए उड़ान भरी थी. बाद में सितंबर में जी-20 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी इस बात पर भी जोर दिया था कि इससे द्विपक्षीय संबंधों पर खतरे बने रहेंगे.
पिछले हफ्ते, कनाडा के बाद अमेरिका दूसरा देश बन गया, जिसने खालिस्तानी अलगाववादी को मारने की साजिश में भारतीय एजेंटों के शामिल होने की संभावना के बारे में ‘वरिष्ठतम स्तर’ पर भारत सरकार के साथ चिंता जताई.
प्रारंभिक अभियोग जून में दायर किया गया था, जिसे जुलाई में खोला गया था.
जांच समिति गठित की गई: भारतीय विदेश मंत्रालय
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बीते 22 नवंबर को कहा था कि ‘अमेरिकी इनपुट के संदर्भ में मुद्दों की जांच पहले से ही संबंधित विभागों द्वारा की जा रही है.’
एक हफ्ते बाद बुधवार को विदेश मंत्रालय ने दावा किया कि अमेरिका द्वारा आरोपों को सार्वजनिक करने से पहले ही एक जांच समिति गठित कर दी गई थी.
व्हाइट हाउस राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता एड्रिएन वॉटसन ने 22 नवंबर को कहा था कि ऐसा समझा जाता है कि ‘भारत सरकार इस मुद्दे पर आगे की जांच कर रही है और आने वाले दिनों में ही इसके बारे में कुछ और कहने के लिए होगा.’
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