पूर्वोत्तर में एक नए क्षेत्रीय दल के तौर पर उभरे ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट ने 40 सदस्यीय मिज़ोरम विधानसभा की 27 सीटें जीती हैं. वहीं, सत्तारूढ़ मिज़ो नेशनल फ्रंट 10 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही. भाजपा को दो और कांग्रेस को एक सीट मिली हैं.
नई दिल्ली: चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में से तीन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत के बाद सभी की निगाहें मिजोरम पर तिकी हुई थीं, जहां 40 निर्वाचन क्षेत्रों के वोटों की गिनती सुबह 8 बजे शुरू हुई.
चुनाव आयोग के अनुसार, यहां ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (ज़ेडपीएम) ने 27 सीटें जीतकर सत्तारूढ़ मिज़ो नेशनल फ्रंट को विपक्ष में बैठने के लिए मजबूर कर दिया है. जोरामथांगा के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ एमएनएफ 10 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही. भाजपा को दो और कांग्रेस को एक सीट मिली हैं.
40 सदस्यीय विधानसभा के लिए 7 नवंबर को मतदान हुआ था. राज्य में कुल 78.40 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था, जहां 16 महिलाओं सहित कुल 174 उम्मीदवार मैदान में थे.
मिजोरम के इतिहास में पहली बार विधानसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला. ज़ेडपीएम शीर्ष पर पहुंचने के साथ न केवल पूर्वोत्तर में सत्ता हासिल करने वाली एक नई क्षेत्रीय पार्टी बन गई है, बल्कि मिजोरम में पारंपरिक तौर पर एमएनएफ और कांग्रेस के बीच सत्ता के लिए होने वाले मुकाबले में एक सक्षम दावेदार बनकर सामने आई है.
इससे पहले चुनाव आयोग ने मिजोरम में मतगणना की तारीख में बदलाव कर दिया था. विभिन्न क्षेत्रों से मतगणना की तारीख बदलने के लिए कई अनुरोध आने के बाद यहां रविवार के बजाय सोमवार (4 दिसंबर) को वोटों की गिनती किए जाने का निर्णय लिया गया था.
मिजोरम एक ईसाई बहुल राज्य है, जहां रविवार का दिन पवित्र माना जाता है और यह प्रार्थनाओं का दिन होता है. इसलिए राज्य के विभिन्न चर्चों ने चुनाव आयोग से मतगणना की तारीख में बदलाव की मांग की थी, जिसे चुनाव आयोग ने स्वीकार कर लिया.
2018 के चुनावों में मिजो नेशनल फ्रंट ने 37.8 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 26 सीटें हासिल की थीं. वहीं, कांग्रेस के खाते में 5 सीटें आई थीं, वहीं भाजपा को सिर्फ एक सीट मिली थी.