लोकसभा में हुई सुरक्षा चूक के मामले में चार लोगों की गिरफ़्तारी समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो साभार: ट्विटर/@g20org)

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

संसद पर हुए हमले की बरसी के मौके पर लोकसभा में हुए बड़े सुरक्षा उल्लंघन को लेकर चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, दोपहर करीब एक बजे दो लोग लोकसभा की दर्शक दीर्घ से नीचे चैंबर में कूड़े और ऐसे स्मोक कैनिस्टर खोले जिनसे पीले रंग का धुआं निकल रहा था. वीडियो फुटेज में उन्हें एक बेंच से दूसरे बेंच पर कूदते हुए और सदन के वेल की ओर जाते हुए देखा जा सकता है. सदन के अंदर मौजूद सदस्यों ने बाद में संवाददाताओं को बताया कि वे (प्रदर्शनकारी) ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ जैसे नारे लगा रहे थे. इनका नाम सागर शर्मा और मनोरंजन बताया गया है. सागर शर्मा के पास मिला एक विजिटर्स पास मैसूर से भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा के दफ्तर से जारी किया हुआ था. इस बीच, संसद भवन के बाहर से 42 वर्षीय महिला नीलम और 25 वर्षीय अमोल शिंदे को हिरासत में लिया गया, जो दोपहर में ही संसद परिसर के नज़दीक पीले धुएं के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. घटना के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि पूरे मामले की गहनता से जांच की जा रही है और संसद में छोड़ा हुआ धुआं ज़हरीला नहीं था.

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने यह कहते हुए कि मासिक धर्म बाधा नहीं है, इसे लेकर पेड लीव नीति बनाने को गैर-जरूरी बताया है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, ईरानी राज्यसभा में राजद सदस्य मनोज कुमार झा द्वारा देश में मासिक धर्म स्वच्छता नीति (मेंस्ट्रुअल हाइजीन पॉलिसी) पर पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रही थीं. उन्होंने कहा, ‘पीरियड होने का तजुर्बा रखने वाली महिला के रूप में मैं कहूंगी कि मासिक धर्म कोई बाधा नहीं है, यह महिलाओं के जीवन का स्वाभाविक हिस्सा है… हमें ऐसे मुद्दों का प्रस्ताव नहीं देना चाहिए जहां महिलाओं को समान अवसरों से वंचित किया जाता है, सिर्फ इसलिए कि जो व्यक्ति मासिक धर्म का अनुभव नहीं करता है उसका मासिक धर्म को लेकर एक विशेष दृष्टिकोण है.’ अपने लिखित जवाब में उन्होंने जोड़ा कि महिलाओं/लड़कियों का एक छोटा-सा हिस्सा इस दौरान गंभीर कष्ट से गुजरता है, पर इनमें से अधिकतर मामलों को दवा से काबू किया जा सकता है.

केरल के सबरीमाला मंदिर में ‘कुप्रबंधन’ को लेकर राज्य में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हुए हैं. एनडीटीवी के अनुसार, सबरीमाला में इस साल तीर्थयात्रियों की संख्या बहुत अधिक देखी जा रही है. ताज़ा विरोध प्रदर्शन सबरीमाला में अयप्पा मंदिर तक पहुंचने के लिए यात्रा के दौरान बेहोश होने के बाद 11 वर्षीय लड़की की मौत के एक दिन बाद हुआ. 6 दिसंबर के बाद से सबरीमाला जाने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है, जिसके कारण पहाड़ी मंदिर में भारी कतारें लग गई हैं. कुछ श्रद्धालुओं का दावा है कि उन्हें 18 घंटे से अधिक समय तक इंतजार करना पड़ा. उनमें से कई ने बैरिकेड्स तोड़ दिए, जिससे सीढ़ियों पर भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई. ऑनलाइन मनोरमा के अनुसार, सबरीमाला तीर्थयात्रियों ने उन्हें पंपा में प्रवेश की अनुमति न देने के अधिकारियों के फैसले के विरोध में मंगलवार को एरुमेली में सड़क अवरुद्ध कर दी. इस बीच केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को सबरीमाला तीर्थयात्रियों को मदद सुनिश्चित करने और वाहनों के लिए पर्याप्त पार्किंग सुविधाएं देने का निर्देश दिया है. मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने एक आपातकालीन बैठक में वर्चुअल कतार बुकिंग सीमा को 10,000 तक कम करने और नई अधिकतम सीमा 80,000 प्रति दिन निर्धारित करने को कहा है. साथ ही, दर्शन का समय भी एक घंटे बढ़ाया गया है.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को पुणे लोकसभा सीट पर तुरंत उपचुनाव कराने का निर्देश देते हुए कहा है कि लोग बिना प्रतिनिधित्व के नहीं रह सकते. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 29 मार्च को सांसद गिरीश बापट के निधन के बाद से यह सीट खाली है. जस्टिस गौतम एस पटेल की अगुवाई वाली उच्च न्यायालय की पीठ ने निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव न कराने के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा जारी सर्टिफिकेट को रद्द करते हुए कहा कि आयोग ने एक ‘विचित्र’ कारण दिया था कि उसकी पूरी मशीनरी मार्च 2023 से बहुत व्यस्त थी. अदालत ने कहा कि आयोग के कर्मचारियों के काम के परिणामस्वरूप नागरिकों को प्रतिनिधित्व से वंचित नहीं किया जा सकता है. यह अकल्पनीय है और यह पूरे संवैधानिक ढांचे को नुकसान पहुंचाने जैसा होगा, जो हमें विश्वास है आयोग भी नहीं चाहता.

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि भारत में ‘सरोगेसी उद्योग’ को प्रोत्साहन नहीं दिया जाना चाहिए. बार एंड बेंच के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि अगर इसे अनियंत्रित छोड़ दिया गया, तो यह एक अरबों डॉलर के कारोबार में बदल सकता है. अदालत ने यह टिप्पणी कनाडा में रहने वाले एक भारतीय मूल के जोड़े की याचिका पर सुनते हुए की, जिसमें सरोगेसी नियम, 2022 के नियम 7 के तहत फॉर्म 2 में बदलाव करके डोनर सरोगेसी पर प्रतिबंध लगाने के लिए सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम में संशोधन करने के लिए केंद्र द्वारा जारी 14 मार्च की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी. पीठ ने कहा कि सरोगेसी नियमों में बदलाव अदालतों के कहने पर हुआ है… यह ऐसा मामला नहीं है जहां हम सरकार से कुछ भी करने के लिए कह सकते हैं.

तकरीबन सात महीने से हिंसा से जूझ रहे मणिपुर के मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह ने पड़ोसी राज्य मिजोरम के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री से कहा है कि वह उनके राज्य के ‘आंतरिक मामलों’ से दूर रहें. रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रतिक्रिया मिज़ोरम के नए मुख्यमंत्री लालदुहोमा की उस टिप्पणी के बाद आई है, जिसमें उन्होंने मणिपुर पुलिस से सीमावर्ती शहर मोरेह में रहने वाले कुकी-ज़ो लोगों को परेशान न करने के लिए कहा था. उन्होंने जोड़ा था कि मणिपुर में कुकी समुदाय से अच्छा बर्ताव नहीं किया जा रहा. मंगलवार (12 दिसंबर) को इंफाल में पत्रकारों से बात करते हुए सिंह ने कहा, ‘मणिपुर में जो कुछ भी हुआ वह हमारा आंतरिक मामला है… उन्हें नहीं मालूम कि मोरेह में क्या हो रहा है. उनसे विनम्र अपील है, कृपया शांति बहाल करने में मदद करें. जब मिजोरम में ब्रू समस्या (1990 के दशक में ब्रू और मिजो के बीच जातीय संघर्ष) खड़ी हुई थी तो मैंने कभी कोई टिप्पणी नहीं की थी.’

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