मिज़ोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने कहा है कि उनकी सरकार संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर शरणार्थियों और आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की देखभाल करना जारी रखेगी. यह राजनीतिक नहीं, बल्कि मानवीय मुद्दा है. राज्य गृह विभाग के अनुसार, म्यांमार के 31,300 से अधिक नागरिकों और 1,100 से अधिक बांग्लादेशियों ने राज्य में शरण ले रखी है.
नई दिल्ली: मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने गुरुवार (14 सितंबर) को कहा कि उनकी सरकार राज्य में शरण लेने वाले म्यांमार, बांग्लादेश और मणिपुर के 40,000 से अधिक लोगों को सहायता प्रदान करना जारी रखेगी.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, विधानसभा में बोलते हुए लालदुहोमा ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से फोन पर इस मुद्दे पर चर्चा की थी.
उन्होंने कहा कि वह दिल्ली में दोनों नेताओं से मिलकर इस मामले पर चर्चा करेंगे और केंद्र से मदद मांगेंगे.
उन्होंने कहा कि इस मामले पर बयान देते समय केंद्र की राय को ध्यान में रखा जाना चाहिए, क्योंकि यह एक संवेदनशील मुद्दा है.
हालांकि, लालदुहोमा ने कहा कि राज्य सरकार इन लोगों की देखभाल करना जारी रखेगी.
उन्होंने कहा, ‘यह कोई राजनीतिक नहीं, बल्कि मानवीय मुद्दा है. हम अपने संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर शरणार्थियों और आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की देखभाल करना और उन्हें आश्रय प्रदान करना जारी रखेंगे.’
राज्य गृह विभाग के अनुसार, 31,300 से अधिक म्यांमार नागरिकों और 1,100 से अधिक बांग्लादेशियों ने मिजोरम में शरण ले रखी है.
चिन समुदाय, जो मिजो लोगों के साथ जातीय जुड़ाव रखता है, से ताल्लुक रखने वाले म्यांमार के नागरिकों ने फरवरी 2021 में पड़ोसी देश में सैन्य तख्तापलट के बाद मिजोरम में शरण ली है. चटगांव पहाड़ी क्षेत्र (एचसीटी) के बॉम या मिजो समुदाय के लोगों ने पिछले साल नवंबर में बांग्लादेशी सेना और एक विद्रोही समूह के बीच हुई गोलीबारी के बाद भागकर इस पूर्वोत्तर राज्य में आकर शरण ले ली थी.
इसके अलावा, मणिपुर में जातीय संघर्ष के कारण इस राज्य के लगभग 12,000 लोग भी बीते मई माह से मिजोरम के विभिन्न हिस्सों में रह रहे हैं.
पिछली मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) सरकार ने भी केंद्र से मिजोरम में रहने वाले मणिपुर के लोगों के लिए 10 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करने का आग्रह किया था.
राज्य सरकार के अधिकारियों ने बताया था कि कई महीनों में मिजोरम के ‘बार-बार अनुरोध’ के बावजूद केंद्र सरकार ने हिंसा प्रभावित मणिपुर से भागकर आए और आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों को राहत प्रदान करने के लिए नकद या अन्य प्रकार की कोई सहायता प्रदान नहीं की है.