देश की अदालतों में पांच करोड़ से अधिक मुक़दमे लंबित होने समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया है कि देश की विभिन्न अदालतों में पांच करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में मेघवाल ने बताया कि लंबित मामलों में से 80,000 सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं. उन्होंने आगे बताया कि इस साल 1 दिसंबर तक 5,08,85,856 लंबित मामलों में से 61 लाख से अधिक 25 हाईकोर्ट के स्तर पर थे. उन्होंने जोड़ा कि जिला और अधीनस्थ अदालतों में 4.46 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने ‘कैश-फॉर-क्वेरी’ मामले में लोकसभा से निष्कासन के खिलाफ टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा की याचिका की शुक्रवार की सुनवाई स्थगित कर दी. लाइव मिंट के अनुसार, अब अगली सुनवाई 3 जनवरी, 2024 को होगी. बताया गया है कि जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने यह कहते हुए सुनवाई टाल दी कि उन्होंने मामले की फाइल्स नहीं पढ़ी हैं. मोइत्रा को 8 दिसंबर को निष्काषित किया गया था, जिसके बाद वे शीर्ष अदालत पहुंची थीं. शुक्रवार की सुनवाई को खन्ना ने मोइत्रा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि केस फाइल्स उन्हें इसी सुबह फाइल मिली थीं, जिसके चलते वे इन्हें नहीं देख सके.

मालदीव ने भारतीय सैन्यकर्मियों को उनके देश से हटाने की बात कहने के बाद उसने भारत के साथ हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण समझौता ख़त्म करने का इरादा जाहिर किया है. रिपोर्ट के अनुसार, 14 दिसंबर को राजधानी माले में एक संवाददाता सम्मेलन में राष्ट्रपति कार्यालय में सार्वजनिक नीति के अवर सचिव ने बताया कि नई मालदीव सरकार ने 7 जून 2024 को समाप्त होने वाले द्विपक्षीय समझौते को नवीनीकृत नहीं करने का फैसला किया है और भारत सरकार को सूचित कर दिया है. भारत की ओर से इस बारे में अब तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है. इससे पहले मालदीव के बाई राष्ट्रपति मुइज्जू ने सत्ता संभालने के अगले ही दिन भारत से हेलीकॉप्टर और डोर्नियर विमान के साथ तैनात भारतीय सैनिकों को वापस लौटने के लिए कह दिया था. यह उनके चुनाव अभियान के वादे का हिस्सा था.

संसद की सुरक्षा में चूक को लेकर गुरुवार को बेंगलुरु में कांग्रेस के नेतृत्व में भाजपा के लोकसभा सांसद प्रताप सिम्हा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया. 13 दिसंबर को लोकसभा में सुरक्षा का उल्लंघन करने वाले दो लोगों को सिम्हा के कार्यालय ने विजिटर्स पास जारी किए थे. द टेलीग्राफ के अनुसार, कांग्रेस ने प्रदर्शन के दौरान सिम्हा की गिरफ्तारी की मांग की. आरोप है कि मैसुरु-कोडगू लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले 47 वर्षीय सिम्हा ने मैसूरु के रहने वाले 34 वर्षीय मनोरंजन डी. और लखनऊ में ऑटोरिक्शा चलाने वाले सागर शर्मा को विजिटर्स पास जारी किए थे. 13 दिसंबर को यही दोनों व्यक्ति लोकसभा में दर्शक दीर्घा से हॉल में कूद गए थे और वहां स्मोक कैन खोल दिए थे.

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय लेने के लिए विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को दी गई समयसीमा बढ़ा दी है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एकनाथ शिंदे के खेमे के विधायकों और खुद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिकाओं पर अंतिम फैसला महाराष्ट्र के स्पीकर को लेना होगा. इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष से 31 दिसंबर तक अंतिम फैसला लेने को कहा था, लेकिन नार्वेकर ने लंबित याचिकाओं की समीक्षा के लिए और समय मांगा, हालांकि सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच इस बात पर अड़ी रही कि स्पीकर को 10 जनवरी तक फैसला सुनाना होगा. जून 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना में हुई बगावत के बाद 40 विधायकों ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार का साथ छोड़ दिया था, जिसके बाद दोनों गुटों के विधायकों ने एक-दूसरे को अयोग्य ठहराने की मांग की याचिकाएं दायर की थीं.

कानून मंत्रालय ने बताया है कि 2018 से विभिन्न हाईकोर्ट में नियुक्त किए गए 650 न्यायाधीशों में से 492 (76%) कथित ऊंची जातियों से ताल्लुक रखते हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने गुरुवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है. उन्होंने यह भी बताया कि केंद्रीय रूप से उच्च न्यायालयों के जजों के ओबीसी, एससी, एसटी और अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व से संबंधित कोई डेटा नहीं रखा गया है, लेकिन जब उनकी पदोन्नति के लिए विचार किया गया तो अनुशंसाकर्ताओं द्वारा उनकी सामाजिक पृष्ठभूमि की जानकारी दी गई थी. उन्होंने बताया कि इस जानकारी के अनुसार, 2018 से 6 दिसंबर तक नियुक्त 650 उच्च न्यायालय न्यायाधीशों में से, 492 न्यायाधीश सामान्य वर्ग के हैं, 20 एससी वर्ग के हैं, 12 एसटी के हैं; 77 न्यायाधीश ओबीसी और 36 अल्पसंख्यक वर्ग के हैं. बाकी 13 जजों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.